कोरबा, छत्तीसगढ़ (पब्लिक फोरम)। कोरबा जिले के बांकीमोंगरा थाना परिसर में बीते 07 जून को एक आदिवासी किसान बलवान सिंह कंवर के साथ हुई मारपीट और अभद्र व्यवहार की घटना ने पूरे आदिवासी समाज को आक्रोशित कर दिया है। इस गंभीर मामले को लेकर आज सर्व आदिवासी समाज ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से हेलीपैड स्थल पर मुलाकात की और भाजपा नेत्री ज्योति महंत सहित अन्य आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की।
क्या है पूरा मामला?
07 जून, 2025 को शाम करीब 4 बजे, जब बलवान सिंह कंवर हरदीबाजार से बैल खरीदकर गजरा ग्रामीण सड़क से अपने घर लौट रहे थे, तभी गजरा रावड़भांठा के पास एक मेहंदी रंग की कार में सवार ज्योति महंत और उसके साथियों ने उन्हें रोका। बलवान सिंह अपने मोबाइल पर अपने रिश्तेदार से बात कर रहे थे, तभी ज्योति महंत ने उन पर सड़क जाम करने का आरोप लगाते हुए अभद्र गालियां दीं और मारपीट शुरू कर दी। बलवान सिंह ने रास्ता जाम न करने की बात कहते हुए माफी भी मांगी, लेकिन ज्योति महंत और उनके साथियों ने एक न सुनी।

आरोप है कि इसके बाद बलवान सिंह को जबरन बंधक बनाकर घसीटते हुए मोटरसाइकिल पर बैठाकर बांकीमोंगरा थाना लाया गया। थाने ले जाते समय भी उनसे नाम, गांव और जाति पूछी गई। थाना परिसर में भी बलवान सिंह कंवर को जातिसूचक गालियां दी गईं और लात-घूंसों से पीटा गया। घटना के समय बलवान सिंह माफी के लिए गुहार लगाते रहे।
चौंकाने वाली बात यह है कि यह पूरी घटना पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में हुई और इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहा है। आदिवासी समाज का कहना है कि यह अत्याचार थाना प्रभारी के संरक्षण में हुआ।
शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि भाजपा नेत्री ज्योति महंत और उनके सहयोगियों ने बलवान सिंह को छेड़खानी के झूठे आरोप में फंसाने और जेल भिजवाने की धमकी देते हुए 20,000 रुपये की मांग की। मारपीट और झूठे मुकदमे से बचने के लिए बलवान सिंह कंवर ने अपने रिश्तेदार से 4,500 रुपये मंगवाकर ज्योति महंत और उनके सहयोगियों को दिए, जिसके बाद उन्हें छोड़ा गया।

मुख्यमंत्री से की गई ये मांगें
आदिवासी समाज ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को सौंपे ज्ञापन में निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उनकी प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
– कड़ी कार्रवाई: घटना की गहन जांच की जाए और आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता और अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की संबंधित धाराओं के तहत कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।
– पीड़ित को न्याय और सुरक्षा: पीड़ित बलवान सिंह कंवर को न्याय दिलाया जाए और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
– पुलिस की भूमिका की जांच: चूंकि यह अत्याचार थाना परिसर में और पुलिसकर्मियों के संरक्षण में हुआ है, इसलिए दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी भारतीय न्याय संहिता और अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम 1989 की धाराओं में कार्रवाई की जाए।
– झूठा मामला खारिज हो: भाजपा नेत्री ज्योति महंत द्वारा अपने बर्बर अत्याचार को छिपाने के लिए बलवान सिंह कंवर के खिलाफ दर्ज कराए गए छेड़छाड़ के झूठे मामले की निष्पक्ष जांच कर उसे खारिज किया जाए।
– आदिवासी समाज की सुरक्षा: मुख्यमंत्री से आदिवासी समुदाय को आश्वस्त करने का आग्रह किया गया है कि वे उनकी सुरक्षा में सहयोग करेंगे।
– आंदोलन की चेतावनी: ज्ञापन में यह भी चेतावनी दी गई है कि यदि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की गई, तो सर्व आदिवासी समाज और कंवर समाज कोरबा सड़कों और चौक-चौराहों पर उग्र आंदोलन करने और कलेक्टर/पुलिस अधीक्षक कार्यालय का घेराव करने पर मजबूर होगा, जिसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।

इस ज्ञापन की प्रतियां राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, राज्यपाल छत्तीसगढ़, राष्ट्रपति, पुलिस महानिरीक्षक बिलासपुर और छत्तीसगढ़ जनजाति आयोग को भी आवश्यक कार्यवाही हेतु भेजी गई हैं।
पुलिस अधीक्षक का आश्वासन
इस मामले को लेकर पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी ने हेलीपैड स्थल पर ही आदिवासी समाज के पदाधिकारियों से बात की। उन्होंने सभी पदाधिकारियों को निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है और जांच पूरी होने तक शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने की अपील की है।
यह घटना न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि समाज के कमजोर वर्ग के प्रति संवेदनहीनता को भी उजागर करती है। आदिवासी समाज अब न्याय की आस में मुख्यमंत्री और प्रशासन की ओर देख रहा है। यह देखना होगा कि एक आदिवासी मुख्यमंत्री के शासनकाल में इस अति संवेदनशील मामले में कितनी त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई होती है।
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