- खरसिया-रायगढ़ रोड पर तेज रफ्तार ट्रेलर ने सड़क किनारे बैठी गायों को कुचला।
- हादसे में दो गायों की दर्दनाक मौत, एक गंभीर रूप से घायल।
- घटना से आक्रोशित गौ सेवा संगठन ने आधी रात से किया अनिश्चितकालीन चक्का जाम।
- चालक और मालिक पर कठोर कार्रवाई, सड़कों पर रोशनी और गति नियंत्रण की मांग।
खरसिया/रायगढ़। खरसिया-रायगढ़ मुख्य मार्ग पर स्थित पंचमुखी मंदिर के पास बुधवार देर रात एक दर्दनाक सड़क हादसे ने मानवता को झकझोर कर रख दिया। एक अज्ञात तेज रफ्तार ट्रेलर ने सड़क किनारे शांति से बैठी गायों को बेरहमी से कुचल दिया, जिसमें दो गायों की मौके पर ही मौत हो गई और एक गाय बुरी तरह से घायल हो गई। इस हृदय विदारक घटना की सूचना मिलते ही गौ सेवा संगठन के सदस्य आक्रोशित हो उठे और उन्होंने तत्काल मौके पर पहुंचकर चक्का जाम कर दिया, जो 10 किलोमीटर से भी अधिक लंबा हो गया है।
आधी रात को प्रदर्शन, थम गए पहिए
घटना बुधवार की रात करीब 12 बजे की है। जब एक तेज रफ्तार ट्रेलर ने गायों को रौंद दिया, तो इसकी खबर आग की तरह फैल गई। गौ सेवा संगठन के सक्रिय सदस्य वैभव साव अपने साथियों के साथ तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे। गौवंश की दुर्दशा देखकर उनका गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने न्याय की मांग करते हुए आधी रात में ही सड़क पर बैठकर चक्का जाम कर दिया। इस जाम के कारण खरसिया-रायगढ़ मार्ग पर वाहनों की लंबी कतारें लग गई हैं और आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया है, जिससे यात्रियों और मालवाहकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

“जब तक न्याय नहीं, तब तक सड़क नहीं छोड़ेंगे”
गौ सेवा संगठन के वैभव साव ने भारी मन और दृढ़ निश्चय के साथ कहा, “जिस ट्रेलर ने हमारी गौ माता को कुचला है, उसके चालक और मालिक के खिलाफ तत्काल और कठोरतम कार्रवाई होनी चाहिए। हम अपनी मां के साथ कोई समझौता नहीं कर सकते।” उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस आश्वासन और कार्रवाई का भरोसा नहीं मिलता, उनका यह विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। प्रदर्शनकारी गौ सेवक रात से ही सड़क पर डटे हुए हैं और न्याय के लिए अपनी मांग पर अडिग हैं।
प्रशासन की उदासीनता और व्यवस्था पर सवाल
प्रदर्शन कर रहे गौ सेवकों ने केवल ट्रेलर चालक पर कार्रवाई की ही नहीं, बल्कि व्यवस्थागत सुधारों की भी मांग की है। उनकी प्रमुख मांगें हैं:
सड़कों पर प्रकाश की व्यवस्था: सड़क परिवहन विभाग द्वारा प्रमुख मार्गों पर, विशेषकर औद्योगिक क्षेत्रों के पास, रेडिमेड या हाई-मास्ट लाइटें लगाई जाएं ताकि रात में दृश्यता बेहतर हो सके।
गति पर नियंत्रण: शहर और गांव के रिहायशी इलाकों से गुजरने वाले भारी वाहनों, खासकर ट्रेलरों की गति सीमा सख्ती से लागू की जाए।
गौवंश के लिए सुरक्षा: सरकार और प्रशासन लावारिस घूम रहे गौवंश के लिए उचित आश्रय और सुरक्षा की व्यवस्था करे, ताकि वे इस तरह के हादसों का शिकार न हों।
गौ सेवकों ने प्रशासन के रवैये पर गहरा दुख और रोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “देर रात 12 बजे से हम यहां बैठे हैं, लेकिन प्रशासन या शासन की तरफ से कोई भी अधिकारी या प्रतिनिधि हमसे बात करने या आश्वासन देने तक नहीं आया है। क्या सरकार और अधिकारी गौ माता के प्रति इतने संवेदनहीन हो गए हैं?” उन्होंने गौ सेवा आयोग की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए और कहा कि अगर आयोग ऐसी घटनाओं को नहीं रोक सकता और गौवंश की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकता, तो उसे भंग कर देना चाहिए।
संगठन ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं और गौ माता को न्याय नहीं मिलता, वे सड़क से नहीं हटेंगे। यह घटना एक बार फिर सड़कों पर बेसहारा पशुओं की सुरक्षा और भारी वाहनों की अनियंत्रित गति को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है।
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