हमारे जमाने में राजेश खन्ना और मुमताज़ की एक फिल्म आई थी। यह फिल्म उसके संगीत और गीत के चलते बहुत ज्यादा लोकप्रिय हुई थी। वैसे मैं कोई फिल्मी विषय वस्तु पर चर्चा नहीं करना चाहता। मेरा उद्देश्य भी नहीं है।
मैं तो उन बातों की ओर आपका ध्यान खींचना चाहता हूं, जिन संदेशों को शब्द और संगीत के माध्यम से फिल्मकार ने अमर बना दिया है। वह संदेश है जिंदगी और वक्त या वक्त और जिंदगी। कुछ भी कह लें बात तो एक ही है। जिंदगी के लिए वक्त या वक्त के लिए जिंदगी।
गीतकार ने क्या खूब लिखा है: फूल खिलते हैं, लोग मिलते हैं मगर पतझड़ में जो फूल मुरझा जाते हैं, वो बहारों के आने से मिलते नहीं, इक रोज जो मिल के बिछुड़ जाते हैं, वो हजारों के आने से मिलते नहीं। बाद में प्यार के चाहे भेजो हजारों सलाम, वो फिर नहीं आते। जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मुकाम, वो फिर नहीं आते।
यहां पर फिल्म का नाम बताना मैं जरूरी नहीं समझता। आप जानते ही होंगे? मैं तो केवल वक्त और जिंदगी के बारे में बताने के लिए ही फिल्म का जिक्र किया था।
हमको लगता है कि हमारे पास बहुत ज्यादा वक्त है, लेकिन हमारी जिंदगी का यह वक्त कितनी तेजी से निकल भी जाता है, यह पता ही नहीं चलता। हमारा यह वक्त हम को एकदम मुफ्त में मिला है, लेकिन फिर भी यह कितनी बेशकीमती है। शायद हम यह समझ ही नहीं पाते।
हम वक्त के मालिक तो नहीं बन सकते लेकिन हम इसका बेहतर इस्तेमाल जरूर कर सकते हैं। हम अपने समय को अपनी तिजोरी में बैंक अकाउंट में या अपने लॉकर में छुपा के बचा के या पोटली में बांधकर चुपके से नहीं रख सकते लेकिन हम अपने वक्त को अपने मन के मुताबिक अपनी जरूरत के हिसाब से खर्च जरूर कर सकते हैं।
लेकिन यह याद रहे कि हमारी जिंदगी का गुजरा हुआ एक एक पल भी हम वापस नहीं ला सकते। वैसे तो औसतन हमारी जिंदगी की आयु लगभग 60 से 80 साल माना गया है जिसमें से लगभग 20 से 23 साल हम सोने में गुजार देते हैं जो कि हमारी जिंदगी का लगभग 30 % हिस्सा होता है। लगभग 10 से 15 साल हम काम करने में निकाल देते हैं। 10 साल हम सोशल मीडिया और टीवी मोबाइल आदि में निकाल देते हैं।
लगभग 4 से 5 साल हम खाने पीने में गंवा देते हैं। और वैसे ही 3 से 4 साल हम शिक्षण-प्रशिक्षण में बिता देते हैं। बाकी जो समय हमारे पास बचता है उसे हम किस प्रकार बिताते हैं? इस पर हमें गंभीरता पूर्वक सोचना ही चाहिए।
हमारा समय हमारे पैसे से बहुत ज्यादा कीमती होता है। हम अपने समय के माध्यम से जितना चाहे उतना पैसा कमा सकते हैं लेकिन अपने पैसे से हम अपने समय को कभी भी खरीद नहीं सकते। किसी महान विचारक ने कहा है कि हमारे पास बहुत ही लिमिटेड टाइम है और हम इसे किसी दूसरे की जिंदगी जीने में बर्बाद बिलकुल नहीं कर सकते।
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