गुरूवार, नवम्बर 21, 2024
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करंट की चपेट में दो युवकों की दर्दनाक मौत से गांव में पसरा मातम

कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा जिले के बालको थाना क्षेत्र के ग्राम बेला में सोमवार देर शाम एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें दो ग्रामीण युवकों की करंट लगने से मौके पर ही मौत हो गई। यह हृदयविदारक घटना तब घटी, जब दोनों युवक मोटरसाइकिल से ग्राम टापरा से वापस बेला लौट रहे थे और रास्ते में बिछाए गए 11 केवी करंट प्रवाहित जीआई तार के संपर्क में आ गए।

लापरवाही से बिछाए गए तार ने ली दो जानें
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, शिकार के उद्देश्य से किसी अज्ञात ग्रामीण ने बेतरतीब ढंग से यह तार जमीन से लगभग सटा हुआ बिछा दिया था। यह पतला तार इतना खतरनाक था कि रास्ते से गुजरने वाले किसी भी वाहन या व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित हो सकता था। दुर्भाग्यवश, बाइक पर सवार नारायण कंवर (35) और टिकेश्वर राठिया (32) इसी तार की चपेट में आ गए और बुरी तरह झुलस गए। हादसे में दोनों की मौके पर ही मौत हो गई।

मौके पर पहुंची पुलिस को झेलनी पड़ी कठिनाई
घटना की सूचना मिलते ही बालको थाना के एएसआई माखन लाल पात्रे और प्रधान आरक्षक लक्ष्मीकांत खरसन के नेतृत्व में पुलिस बल घटनास्थल पर पहुंचा। हालांकि, क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों के कारण पुलिस को वहां तक चारपहिया वाहन से पहुंचने में परेशानी हुई। पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर कानूनी प्रक्रिया शुरू की और रात करीब 10:45 बजे पंचनामा पूरा किया।

डेढ़ किलोमीटर पैदल स्ट्रेचर पर ले गए शव
पुलिस और एंबुलेंस कर्मियों को शवों को घटनास्थल से एंबुलेंस तक पहुंचाने के लिए करीब डेढ़ किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा। इसके बाद शवों को जिला अस्पताल भेजा गया, जहां मंगलवार को पोस्टमार्टम किया जाएगा।

गांव में मातम, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
इस हादसे के बाद मृतकों के परिजनों में कोहराम मच गया है। गांव में शोक की लहर दौड़ गई है, और घटना से हर कोई स्तब्ध है। यह हादसा इस बात को रेखांकित करता है कि शिकार के लिए बिछाए गए असंवेदनशील और गैरकानूनी रूप से तार का उपयोग कितनी बड़ी त्रासदी को जन्म दे सकता है।
यह घटना स्पष्ट रूप से मानवीय लापरवाही का नतीजा है, जिसमें किसी ने शिकार के लालच में दूसरों की जान की परवाह नहीं की। प्रशासन और स्थानीय निकायों को ऐसी घटनाओं पर तुरंत कार्रवाई करते हुए सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने की जरूरत है। यह दुर्घटना केवल तकनीकी भूल नहीं, बल्कि संवेदनशीलता और जिम्मेदारी की कमी का उदाहरण है। समाज और प्रशासन दोनों की यह जिम्मेदारी बनती है कि सार्वजनिक रास्तों पर ऐसी खतरनाक हरकतों को रोका जाए ताकि भविष्य में इस तरह की त्रासदियों से बचा जा सके।

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