कोरबा, छत्तीसगढ़ (पब्लिक फोरम)। क्या अब चोरों के लिए ‘छोटे’ अपराध करना आसान हो जाएगा? कोरबा में सामने आए एक अजीबोगरीब मामले ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सिविल लाइन थाना पुलिस पर आरोप है कि वे 5000 रुपए से कम की चोरी होने पर FIR दर्ज नहीं कर रहे हैं, जिससे चोर गिरोह के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं और आम जनता में भय का माहौल है।
5000 रुपए से कम की चोरी: FIR नहीं, तो पकड़ेगा कौन?
यह चौंकाने वाला मामला कोरबा के वार्ड क्रमांक 37 रामपुर बस्ती से सामने आया है। दो दिन पहले, आंगनवाड़ी क्रमांक 2 से अज्ञात चोरों ने गैस सिलेंडर, एक बोरी चावल, एक बोरी दलिया और अन्य सामग्री चुरा ली। आंगनवाड़ी सहायिका और वार्ड पार्षद ने तुरंत इसकी लिखित शिकायत सिविल लाइन थाने में दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने न तो घटनास्थल का दौरा किया और न ही FIR दर्ज की। दो दिनों तक वार्ड पार्षद और सहायिका थाने के चक्कर काटते रहे, लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
सिविल लाइन पुलिस के एक सब-इंस्पेक्टर ने कथित तौर पर यह कहकर FIR दर्ज करने से इनकार कर दिया कि चोरी 5000 रुपए से कम की है। जब यह बात कोरबा के सीएसपी (सिटी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस) तक पहुंची, तो उन्होंने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि 5000 रुपए से कम की चोरी पर FIR दर्ज नहीं होती है। यह बयान पुलिस की कार्यशैली पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है। यदि छोटे मामलों में FIR दर्ज नहीं होगी, तो चोरों को कौन पकड़ेगा और कैसे पकड़ा जाएगा?
लगातार चोरी की घटनाएं: पुलिस की चुप्पी से चोरों को बढ़ावा
FIR दर्ज न होने का सीधा फायदा चोर गिरोह उठा रहे हैं। रामपुर बस्ती में हुई इस चोरी के बाद, ऐसी घटनाओं की एक श्रृंखला सामने आई है। हाल ही में, पीडब्ल्यूडी स्कूल का ताला तोड़कर अज्ञात चोरों ने सबमर्सिबल पंप और अन्य सामग्री चुरा ली थी। स्कूल के प्राचार्य मानसाय लहरे ने इसकी लिखित शिकायत सिविल लाइन थाने में दर्ज कराई थी, लेकिन इस मामले में भी पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस स्कूल में यह सातवीं चोरी की वारदात थी, लेकिन एक भी मामले में पुलिस ने चोरों को पकड़ने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है।

जनता में आक्रोश: क्या पुलिस अपना कर्तव्य भूल रही है?
पुलिस की इस निष्क्रियता से न केवल चोरों के हौसले बुलंद हैं, बल्कि आम जनता में भी पुलिस के प्रति अविश्वास और आक्रोश पनप रहा है। लोगों का कहना है कि जब पुलिस छोटे मामलों को गंभीरता से नहीं लेगी, तो बड़े अपराधों पर लगाम कैसे लगेगी? पुलिस का यह रवैया उनकी जिम्मेदारी और कर्तव्यनिष्ठा पर सवाल खड़े करता है। कानून के जानकारों का कहना है कि चोरी चाहे कितने भी रुपए की हो, FIR दर्ज करना पुलिस का प्राथमिक कर्तव्य है। ऐसा न करना सीधे तौर पर अपराध को बढ़ावा देना है।
भविष्य की चिंता: क्या कोरबा में सुरक्षित रहेंगे आम नागरिक?
पुलिस की इस ढीली-ढाली कार्यप्रणाली से कोरबा के नागरिकों की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं। यदि 5000 रुपए से कम की चोरी पर FIR दर्ज नहीं होगी, तो यह चोरों को ‘खुलेआम’ छोटे-मोटे अपराध करने का लाइसेंस दे देगा। इससे शहर में अपराध का ग्राफ बढ़ने की आशंका है। पुलिस को अपनी कार्यप्रणाली पर पुनर्विचार करने और हर शिकायत को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है, ताकि नागरिकों का पुलिस पर भरोसा बना रहे और चोरों पर लगाम कसी जा सके।
क्या पुलिस अपनी इस नीति पर पुनर्विचार करेगी और हर चोरी की शिकायत को गंभीरता से लेगी, ताकि आम नागरिक सुरक्षित महसूस कर सकें?
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