अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की रिपोर्ट “इंडिया एम्प्लॉयमेंट 2024” ने देश में बेरोजगारी की चिंताजनक स्थिति को उजागर किया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 83% युवा बेरोजगार हैं, जिनके पास रोजगार के कोई अवसर नहीं हैं। उनकी ऊर्जा को समाज के विकास में उपयोग करने में सरकार पूरी तरह विफल रही है। वर्ष 2010 में युवा वर्ग में बेरोजगारी दर 35.2% थी, जो वर्ष 2022 में बढ़कर 65.7% हो गई, और वर्तमान में यह 83% है।
शैक्षणिक योग्यता के आधार पर विश्लेषण करने पर, रिपोर्ट में बताया गया है कि मोदी सरकार के शासनकाल से पहले आठवीं पास लोगों में बेरोजगारी दर 4.5% थी, जो अब बढ़कर 13.7% हो गई है। इसी प्रकार, उच्चतर माध्यमिक पास लोगों में बेरोजगारी दर मोदी सरकार से पहले 10.8% थी, जो अब 23.8% हो गई है। माध्यमिक स्तर तक शिक्षित लोगों में बेरोजगारी दर मोदी सरकार से पहले 5.9% थी, जो अब बढ़कर 13.7% हो गई है। यानी मोदी शासन में हर स्तर पर बेरोजगारी दर लगभग दोगुनी हो गई है।
रोजगार के मामले में भारत का स्थान बांग्लादेश से भी नीचे आ गया है। वर्ष 2012 में भारत में प्रतिवर्ष 12.8% रोजगार सृजन होता था, जो वर्ष 2018 में घटकर 11.5% रह गया, जबकि बांग्लादेश में यह दर 16% है।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि वर्तमान में उपलब्ध रोजगारों में से 90% असंगठित क्षेत्र में हैं, जहां कम मजदूरी और सुरक्षा का अभाव है।
वर्ष 2022 में शहरी क्षेत्रों में युवा बेरोजगारी दर 17.2% और ग्रामीण क्षेत्रों में 10.7% थी। युवा महिलाओं में यह दर और अधिक 21.6% थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार रोजगार सृजन में पूरी तरह विफल रही है और इस दिशा में कोई कारगर नीति नहीं बनाई गई है। प्रतिवर्ष 70 से 80 लाख लोग नए रोजगार के लिए तैयार होते हैं, लेकिन सरकार की स्पष्ट नीति के अभाव में बेरोजगारी का बिकराल रूप देखने को मिलता है।
रोजगार देने में विफल मोदी सरकार ने मजदूरों की स्किल बढ़ाने पर अधिक जोर दिया था। लेकिन “नेशनल स्किल पॉलिसी” का भी रोजगार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। आंकड़े बताते हैं कि देश के 1 लाख 25 हजार उद्योगों में सिर्फ 20% ही प्रशिक्षुओं को नियुक्त किया जाता है, जहां उनका भत्ता भी बहुत कम होता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में न्यूनतम मजदूरी कानून का पालन नहीं होता है। निर्माण क्षेत्र के 70% और ठेका श्रमिकों के 62% अकुशल श्रमिक न्यूनतम मजदूरी से वंचित रहते हैं। सबसे अधिक रोजगार प्रदान करने वाले विनिर्माण क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर कम हुए हैं। इस क्षेत्र में वर्ष 2012 में 12.8% रोजगार उपलब्ध होता था, जो वर्ष 2018 में घटकर 11.5% रह गया।
देश की युवा शक्ति, जिसे देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए, को बेरोजगार बनाकर रख दिया गया है। यह एक चिंताजनक स्थिति है, जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
(आलेख : सुखरंजन नदी)
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