कोरबा-पाली (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के पाली ब्लॉक की रंगोले ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। पंचायत सचिव सुनील कुर्रे ने महिला सरपंच की अनुभवहीनता का फायदा उठाते हुए तीन सालों तक विकास कार्यों के नाम पर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की। खासतौर पर पेयजल व्यवस्था के नाम पर लाखों का फर्जीवाड़ा किया गया।
2020-21 के पंचायत चुनाव में रंगोले ग्राम पंचायत में श्रीमती संता कंवर ने महिला सरपंच के रूप में पदभार संभाला। शुरुआती दौर में उन्हें पंचायती कार्यों का अनुभव नहीं था और कोरोना काल के दौरान प्रशासनिक गतिविधियां सीमित थीं। इसका लाभ उठाते हुए सचिव सुनील कुर्रे ने 14वें और 15वें वित्त आयोग के तहत आवंटित धनराशि को कागजों पर विकास कार्य दिखाकर गबन कर लिया। फर्जी बिलों के जरिए उन्होंने लगभग 25 लाख रुपये का गबन किया।
कैसे हुआ खुलासा?
तीन साल तक सरपंच को इन अनियमितताओं की भनक तक नहीं लगी। हाल ही में पंचायत के अन्य सदस्यों और ग्रामीणों ने सचिव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। जब सरपंच ने जनपद कार्यालय से आहरित राशि का ब्योरा मांगा, तो खुलासा हुआ कि सचिव ने सरपंच के डिजिटल हस्ताक्षर का दुरुपयोग कर बिना वास्तविक कार्य किए भारी-भरकम रकम निकाल ली थी।
पेयजल व्यवस्था के नाम पर सबसे बड़ा गबन
पेयजल जैसी बुनियादी जरूरत के नाम पर सबसे अधिक वित्तीय अनियमितता की गई। सचिव ने कागजों पर काम दर्शाकर लाखों की राशि निकाल ली, जबकि धरातल पर न तो कोई नल लगाया गया और न ही पानी की व्यवस्था में सुधार हुआ।
ग्राम पंचायत के पंचों और ग्रामीणों ने सचिव की इन अनियमितताओं की लिखित शिकायत जनपद कार्यालय में की। शिकायत में सचिव से राशि वसूलने और उनके स्थानांतरण की मांग की गई। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने से सचिव के हौसले और बुलंद हो गए हैं।
सचिव के कार्यकाल पर सवाल
पंचों का कहना है कि सचिव सुनील कुर्रे पिछले 15 वर्षों से रंगोले पंचायत का कार्यभार संभाल रहे हैं। इस दौरान उन्होंने बार-बार नियमों की अनदेखी कर वित्तीय अनियमितताओं को अंजाम दिया। 2020 से 2023 तक के सभी कार्यों और धनराशि की विभागीय जांच की जाए तो सचिव की अनियमितताएं उजागर होंगी।
सरपंच और पंचायत सदस्यों ने अब इस मामले की शिकायत जिला कलेक्टर से करने का निर्णय लिया है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर इस बार भी कार्रवाई नहीं हुई, तो वे जन आंदोलन करेंगे।
पंचायत प्रणाली और प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल
यह घटना पंचायतों में प्रशासनिक भ्रष्टाचार और निगरानी की कमी को उजागर करती है। सरपंच को अधिकार देने का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण था, लेकिन अधिकारों का दुरुपयोग कर सचिव ने उनके भरोसे को तोड़ा।
सरकार को न केवल इस मामले की गहन जांच करनी चाहिए, बल्कि ऐसे मामलों में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर एक सख्त संदेश देना चाहिए। साथ ही, पंचायतों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी और प्रशासनिक सुधारों की सख्त जरूरत है।
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