गुरूवार, नवम्बर 21, 2024
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कार्मिक सुविधाओं को लेकर सरकार व सेल प्रबंधन की नीयत साफ नहीं -ऐक्टू

भिलाई (पब्लिक फोरम)। सेंटर ऑफ स्टील वर्कर्स– ऐक्टू के महासचिव श्याम लाल साहू ने 24 सितंबर को आयोजित सालाना बोनस समझौता वार्ता के दुबारा टलने और प्रबंधन के रवैय्ये पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सेल प्रबंधन का रवैय्या हमेशा कर्मचारी विरोधी रहा है और इसके पीछे केंद्र सरकार की कर्मचारी विरोधी व कार्पोरेटपरस्त नीतियाँ रही हैं।

ऐक्टू के महासचिव ने कहा कि मौजूदा समय कर्मचारियों के लिए बहुत ही सुनहरा अवसर हो सकता है, अगर सेल प्रबंधन का रवैय्या सकारात्मक और कर्मचारियों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण हो। अगर सेल प्रबंधन चाहे तो अपने कर्मचारियों को बोनस के रूप में एक माह के वेतन का यूं ही भुगतान कर सकता है। लेकिन पिछली दोनों बैठकों में हुई बोनस वार्ता में सेल प्रबंधन ने यह दर्शा दिया है कि अपने कर्मचारियों के प्रति उसकी मानसिकता कितनी ओछी और हास्यास्पद है।

श्री साहू ने बताया कि सेल अपने स्थापना के 50वें वर्ष में 12015.04 करोड़ के प्रॉफिट के साथ नया रिकार्ड बनाने में कामयाब रहा। इसके पहले कंपनी ने 2009-10 में 9754 करोड़ का सबसे अधिक मुनाफा कमाया था। बीएसपी 2272.52 करोड़ के साथ तीसरे स्थान पर रही। वहीं बोकारो 6064.21 करोड़ के प्रॉफिट के साथ पहले स्थान पर रहा।

देश की अग्रणी इस्पात उत्पादक कंपनी स्टील अथारिटी इंडिया लिमिटेड सेल यूं तो कहने के लिए एक महारत्न कंपनी है और आज अपने स्वर्णिम काल से गुजर रही है और पहली बार 10000 करोड़ से अधिक का मुनाफा कमा चुकी है। सेल को महारत्न कंपनी बनाने में कर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है और उन्हें यह लग रहा था कि कंपनी के विस्तार और मुनाफे में वृद्धि होने से उन्हें भी इसका पूरा फायदा मिलेगा, लेकिन सेल के महारत्न कंपनी बनने से लेकर आज तक यहां के कर्मी महारत्न कंपनी के कर्मियों को मिलने वाली सुविधाओं से अब तक वंचित हैं।

अधिकारियों को लगभग सारी सुविधाएं मिल रही हैं, लेकिन वही सुविधा कर्मियों को देने के सवाल को सेल प्रबंधन ने पूरी तरह ताक पर रख दिया है। अधिकारियों और कर्मियों की सुविधाओं में हर जगह भेदभाव साफ नज़र आता है। चाहे वेतन समझौते का मामला हो, पे फिक्शेसन का मामला हो, शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं का मामला हो, एचआरए अथवा एरियर्स व सालाना बोनस का ही मामला क्यों न हो।

इस महारत्न कंपनी के कर्मी कर्मचारी कल्याण सुविधाओं को लेकर सेल के दावे पर कई बार सवाल उठा चुके हैं। इंटरनेट मीडिया पर कर्मियों द्वारा शेयर की गई सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट में सेल ने बताया है कि वह वैधानिक रूप से अनिवार्य सुविधाओं के साथ-साथ वैकल्पिक सुविधाओं के रूप में भी कर्मचारियों को कई सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाती है। इसी मामले को इंटरनेट मीडिया पर उठाते हुए कर्मियों ने सेल के दावे पर अपनी बात रखते हुए कहा है कि सेल की सुविधाओं के लिए अंततः कर्मचारी से ही पैसा लिया जा रहा है तथा इसके लिए कंपनी की तरफ से नाम मात्र अंशदान दिया जाता है। सेल प्रबंधन का ज्यादातर ध्यान बैलेंस शीट को दुरुस्त करने में ही है और ज्यादातर सुविधाओं को कर्मियों के अंशदान से ही चलाया जा रहा है।

भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) द्वारा हालिया घोषित वित्तीय परिणाम का हवाला देते हुए श्री श्याम लाल साहू ने कहा है कि वित्त वर्ष 2021-22 की रिपोर्ट पर सेल बोर्ड ने सोमवार को हुई बैठक में मुहर लगाई और नतीजे की जानकारी बीएसई और एनएसई को भेज दी। नतीजे कार्मिकों के उम्मीद के मुताबिक ही रहे। पहली बार कंपनी ने कर पश्चात 12015.04 करोड़ व कर पूर्व 16038.78 करोड़ का मुनाफा कमाया। बीएसपी इस साल 2272.52 करोड़ के प्रॉफिट में रही। जबकि अंतिम तिमाही (जनवरी से मार्च) के दौरान 126.81 करोड़ का मुनाफा कमाया।

बोकारो स्टील प्लांट 6064.21 करोड़ के प्रॉफिट के साथ पहले स्थान पर और राउरकेला स्टील प्लांट 5609.38 करोड़ के साथ दूसरे स्थान पर रहे। इस मुनाफे से सेल कर्मियों में यह उम्मीद जगी है कि सालाना बोनस के रूप में एक बड़ी रकम के अतिरिक्त भी कुछ अच्छी सौगातें मिल सकती हैं। यही नहीं, कर्मियों ने यह भी आस लगा रखी है कि 39 महीने के बकाया एरियर का भुगतान भी जल्द ही किया जाएगा और एचआरए पर भी सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा। लेकिन सेल प्रबंधन के रवैय्ये ने कर्मियों को निराश ही किया है और उनके मनोबल को कमजोर किया है।

श्री साहू ने कर्मियों के पक्ष में दबाव बनाने में एनजेसीएस में शामिल यूनियनों को पूरी तरह नाकाम बताया है। एनजेसीएस में शामिल यूनियनों की नाकामी व नाकारेपन का सबूत यह भी है कि वे सालाना बोनस का नया फॉर्मूला अब तक नही बनवा पाई हैं जिसका खामियाजा से कर्मियों को भुगतना पड़ रहा है।

श्री साहू ने सेल प्रबंधन को सुझाव देते हुए कहा है कि उसे महारत्न कंपनी की प्रतिष्ठा का ख्याल रखना चाहिए और कंपनी के कर पश्चात मुनाफे में सालाना बोनस के रूप में कर्मियों को तीन प्रतिशत राशि का भुगतान करना चाहिए ताकि कर्मियों का मनोबल हमेशा बना रहे। यही नहीं, आज तमाम उत्पादन कार्यों में बराबर की भूमिका अदा कर रहे ठेका कर्मियों को भी उसी तरह सम्मानजनक बोनस का भुगतान करना चाहिए।

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