गुरूवार, नवम्बर 21, 2024
होमराजनीतिजी-20 के नाम पर जगाई उम्मीदों की खुली पोल: स्वदेश भट्टाचार्य

जी-20 के नाम पर जगाई उम्मीदों की खुली पोल: स्वदेश भट्टाचार्य

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। जी-20 के नाम पर खड़े किए गए उल्लास के उन्माद की पोल खुल चुकी है। आलीशान इंतजाम, खामियों से भरपूर, निकृष्ट ढांचे को नहीं छुपा सके। गरीबों की बेदखली, झुग्गियों को उजाड़ना और दिल्ली की गलियों में जीवन को जबरन अदृश्य करना, गलियों में घूमने वाले जानवरों के साथ क्रूर व्यवहार, सामान्य जीवन में भीषण बाधा पैदा करते हुए शहर पर लॉकडाउन थोपना और आयोजन से अंतरराष्ट्रीय मीडिया के किसी भी तरह के सवाल-जवाब वाले जुड़ाव से इंकार करने ने इस आयोजन को जी-20 के इतिहास में सर्वाधिक आलोचना वाला आयोजन बना दिया। एक अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक मंच और आयोजन का उपयोग बेहद भौंडे और सनक भरे तरीके से नरेंद्र मोदी के प्रचार के लिए इस्तेमाल करने ने, दरअसल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख और संप्रभु राष्ट्रीय हितों को धक्का पहुंचाया है।

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) पोलिट ब्यूरो की ओर से जारी एक बयान में कॉम स्वदेश भट्टाचार्य ने जी-20 आयोजन के संबंध में कहा है कि अचानक से बिना विपक्ष से सलाह मशविरा किए बगैर और बिना एजेंडे के, एक अभूतपूर्व संसदीय सत्र की घोषणा संविधान और संसदीय लोकतन्त्र पर किए जा रहे प्रहारों में चिंताजनक वृद्धि का संकेत है। नए संविधान के षड्यंत्रकारी कोलाहल, “एक देश, एक चुनाव” के नाम पर एक साथ केंद्रीयकृत चुनाव कराने की कोशिश, संवैधानिक मान्यता प्राप्त और अंतरराष्ट्रीय तौर पर स्थापित नाम- इंडिया को औपनिवेशिक अवशेष सिद्ध करने की कोशिश और न्यायिक सुधार के नाम पर प्रस्तावित विधेयकों के साथ जोड़ कर देखें तो इस सत्र के पीछे की मंशा भयावह नज़र आती है।
सरकार के इन सुनियोजित कदमों के साथ संगति बैठाते हुए, आगामी चुनावों से पहले सांप्रदायिक निर्मिति को देखा जा सकता है। जैसा कि हमने हरियाणा में देखा कि विहिप और बजरंग दलों द्वारा मुस्लिम विरोधी हिंसा और राज्य का बुलडोजर अभियान, आगामी चुनावों से पहले, हिंसक सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के नए संकेत दे रहा है। विहिप और बजरंग दल ने 30 सितंबर से एक पखवाड़े की “शौर्य जागरण यात्रा” की घोषणा की और इसका घोषित उद्देश्य, तथाकथित “लव जेहाद” और “धर्मांतरण” रोकने के लिए “धर्म योद्धाओं” की फौज खड़ी करना है।
इस सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की योजना का एक नया तत्व, जाति प्रथा और कट्टरता के खात्मे का आह्वान करने वाले उदयनिधि स्टालिन के भाषण के नाम पर उन्माद भड़काना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं अपने कैबिनेट मंत्रियों से इस बयान का जवाब देने को कहा और भाजपाई मिथ्या प्रचारकों ने इसे हिंदुओं के खिलाफ जनसंहार का आह्वान घोषित कर दिया। तमिलनाडू के सामाजिक न्याय और आत्मसम्मान के आंदोलन की आम भावना के साथ तारतम्य स्थापित करते हुए उदयनिधि ने जातीय उत्पीड़न, लैंगिक अन्याय और अन्य प्रतिगामी लक्षण, जिनका बचाव और बढ़ावा धर्म के नाम पर मिलता है, उनके संदर्भ में सनातन शब्द का प्रयोग किया है। हिन्दू धर्म के भीतर सुधार को रोकने, खास तौर पर प्रतिगामी रिवाज जैसे सती प्रथा और जातीय और लैंगिक पूर्वाग्रहों के निकृष्टतम रूप जो मनुस्मृति जैसे ग्रन्थों द्वारा थोपे गए, के बचाव के लिए हिन्दू धर्म और उसके ग्रन्थों के अनंत या शाश्वत होने का तर्क गढ़ा गया। अब संघ ब्रिगेड हिंदू धर्म, हिंदुत्व और सनातन को पर्यायवाची की तरह इस्तेमाल करता है। सामाजिक न्याय और सामाजिक समानता के संघर्ष को किसी धर्म के विरुद्ध टकराव की तरह प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और धार्मिक उन्माद खड़ा करके सामाजिक न्याय के आंदोलन को दबाने के षड्यंत्र का पर्दाफाश होना चाहिए।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments