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बुधवार, फ़रवरी 5, 2025
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केरल में निर्माण मजदूर का दैनिक मजदूरी 829 रूपये, जबकि गुजरात में मात्र 285 रूपये: इतना अंतर क्यों?

राजमिस्त्री मजदूर रेजा कुली एकता यूनियन ने उठाया सवाल

छत्तीसगढ़ (पब्लिक फोरम)। रिजर्व बैंक के रिपोर्ट के अनुसार केरला मे जहां वाम जनवादी मोर्चा की सरकार हैं वहां पर श्रमिकों के न्यूनतम दैनिक मजदूरी का दर देश के अन्य राज्य के अपेक्षा सबसे अधिक हैं। वही दूसरी तरफ केरला के विधायकों का भत्ता देश के सभी राज्यों के तुलना में सबसे कम हैं।

एक प्रेस वयान में राजमिस्त्री मजदूर रेजा कुली एकता यूनियन के राज्य कार्यकारी अध्यक्ष सुखरंजन नंदी ने बताया कि औद्योगिक रूप से सबसे विकसित राज्यों महाराष्ट्र व गुजरात में श्रमिकों के दैनिक पारिश्रमिक केरला के सरकारी निर्धारित न्यूनतम मजदूरी से अनेक कम हैं। लेकिन इन दोनों राज्यों में विधायकों का भत्ता केरल के विधायक भत्ता से बहुत अधिक हैं। रिजर्व बैंक के सन 2020-21 के रिपोर्ट के अनुसार केरला में निर्माण श्रमिकों का औसत दैनिक मजदूरी ₹ 829.70 हैं।जो कि राष्ट्रीय औसत दैनिक मजदूरी ₹ 362.20 से दो गुना अधिक हैं।

दूसरी तरफ उत्तरप्रदेश जहां भाजपा की सरकार है या बिहार जहां पर भाजपा की गठजोड़ सरकार हैं इन दोनो राज्यों में श्रमिकों की दैनिक मजदूरी राष्ट्रीय औसत ₹ 362.20 से भी कम हैं।
देश में पांच राज्यों जहा पर मजदूरों के दैनिक मजदूरी सबसे अधिक है (केरला ₹ 829.70,जम्मू-कश्मीर ₹492.60,तमिलनाडू ₹468.30,हिमाचल प्रदेश ₹ 445.80 ,हरियाणा ₹404.40 हैं।) सबसे कम पांच राज्यों जहां दैनिक मजदूरी सबसे कम है(त्रिपुरा ₹ 250,मध्यप्रदेश ₹263.50,गुजरात ₹285.10,पश्चिम बंगाल ₹308)।

भाजपा शासित गुजरात, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, त्रिपुरा जैसे राज्यों में राष्ट्रीय औसत दैनिक मजदूरी से कम मजदूरी श्रमिकों को मिलता हैं। उन्होने बताया कि छत्तीसगढ राज्य में भी निर्माण श्रमिकों का औसतन दैनिक मजदूरी राष्ट्रीय औसत मजदूरी से कम हैं। इस तरह कृषि मजदूरों का औसतन दैनिक मजदूरी सबसे अधिक केरला में हैं। केरला में औसतन कृषि श्रमिकों का मजदूरी ₹ 706.50 हैं जो राष्ट्रीय औसत मजदूरी ₹309.90 से दोगुना से अधिक हैं। कृषि श्रमिको के सबसे अधिक औसत मजदूरी प्राप्त होने वाले पांच राज्य ( केरला ₹ 706.50,जम्मू-कश्मीर ₹501.10, तामिलनाड़ू ₹ 434.20,हिमाचल प्रदेश ₹421.70,हरियाणा ₹ 384.80)

कृषि श्रमिकों का सबसे कम औसत मजदूरी जिन पांच राज्यों में मिलता है उन सभी राज्यों में भाजपा की ही सरकार हैं। (गुजरात ₹213.10,मध्यप्रदेश ₹ 217.60,मेघालय ₹ 245.70,महाराष्ट्र ₹267.70,त्रिपुरा ₹ 270 )हैं।
देश में निर्माण व कृषि मजदूरों का सबसे कम मजदूरी उस गुजरात में हैं जिस राज्य से स्वयं प्रधानमंत्री व गृहमंत्री का संबंध हैं।गुजरात माॅडल जिसे पूरे देश में प्रचार किया जा रहा है उस राज्य में मजदूरो की दयनीय स्थिति को ही उपरोक्त तथ्य को वयान करती है । सिर्फ गुजरात ही नहीं देश में भाजपा शासित राज्यों में मजदूरों को मिलने वाली औसत मजदूरी देश में सबसे कम हैं।

केरला जहां वाम जनवादी मोर्चा की सरकार हैं वहां मजदूरों की मजदूरी राष्ट्रीय औसत से दोगुना अधिक होने के साथ ही भाजपा शासित राज्यों से अनेक अधिक हैं। रिजर्व बैंक के रिपोर्ट के अनुसार केरला मे जहां वाम जनवादी मोर्चा की सरकार हैं वहां पर श्रमिकों के न्यूनतम दैनिक मजदूरी का दर देश के अन्य राज्य के अपेक्षा सबसे अधिक हैं।
वही दूसरी तरफ केरला के विधायकों का भत्ता देश के सभी राज्यों के तुलना में सबसे कम हैं। औद्योगिक रूप से सबसे विकसित राज्यों महाराष्ट्र व गुजरात में श्रमिकों के दैनिक पारिश्रमिक केरला के सरकारी निर्धारित न्यूनतम मजदूरी से अनेक कम हैं।लेकिन इन दोनों राज्यों में विधायकों का भत्ता केरल के विधायक भत्ता से बहुत अधिक हैं।

रिजर्व बैंक के सन 2020-21 के रिपोर्ट के अनुसार केरला में निर्माण श्रमिकों का औसत दैनिक मजदूरी ₹ 829.70 हैं।जो कि राष्ट्रीय औसत दैनिक मजदूरी ₹ 362.20 से दो गुना अधिक हैं।दूसरी तरफ उत्तरप्रदेश जहां भाजपा की सरकार है या बिहार जहां पर भाजपा की गठजोड़ सरकार हैं इन दोनो राज्यों में श्रमिकों की दैनिक मजदूरी राष्ट्रीय औसत ₹ 362.20 से भी कम हैं।
देश में पांच राज्यों जहा पर मजदूरों के दैनिक मजदूरी सबसे अधिक है (केरला ₹ 829.70,जम्मू-कश्मीर ₹492.60,तमिलनाडू ₹468.30,हिमाचल प्रदेश ₹ 445.80 ,हरियाणा ₹404.40 हैं।)

वही दूसरी तरफ सबसे कम पांच राज्यों जहां दैनिक मजदूरी सबसे कम है(त्रिपुरा ₹ 250,मध्यप्रदेश ₹263.50,गुजरात ₹285.10,पश्चिम बंगाल ₹308)।
भाजपा शासित गुजरात, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, त्रिपुरा जैसे राज्यों में राष्ट्रीय औसत दैनिक मजदूरी से कम मजदूरी श्रमिकों को मिलता हैं। इसतरह कृषि मजदूरों का औसतन दैनिक मजदूरी सबसे अधिक केरला में हैं। केरला में औसतन कृषि श्रमिकों का मजदूरी ₹ 706.50 हैं जो राष्ट्रीय औसत मजदूरी ₹309.90 से दोगुना से अधिक हैं।कृषि श्रमिको के सबसे अधिक औसत मजदूरी प्राप्त होने वाले पांच राज्य (केरला ₹706.50,जम्मू-कश्मीर ₹501.10, तामिलनाड़ू ₹ 434.20, हिमाचल प्रदेश ₹421.70,हरियाणा ₹ 384.80)

कृषि श्रमिकों का सबसे कम औसत मजदूरी जिन पांच राज्यों में मिलता है उन सभी राज्यों में भाजपा की ही सरकार हैं। (गुजरात ₹213.10,मध्यप्रदेश ₹ 217.60,मेघालय ₹ 245.70,महाराष्ट्र ₹267.70,त्रिपुरा ₹ 270 )हैं।
देश में निर्माण व कृषि मजदूरों का सबसे कम मजदूरी उस गुजरात में हैं जिस राज्य से स्वयं प्रधानमंत्री व गृहमंत्री का संबंध हैं।गुजरात माॅडल जिसे पूरे देश में प्रचार किया जा रहा है उस राज्य में मजदूरो की दयनीय स्थिति को ही उपरोक्त तथ्य को वयान करती है । सिर्फ गुजरात ही नहीं देश में भाजपा शासित राज्यों में मजदूरों को मिलने वाली औसत मजदूरी देश में सबसे कम हैं। वही दूसरी तरफ केरला जहां वाम जनवादी मोर्चा की सरकार हैं वहां मजदूरों की मजदूरी राष्ट्रीय औसत से दोगुना अधिक होने के साथ ही भाजपा शासित राज्यों से अधिक हैं।

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