शनिवार, नवम्बर 23, 2024
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प्रभावितों ने मुआवजे की कटौती के खिलाफ किया विरोध, जलाया “दानव रूपी रावण” प्रबंधन का पुतला!

कोरबा (पब्लिक फोरम)। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के कोरबा जिले में स्थित मेगा प्रोजेक्ट्स—गेवरा, दीपका, कुसमुंडा और कोरबा—से प्रभावित ग्रामीणों ने मुआवजे में कटौती के विरोध में प्रदर्शन किया। ग्रामीणों का आरोप है कि एसईसीएल प्रबंधन नए और पुराने कानूनों का सहारा लेकर उनके पैतृक संपत्ति का हक छीन रहा है। इसके चलते ग्रामीणों ने “दानव रूपी रावण” का पुतला जलाकर अपना आक्रोश व्यक्त किया।

प्रबंधन पर लगाया षड्यंत्र का आरोप
ऊर्जाधानी संगठन के प्रदेश मीडिया प्रभारी ललित महिलांगे ने आरोप लगाया कि एसईसीएल प्रबंधन कोल बैरिंग एक्ट, कोल इंडिया पॉलिसी, और लार पॉलिसी जैसे पुराने कानूनों का हवाला देकर ग्रामीणों के मुआवजे में कटौती कर रहा है। जबकि 2013 में लागू हुई छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति के अनुसार, ग्रामीणों को उनकी पैतृक संपत्ति के मुआवजे में सोलिसियम समेत चार गुना अधिक मुआवजा दिया जाना चाहिए, साथ ही उन्हें बसाहट के सभी आवश्यक प्रावधानों का लाभ मिलना चाहिए।

ग्रामीणों का कहना है कि खदान विस्तार के लिए प्रबंधन द्वारा बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी की जा रही है। इसके कारण गाँव के पानी के स्रोत, कुएं, और बोरवेल सूख रहे हैं, और स्कूलों व आंगनबाड़ियों में पढ़ने वाले बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा, भारी ब्लास्टिंग के कारण गांवों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा पर भी संकट खड़ा हो गया है।

प्रबंधन के खिलाफ ग्रामीणों का विरोध
ग्रामीणों ने अपने प्रदर्शन के दौरान आरोप लगाया कि उन्होंने देश के विकास के लिए अपनी पैतृक संपत्ति का त्याग किया, लेकिन एसईसीएल प्रबंधन द्वारा मुआवजे में कटौती कर बसाहट से वंचित किया जा रहा है। उनका कहना है कि प्रबंधन पुरानी नीतियों का हवाला देकर अपने उच्च अधिकारियों की प्रसन्नता के लिए मनमानी कर रहा है। इसके खिलाफ ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है।

प्रदर्शन के दौरान, ग्रामीणों ने “दानव रूपी रावण” प्रबंधन का पुतला दहन कर, दशहरा पर्व के प्रतीक के रूप में बुराई के खिलाफ संघर्ष की प्रतिज्ञा ली। उन्होंने कहा कि यदि मुआवजे और बसाहट के मुद्दों का समाधान नहीं हुआ तो वे आने वाले समय में अपने आंदोलन को तेज करेंगे।

प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग
ललित महिलांगे ने प्रशासन से आग्रह किया कि वह इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करे और प्रबंधन को 2013 की छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति के तहत मुआवजे और बसाहट के प्रावधानों का पालन सुनिश्चित करवाए। उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन ने इस मुद्दे का समाधान नहीं किया, तो प्रबंधन और कोयला खदान के खिलाफ विरोध के स्वर और तीव्र होंगे।

प्रभावित ग्रामीणों ने दशहरा के अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए इस बात पर जोर दिया कि उनकी जमीन का सही मूल्यांकन होना चाहिए और मुआवजा नए कानून के अनुसार मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब वे अपने अधिकारों के लिए मजबूती से खड़े रहेंगे और संघर्ष करते रहेंगे।

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