कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा नगर निगम एक बार फिर विवादों के घेरे में है। इस बार मामला निविदा प्रक्रिया में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है, जिसने शहर के राजनीतिक माहौल में हलचल मचा दी है। निगम के नेता प्रतिपक्ष कृपाराम साहू ने एक सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा है कि निगम प्रशासन द्वारा अपने पसंदीदा ठेकेदार को लाभ पहुँचाने के लिए नियमों को ताक पर रखकर एक निविदा प्रक्रिया को अंजाम दिया जा रहा है।
यह पूरा विवाद ई-निविदा क्रमांक 168445 से संबंधित है, जो 9 जुलाई 2025 को वार्ड क्रमांक 14 के अमरैय्यापारा में पावर टावर के पास नाला और सी.सी. सड़क निर्माण कार्य के लिए जारी की गई थी। नेता प्रतिपक्ष कृपाराम साहू ने इस मामले में सीधे महापौर संजू देवी राजपूत पर निशाना साधा है और प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री व जिले के प्रभारी मंत्री अरुण साव को एक विस्तृत पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है।
क्या हैं आरोप?
साहू के अनुसार, इस निविदा प्रक्रिया में कुल 18 ठेकेदारों ने हिस्सा लिया था। लेकिन एक सोची-समझी साजिश के तहत, 16 ठेकेदारों के आवेदनों को बिना किसी ठोस कारण के अवैध रूप से निरस्त कर दिया गया। अंत में, केवल दो ठेकेदारों को पात्र मानते हुए उनके नाम पर ही टेंडर खोला गया। साहू ने सवाल उठाया, “यह समझ से परे है कि आखिर किस आधार पर केवल दो ठेकेदारों को योग्य पाया गया, जबकि बाकी 16 ठेकेदारों ने भी वही दस्तावेज़ संलग्न किए थे जो चयनित ठेकेदारों ने किए थे।”
उन्होंने आगे कहा कि 18 में से सिर्फ दो ठेकेदारों के बीच निविदा खोलना एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना के विरुद्ध है।
नियमानुसार, कम से कम तीन ठेकेदारों को प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए था ताकि निगम को सबसे बेहतर दर पर काम करने का अवसर मिलता।
करोड़ों के काम में मात्र 3% की छूट?
नेता प्रतिपक्ष ने इस बात पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की कि इस कार्य का आवंटन मात्र 3 प्रतिशत की बिलो रेट (अनुमानित लागत से कम) पर किया गया है। जबकि निगम में इसी तरह के अन्य निर्माण कार्य लगभग 20 प्रतिशत बिलो रेट पर चल रहे हैं। इससे निगम के राजस्व को सीधे तौर पर नुकसान पहुँचाने का अंदेशा है।
प्रक्रिया पर भी उठे सवाल
श्री साहू ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि इस कार्य के लिए पहले भी एक निविदा जारी की गई थी, जिसे तकनीकी खामियों के कारण बिना खोले ही निरस्त कर दिया गया था। उनके अनुसार, जब पहली निविदा निरस्त हो गई, तो इस नई प्रक्रिया को “प्रथम निविदा” माना जाना चाहिए था। लेकिन निगम इसे “द्वितीय निविदा” मानकर जल्दबाजी में वर्क ऑर्डर जारी करने की तैयारी कर रहा है, जो कि नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।
नेता प्रतिपक्ष ने सीधे तौर पर आरोप लगाया है कि यह सब कुछ महापौर संजू देवी राजपूत के चहेते ठेकेदार को फायदा पहुँचाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। इस पत्र ने निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और अब सभी की निगाहें नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव के अगले कदम पर टिकी हैं।
Recent Comments