कोरबा (पब्लिक फोरम)। आज 24 अक्टूबर को जिले के स्कूलों में ताले लटके रहेंगे, क्योंकि शिक्षक संघर्ष मोर्चा के बैनर तले शिक्षकों ने अपनी 5 सूत्रीय मांगों के समर्थन में हड़ताल का आह्वान किया है। इस हड़ताल के कारण जिले के स्कूलों में पढ़ाई पूरी तरह से ठप रहेगी। हड़ताल के बाद जिला मुख्यालय में एक रैली निकालकर अपनी मांगों को और मजबूती से उठाया जाएगा।
शिक्षकों की मांगे और हड़ताल का कारण
शिक्षक संघर्ष मोर्चा के प्रमुख सदस्यों विनोद कुमार सांडे, वेदव्रत शर्मा और मनोज चौबे ने बताया कि सभी शिक्षक संगठनों ने एकजुट होकर यह संघर्ष मोर्चा बनाया है। उनका कहना है कि ये हड़ताल शिक्षकों के अधिकारों और उनके भविष्य को सुरक्षित करने के लिए है। पांच सूत्रीय मांगों को लेकर यह आंदोलन हो रहा है, जिनमें प्रमुख मांगे इस प्रकार हैं:
1. वेतन असमानता का समाधान: सहायक शिक्षकों के वेतन में मोदी जी की गारंटी के तहत वेतन विसंगति को दूर किया जाए।
2. वेतन निर्धारण: समतुल्य वेतनमान में सही वेतन निर्धारण करते हुए 1.86 के गुणांक पर वेतन सुनिश्चित किया जाए।
3. पुरानी पेंशन बहाली: सभी एलबी (LB) संवर्ग के शिक्षकों के लिए पुरानी पेंशन योजना की बहाली की जाए और उनकी सेवा अवधि की गणना की जाए।
4. महंगाई भत्ता: प्रदेश के सभी शिक्षकों और कर्मचारियों को केंद्र सरकार के अनुसार नियत तिथि पर महंगाई भत्ता दिया जाए।
5. क्रमोन्नति और वेतनमान: एलबी संवर्ग के शिक्षकों को क्रमोन्नति और समयमान वेतनमान दिया जाए। साथ ही, महंगाई भत्ते के एरियर राशि का समायोजन जीपीएफ/सीपीएफ के खातों में किया जाए।
शिक्षकों की पीड़ा और संघर्ष
शिक्षक संगठनों का कहना है कि उन्होंने कई बार सरकार से अपनी मांगों के लिए बातचीत की, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। यह हड़ताल शिक्षकों की वेदना और उनके संघर्ष की आवाज़ को बुलंद करने का एक प्रयास है। उनके अनुसार, शिक्षकों का मान-सम्मान और भविष्य दोनों ही दांव पर हैं।
शिक्षकों का यह मानना है कि उनकी मांगे पूरी तरह से न्यायोचित और व्यावहारिक हैं, और इन्हें पूरा करना सरकार की जिम्मेदारी है। वे अपनी हड़ताल के जरिए सरकार से अपील कर रहे हैं कि जल्द से जल्द उनकी मांगों को मान लिया जाए, ताकि शिक्षण कार्य प्रभावित न हो और शिक्षा व्यवस्था सामान्य हो सके।
संवेदनशील स्थिति में शिक्षा व्यवस्था
यह हड़ताल जिले के शिक्षा तंत्र को गंभीर रूप से प्रभावित करेगी। बच्चों की पढ़ाई रुक जाएगी, जिससे उनके शैक्षणिक परिणामों पर भी असर पड़ सकता है। ऐसे में सरकार और शिक्षक संगठनों के बीच संवाद आवश्यक है, ताकि समस्या का समाधान निकाला जा सके और शिक्षा व्यवस्था पटरी पर लौट सके।
शिक्षकों की मांगें न केवल उनके व्यक्तिगत हित से जुड़ी हैं, बल्कि इनसे प्रदेश की शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता और स्थिरता भी प्रभावित होती है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि सभी संबंधित पक्ष मिलकर एक व्यावहारिक और संवेदनशील हल निकालें, ताकि शिक्षकों का भविष्य और बच्चों की शिक्षा दोनों सुरक्षित रहें।
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