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शिक्षिका के अवैध संबंध और संतान: सेवा समाप्ति की अनुशंसा, छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग का बड़ा फैसला

कोरबा, छत्तीसगढ़ (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने कोरबा में आयोजित जनसुनवाई के दौरान एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक और सदस्य श्रीमती अर्चना उपाध्याय की उपस्थिति में हुई 327वीं जनसुनवाई में कुल 16 प्रकरणों पर विचार किया गया। इनमें से एक प्रकरण में अवैध संबंध से संतान पैदा करने वाली एक शिक्षिका की सेवा समाप्ति की अनुशंसा की गई है, जिससे पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया है।

शिक्षिका पर गंभीर आरोप और आयोग का निर्णय
सुनवाई के दौरान एक शिक्षिका के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी कि उनके एक अन्य पुरुष से संबंध हैं और उस संबंध से उन्हें एक 2 वर्षीय पुत्र है। आवेदिका, जो कि शिक्षिका की सास हैं, ने आरोप लगाया कि उनकी बहू शासकीय सेवा में रहते हुए अनैतिक संबंध में रह रही है और उसने बिना तलाक लिए एक बच्चे को जन्म दिया है।

शिक्षिका ने अपने बयान में बताया कि वह पिछले पांच साल से अपने पति से अलग रह रही है और शिक्षाकर्मी वर्ग 03 के पद पर कार्यरत रहते हुए अपने तीनों बच्चों का पालन-पोषण कर रही है। शिक्षिका ने यह भी दावा किया कि उनके तीसरे संतान का पिता उनका पति ही है। हालांकि, आवेदिका के पुत्र द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों से यह बात सामने आई कि तीसरे पुत्र का जन्म बंझोर चिकित्सालय में हुआ था, जहां के रिकॉर्ड में बच्चे के पिता के रूप में शिक्षिका के पति का नाम दर्ज है।

जांच के दौरान, जब शिक्षिका से डीएनए टेस्ट कराने के लिए कहा गया, तो उन्होंने इससे इनकार कर दिया। आयोग ने पाया कि शिक्षिका एक शासकीय सेवक हैं और उन्होंने बिना अपने पति से तलाक लिए एक अन्य पुरुष से संबंध बनाकर एक बच्चे को जन्म दिया है, जो ‘जारता’ (Adultery) के दायरे में आता है। इस आधार पर आयोग ने शिक्षिका की शासकीय सेवा समाप्त करने की अनुशंसा की है। साथ ही, आवेदिका और उनके पुत्र को यह भी अधिकार दिया गया है कि वे शिक्षिका से विधिवत तलाक की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। इस अनुशंसा के साथ प्रकरण को नस्तीबद्ध कर दिया गया है।

अन्य महत्वपूर्ण प्रकरणों पर भी हुई सुनवाई
जनसुनवाई में अन्य कई प्रकरणों पर भी विचार किया गया:-
– अतिथि व्याख्याता का मामला: एक अन्य मामले में, एक आवेदिका ने शिकायत की कि एम.फिल. के अंक नहीं जोड़ने के कारण उन्हें अतिथि व्याख्याता के पद पर नियुक्ति नहीं मिली, जबकि अनावेदक ने अपने परिचित को लाभ पहुंचाया। चूंकि अनावेदक अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, आवेदिका को आगामी सत्र के लिए पुनः आवेदन करने की सलाह दी गई और उन्हें जांच समिति के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के लिए आवेदन करने का अवसर दिया गया।

– ठेकेदार को लाभ पहुंचाने का आरोप: एक प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक पर ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। अनावेदक ने दस्तावेज मांगे, जिसे सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त किया जा सकता है। आवेदिका को अपना आवेदन संशोधित करने और अन्य संबंधित ठेकेदारों के खिलाफ भी शिकायत दर्ज करने को कहा गया। इस प्रकरण की अगली सुनवाई रायपुर में होगी।

– दहेज प्रताड़ना और मारपीट: एक अन्य मामले में, आवेदिका ने अनावेदकों के खिलाफ मारपीट और दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाया था। दोनों पक्षों को समझाया गया और आपसी राजीनामा के लिए सहमति बनी। सखी प्रशासिका, प्रोटेक्शन ऑफिसर और राज्य महिला आयोग की पूर्व सदस्य की टीम सुलह की शर्तें तैयार करेंगी और अगली सुनवाई रायपुर में होगी, जिसके बाद प्रकरण को निगरानी में रखा जाएगा।

– मकान तोड़ने का विवाद: एक वृद्ध महिला की शिकायत पर सुनवाई हुई, जिनकी चूड़ी से विवाहित बेटी थी। आवेदिका के पति की मृत्यु 10 वर्ष पूर्व हो चुकी थी और वह आवास योजना के तहत अपना मकान बना रही थी, जिसे अनावेदकों ने तोड़ दिया, जिससे उन्हें लगभग 50,000 रुपये का नुकसान हुआ। आवेदिका को संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज कराने और वसूली का प्रकरण लगाने की सलाह दी गई।

– अवैध संबंध की धमकी: एक और प्रकरण में, आवेदिका ने शिकायत की कि उनके पति का अनावेदिका क्रमांक 01 के साथ अवैध संबंध था, जिसे उनके पति ने समाप्त कर लिया है, लेकिन अनावेदिका उन्हें ‘रेप’ के केस में फंसाने की धमकी दे रही है। आयोग की समझाइश पर दोनों अनावेदकों ने माफी मांगी और भविष्य में किसी प्रकार का संबंध न रखने की बात कही।

यह जनसुनवाई महिला उत्पीड़न से संबंधित मामलों में न्याय दिलाने की आयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। विशेष रूप से शिक्षिका के मामले में लिया गया निर्णय शासकीय सेवा में नैतिकता और अनुशासन बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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