कोरबा (पब्लिक फोरम)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) जिला कोरबा के सचिव कामरेड पवन कुमार वर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में भाजपा सरकारों द्वारा लागू किए गए नेम प्लेट लगाने के आदेश पर रोक लगाने के फैसले का स्वागत किया गया है।
कामरेड वर्मा ने बताया कि ये आदेश न केवल असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक थे, बल्कि यह मानवाधिकारों का भी उल्लंघन करते थे। उन्होंने इसे जनविरोधी और सांप्रदायिक ताकतों द्वारा जनता के बीच नफरत फैलाने और आर्थिक संकट उत्पन्न करने की साजिश करार दिया।
सीपीआई का मानना है कि ऐसे तुगलकी फरमान सांझी संस्कृति और गंगा-जमुनी तहज़ीब को तोड़ने का प्रयास करते हैं और आपसी भाईचारे को नुकसान पहुंचाते हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इन नीतियों पर अंकुश लगाने में महत्वपूर्ण साबित होगा।
वर्मा ने आगे कहा कि भविष्य में इस तरह की जनविरोधी कार्रवाइयों को रोकने के लिए प्रभावी उपाय किए जाने चाहिए ताकि किसी भी सरकार को मनमाने तरीके से ऐसे आदेश जारी करने का अवसर न मिले।
यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला न केवल न्याय की जीत है, बल्कि यह देश की सांझी संस्कृति और आपसी भाईचारे की रक्षा करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने इस निर्णय को स्वागत योग्य बताते हुए, जनता से आग्रह किया कि वे सांप्रदायिक और विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ सतर्क रहें और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संगठित होकर संघर्ष करें।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सांप्रदायिक नीतियों पर लगा अंकुश: सीपीआई ने जताया संतोष
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