🔹छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के तत्वावधान में पांच वर्षों से हो रहा आयोजन।
🔹घंटाघर से भोजली घाट डेंगू नाला तक निकलेगी “जबर भोजली रैली”।
🔹लोक नृत्य, संगीत और पारंपरिक कलाओं का होगा मनमोहक प्रदर्शन।
कोरबा/बालकोनगर (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ की पावन भूमि, जो अपनी समृद्ध लोक परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत के लिए जानी जाती है, एक बार फिर अपने सबसे खूबसूरत त्योहारों में से एक, भोजली तिहार के रंगों में सराबोर होने के लिए तैयार है। कोरबा में यह उत्सव हर साल की तरह इस वर्ष भी पूरे उत्साह और धूमधाम से मनाया जाएगा। छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के अथक प्रयासों से विगत पांच वर्षों से आयोजित हो रहा यह कार्यक्रम, अब शहर की सांस्कृतिक पहचान का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। इस वर्ष 10 अगस्त को एक बार फिर प्रकृति के प्रति आभार और गहरी दोस्ती का यह पर्व मनाया जाएगा, जिसमें परंपरा, आस्था और सामाजिक समरसता का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा।
परंपरा और संस्कृति का अनूठा संगम
भोजली पर्व केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के जन-जीवन का प्रतिबिंब है। यह अच्छी फसल, खुशहाली और जीवन में हरियाली की कामना का प्रतीक है। इस पर्व में गेहूं के नन्हे पौधों (भोजली) को देवी का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है और रक्षाबंधन के दूसरे दिन उन्हें पूरी श्रद्धा के साथ जल में विसर्जित किया जाता है। यह त्योहार आपसी रिश्तों की मिठास का भी पर्व है, जहां लोग एक-दूसरे के कानों में भोजली लगाकर जीवन भर की मित्रता का संकल्प लेते हैं, जिसे “मितान बदना” कहा जाता है।
रंगारंग कार्यक्रमों से सजेगा महोत्सव
इस वर्ष का आयोजन और भी भव्य होने जा रहा है। छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने इस दिन को अविस्मरणीय बनाने के लिए विभिन्न रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक लंबी श्रृंखला तैयार की है। कार्यक्रम की शुरुआत छोटे-छोटे बच्चों द्वारा प्रस्तुत मनमोहक भोजली लोक-नृत्य से होगी, जो अपनी मासूमियत और कला से दर्शकों का दिल जीत लेंगे। इसके साथ ही, छत्तीसगढ़ के प्राण समझे जाने वाले कर्मा, सुआ, बस्तरिया, गेंड़ी नृत्य, रावत नाचा और पंथी नृत्य जैसे पारंपरिक लोक नृत्यों की मोहक प्रस्तुतियां भी होंगी। ये सभी कार्यक्रम छत्तीसगढ़ की लोक-कला की जीवंतता और विविधता को प्रदर्शित करेंगे।

आकर्षण का केंद्र होगी “जबर भोजली रैली”
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण “जबर भोजली रैली” होगी। यह विशाल शोभा यात्रा कोरबा के ऐतिहासिक घंटाघर चौक से प्रारंभ होगी और शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए ढेंगुरनाला, बालको रोड पर स्थित भोजली घाट पर समाप्त होगी। इस रैली में हजारों की संख्या में लोग, पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे, सिर पर भोजली की टोकरियां लिए हुए और भोजली के पारंपरिक गीत गाते हुए शामिल होंगे। यह दृश्य न केवल आस्था का परिचायक होगा, बल्कि सामाजिक एकता और अपनी संस्कृति के प्रति गर्व की भावना को भी दर्शाएगा।
आयोजन समिति का नगरवासियों को न्योता
पिछले पांच वर्षों से इस आयोजन को सफलतापूर्वक संपन्न करा रही आयोजन समिति ‘छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना’ ने कोरबा के सभी नगरवासियों को इस गरिमामय कार्यक्रम में शामिल होने के लिए हार्दिक रूप से आमंत्रित किया है। समिति का कहना है कि यह आयोजन किसी एक व्यक्ति या संगठन का नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ की संस्कृति का उत्सव है। उन्होंने सभी से अपील की है कि वे अधिक से अधिक संख्या में आकर इस महोत्सव की शोभा बढ़ाएं और अपनी आने वाली पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने के इस पवित्र प्रयास का हिस्सा बनें। यह महोत्सव न केवल मनोरंजन करेगा, बल्कि लोगों के दिलों को छूकर उन्हें अपनी मिट्टी की महक और परंपराओं की गहराई का अहसास भी कराएगा।
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