युद्धोन्माद के ख़िलाफ़ ‘हम देखेंगे’ की शांति और न्याय की सशक्त अपील
नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। पहलगाम की हृदय विदारक त्रासदी ने पूरे राष्ट्र को शोक संतप्त कर दिया है। जनभावनाएँ उद्वेलित हैं, हृदय गहरे दुख से भरा है, और हर भारतीय नागरिक इस पीड़ा को महसूस कर रहा है। किंतु इस असीम वेदना के बीच एक और भयावह प्रवृत्ति सिर उठा रही है – युद्ध का उन्माद, जिसे कुछ मीडिया चैनल अत्यंत गैर-ज़िम्मेदाराना तरीके से हवा दे रहे हैं।
टीआरपी की अंधी दौड़ में वे किसी भी विनाशकारी और ध्वंसकारी हद तक जाने को तत्पर हैं। परिणामों की रत्ती भर परवाह किए बिना वे प्रतिशोध की ऐसी चीखें लगा रहे हैं, मानो वे इस भयावह सच्चाई से पूरी तरह अनभिज्ञ हों कि दो परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों के बीच युद्ध की क्या भीषण और अकल्पनीय कीमत चुकानी पड़ सकती है। वे सरकार को कठघरे में खड़ा कर यह मूलभूत प्रश्न नहीं पूछ रहे कि एक अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था में इतनी गंभीर चूक हुई कैसे? उस पूरे इलाके में एक भी सैनिक या स्थानीय खुफिया इकाई का कोई कर्मचारी क्यों मौजूद नहीं था? सरकार की इस घोर आपराधिक लापरवाही पर सवाल उठाने के बजाय, युद्ध का राग अलाया जा रहा है।
घृणा, क्रोध और तात्कालिक आवेग को विवेक और समझ पर हावी न होने दें। युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है – यह कूटनीति की चरम विफलता है, और संपूर्ण मानवता की पराजय है। यह किसी को नहीं बख्शता। यह बस्तियों को उजाड़ता है, खुशियों को छीनता है, और सीमा के दोनों ओर के बच्चों को अनाथ कर देता है। भारत और पाकिस्तान के आम लोग परस्पर दुश्मन नहीं हैं; वे दोनों ही राजनीति और दुष्प्रचार के शिकार हैं। वे एक ही आकाश के नीचे रहते हैं, समान मानवीय भावनाओं और दुखों को साझा करते हैं।
इस समय युद्ध की बात करना उन वीर शहीदों की स्मृति का घोर अपमान होगा। सच्चा न्याय प्रतिशोध या विध्वंस में नहीं, बल्कि सुदृढ़ कानूनी प्रक्रिया, स्पष्ट जवाबदेही तय करने, और शांतिपूर्ण किंतु दृढ़ प्रतिरोध में निहित है। हम आतंकवाद को इतना शक्तिशाली न होने दें कि हम अपने ही समाजों को नफ़रत और हिंसा से विखंडित कर दें।
हम भारत के समस्त नेताओं से पुरज़ोर अपील करते हैं: कृपया विवेक, संयम और शांति के पक्ष में अडिग रहें, क्योंकि यही किसी महान राष्ट्र की असली पहचान होती है। और मीडिया से हमारा आग्रह है: इस रक्त पिपासु उन्माद को राष्ट्रवाद के भेष में बेचना तुरंत बंद करें। आपकी fundamental ज़िम्मेदारी जनता को निष्पक्ष जानकारी प्रदान करना है, न कि आग भड़काना।
पहलगाम की यह दर्दनाक त्रासदी हमें नफ़रत में नहीं, बल्कि एक दृढ़ संकल्प में एकजुट करे – शांति की स्थापना के लिए, अपने लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए, और समाज के घावों को भरने के लिए – न कि उन्हें और गहरा करने के लिए। हमें युद्ध नहीं, बल्कि शांति चाहिए – हमारी जनता के उज्ज्वल भविष्य के लिए।
इसी स्पष्ट और विवेकपूर्ण दृष्टिकोण के साथ, अखिल भारतीय सांस्कृतिक प्रतिरोध अभियान ‘हम देखेंगे’ भारत सरकार और देश की जनता के समक्ष निम्नलिखित पाँच सूत्रीय अपील प्रस्तुत करता है:
– कूटनीतिक विजय सुनिश्चित करें: युद्ध के उन्माद को त्याग कर कूटनीतिक प्रयासों में विजय सुनिश्चित की जाए। इस हमले के हमलावर-हत्यारों की तत्काल पहचान कर उन्हें पकड़ा जाए और गहन पूछताछ के बाद प्राप्त ठोस सबूतों के आधार पर पहलगाम घटना में पाकिस्तान की संलिप्तता को उजागर करते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ में एक प्रभावी प्रस्ताव लाया जाए।
– जवाबदेही तय करें और सुधार करें: सुरक्षा व्यवस्था में बार-बार हो रही गंभीर चूकों के लिए संबंधित एजेंसियों और सरकार की जवाबदेही स्पष्ट रूप से तय की जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस एवं प्रभावी कदम उठाए जाएं।
– सांप्रदायिक वैमनस्य रोकें: राष्ट्रीय एकता को खंडित करने तथा देश में किसी भी रूप में सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने वाली तमाम विघटनकारी कोशिशों पर प्रभावशाली ढंग से रोक लगाई जाए।
– महिलाओं पर हमले बंद करें: सांप्रदायिक उन्माद और किसी विशेष समुदाय के विरुद्ध नफ़रत के ख़िलाफ़ विवेकपूर्ण आवाज़ उठाने वाली महिलाओं (Survivors) पर सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे घृणित और दुर्भावनापूर्ण अभियानों को तत्काल रोका जाए, तथा ऐसे अभियानों के सूत्रधारों और अपराधियों को कड़ी दण्डित किया जाए।
– कश्मीर के अधिकार बहाल करें: आतंकवाद की एक स्वर से निंदा और विरोध करने में कश्मीरी आवाम द्वारा दिखाई गई पहल का स्वागत किया जाए। इसके साथ ही, उनके नागरिक अधिकारों की अविलंब बहाली की जाए, जम्मू और कश्मीर को पुनः राज्य का दर्जा दिया जाए, और राज्य सरकार के वे सभी संवैधानिक अधिकार बहाल किए जाएं जो भारतीय संघ के अन्य राज्यों को प्राप्त हैं।
(जारीकर्ता : अखिल भारतीय दलित महिला मंच, इप्टा, जन नाट्य मंच, जनवादी लेखक संघ, जन संस्कृति मंच, न्यू सोशलिस्ट इनिशिएटिव, प्रगतिशील लेखक संघ, प्रतिरोध का सिनेमा, स्त्री दर्पण और अन्य साथी संगठनों का साझा मंच — अखिल भारतीय सांस्कृतिक प्रतिरोध अभियान ‘हम देखेंगे’)
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