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मंगलवार, नवम्बर 18, 2025
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अंबिकापुर: पत्रकारों पर अभद्र टिप्पणी, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर आकांक्षा टोप्पो के खिलाफ उबाल; कानूनी कार्रवाई की मांग

अंबिकापुर (पब्लिक फोरम)। सरगुजा जिले के सीतापुर विधानसभा क्षेत्र में मीडिया जगत इन दिनों तूफान के बीच खड़ा है। सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर आकांक्षा टोप्पो के एक वायरल वीडियो ने स्थानीय पत्रकार समुदाय को गहरा आघात पहुँचाया है। वीडियो में पत्रकारों के प्रति की गई अभद्र और आपत्तिजनक टिप्पणियों ने न केवल मीडियाकर्मियों की गरिमा को ठेस पहुँचाई है, बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की प्रतिष्ठा पर भी सीधा प्रहार किया है।

आक्रोशित पत्रकारों ने मंगलवार को मैनपाट थाना प्रभारी के माध्यम से सरगुजा पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर अपनी आवाज बुलंद की। इस ज्ञापन में वायरल वीडियो की निष्पक्ष जांच और आकांक्षा टोप्पो के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है। पत्रकारों का कहना है कि यह मामला केवल शब्दों का नहीं, बल्कि पूरे पत्रकारिता पेशे की अस्मिता और सम्मान से जुड़ा है।

स्थानीय पत्रकारों ने स्पष्ट किया कि इस तरह की असंवेदनशील और अपमानजनक टिप्पणियाँ न केवल पत्रकारिता के मूल्यों का अपमान करती हैं, बल्कि समाज में मीडिया के प्रति अविश्वास और दुर्भावना का माहौल भी पैदा करती हैं। उनका मानना है कि सोशल मीडिया की आड़ में किसी को भी जिम्मेदार पत्रकारों का सार्वजनिक अपमान करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता।

पत्रकार संगठनों ने प्रशासन और पुलिस को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि शीघ्र और ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो वे सड़क पर उतरकर संगठित आंदोलन करने को मजबूर होंगे। मौके पर उपस्थित वरिष्ठ पत्रकारों ने जोर देकर कहा, “यह लड़ाई किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं है। यह लड़ाई पूरी पत्रकारिता की गरिमा, उसके सम्मान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए है।”

पत्रकारों का कहना है कि मीडिया लोकतंत्र की आत्मा है। बिना स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता के लोकतंत्र की कल्पना अधूरी है। हर पत्रकार का कर्तव्य है कि वह अपने पेशे के सम्मान की रक्षा करे और किसी भी तरह के अन्याय के खिलाफ आवाज उठाए।

इस घटना को पत्रकार संगठनों ने “लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा हमला” करार दिया है। उन्होंने राज्य सरकार से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने और संज्ञान लेने की मांग की है। सरगुजा के मीडिया प्रतिनिधियों ने एकजुट होकर स्पष्ट संदेश दिया है: “पत्रकारों की गरिमा पर किसी भी तरह का वार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मीडिया का सम्मान अडिग था, है और हमेशा रहेगा।”

मामले का महत्व
यह मामला सिर्फ एक वायरल वीडियो या व्यक्तिगत विवाद तक सीमित नहीं है। यह उस बड़े सवाल को सामने लाता है कि सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के दौर में जिम्मेदारी और जवाबदेही की सीमाएँ क्या होनी चाहिए। क्या सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर किसी भी पेशे, व्यक्ति या संस्था का अपमान करने की खुली छूट मिल सकती है?

पत्रकार समुदाय का यह संघर्ष केवल अपने सम्मान की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि उस लोकतांत्रिक ढाँचे को मजबूत बनाए रखने के लिए भी है, जिसमें मीडिया की भूमिका सबसे अहम और संवेदनशील मानी जाती है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन और पुलिस इस मामले में कितनी तत्परता से कार्रवाई करते हैं और न्याय की उम्मीद लगाए बैठे पत्रकारों को कितनी जल्दी राहत मिलती है।

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