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शुक्रवार, जून 6, 2025
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बालकोनगर के भाई-बहन ने पुणे में राष्ट्रीय संगीत प्रतियोगिता में लहराया परचम

बालकोनगर (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के जिला कोरबा बालकोनगर के प्रांजल साहू और आरोही साहू ने पुणे में आयोजित 21वीं राष्ट्रीय संगीत एवं सेमी क्लासिकल नृत्य प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन कर छत्तीसगढ़ का मान बढ़ाया है। प्रांजल ने तबला वादन में प्रथम स्थान तो आरोही ने सेमी क्लासिकल नृत्य में द्वितीय स्थान हासिल किया है।

अखिल भारतीय संस्कृति संघ पुणे द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता का आयोजन 21 से 24 मई तक पुणे, महाराष्ट्र में किया गया था। इस चार दिवसीय कार्यक्रम में छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के लगभग चार हजार कलाकारों ने भाग लिया था।

युवा तबला वादक प्रांजल साहू ने जूनियर वर्ग में अपने बेहतरीन प्रदर्शन से जज और दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और प्रथम स्थान अर्जित किया। वहीं उनकी छोटी बहन आरोही साहू ने सेमी क्लासिकल नृत्य की श्रेणी में अपनी लयबद्ध प्रस्तुति से द्वितीय स्थान हासिल किया।

गुरुओं का मार्गदर्शन
प्रांजल साहू वर्तमान में मोरध्वज वैष्णव और नवीन महंत से तबला वादन की उच्च कोटि की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उनकी बहन आरोही साहू प्रसिद्ध नृत्यांगना मौसमी शाह शर्मा के निर्देशन में नृत्य कला में निपुणता हासिल कर रही है। दोनों कलाकारों के गुरुओं के समर्पित मार्गदर्शन का ही परिणाम है यह उपलब्धि।

अंतरराष्ट्रीय स्तर का अवसर
इस सफलता के साथ ही प्रांजल और आरोही दोनों का चयन आगामी अंतरराष्ट्रीय संगीत स्पर्धा के लिए हो गया है। यह उनके कलात्मक सफर में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है जो उन्हें विश्व मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान करेगा।

पारिवारिक पृष्ठभूमि
प्रांजल साहू और आरोही साहू, बालको वेदांता में कार्यरत डेमेश साहू के सुपुत्र और सुपुत्री हैं। इस सफलता से न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे बालकोनगर क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई है।

यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ की बढ़ती सांस्कृतिक पहचान का प्रमाण है। राज्य के युवा कलाकारों द्वारा राष्ट्रीय मंच पर इस प्रकार की सफलता प्राप्त करना न केवल उनके व्यक्तिगत विकास के लिए बल्कि प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

इससे अन्य युवाओं को प्रेरणा मिलेगी और वे भी पारंपरिक कलाओं में अपना भविष्य देखने को प्रेरित होंगे। साथ ही यह दिखाता है कि उचित मार्गदर्शन और निरंतर अभ्यास से छोटे शहरों के बच्चे भी बड़े मंचों पर सफलता पा सकते हैं।

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