कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के कोरबा मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य सेवाओं की एक ऐसी गंभीर लापरवाही सामने आई है, जिसने मानवीय संवेदनशीलता और अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। एक सड़क दुर्घटना में मृत युवक के शव को नियमानुसार पोस्टमार्टम कराए बिना ही परिजनों को सौंप दिया गया, जिसके बाद परिजन अपने गांव जाकर अंतिम संस्कार की तैयारियों में जुट गए थे। इस हैरतअंगेज घटना का खुलासा तब हुआ जब पुलिस पोस्टमार्टम के लिए शवगृह पहुंची और वहां शव नदारद मिला।
लापरवाही की पूरी दास्तान
यह चौंकाने वाला मामला कोरबा के बांगो थाना क्षेत्र के ग्राम लेपरा निवासी हीरा साय यादव से जुड़ा है। जानकारी के अनुसार, हीरा साय यादव अपने एक साथी के साथ देर रात एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए। गंभीर रूप से घायल अवस्था में दोनों को पहले पोड़ी-उपरोड़ा के उप स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। वहां हालत गंभीर होने पर उन्हें जिला मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। दुर्भाग्यवश, इलाज के दौरान रात लगभग 2:10 बजे हीरा साय यादव ने दम तोड़ दिया।
मृत्यु के बाद, अस्पताल प्रशासन ने नियमों को ताक पर रखकर शव को पोस्टमार्टम के लिए शवगृह में सुरक्षित रखने के बजाय, सीधे परिजनों के हवाले कर दिया। परिजन भी, शायद कानूनी प्रक्रियाओं से अनभिज्ञता के कारण, शव को लेकर अपने गांव ले गए और दिवंगत आत्मा की अंतिम विदाई की तैयारियों में जुट गए।
पुलिस की मुस्तैदी ने रोकी बड़ी चूक
इस पूरी घटना से मेडिकल कॉलेज प्रशासन पूरी रात बेखबर गहरी नींद में सोता रहा। सुबह जब जिला अस्पताल चौकी की पुलिस को युवक की मृत्यु की जानकारी मिली और उन्हें पोस्टमार्टम हेतु मेमो सौंपा गया, तब इस गंभीर चूक का पर्दाफाश हुआ। पुलिसकर्मी जब शवगृह पहुंचे तो वहां शव मौजूद नहीं था। इस पर पुलिसकर्मियों ने सख्त ऐतराज जताते हुए मेमो लेने से साफ इनकार कर दिया।
स्थिति की गंभीरता को समझते हुए, पुलिस ने तत्काल परिजनों से संपर्क साधा और उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया।
पुलिस के त्वरित हस्तक्षेप के बाद ही परिजनों ने अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को रोका। यदि पुलिस ने समय रहते हस्तक्षेप न किया होता, तो एक बड़ी कानूनी और मानवीय गलती हो चुकी होती।
परिजनों का दर्द और व्यवस्था पर सवाल
मृतक हीरा साय यादव के परिजनों ने बताया कि उन्हें अस्पताल की ओर से पोस्टमार्टम की अनिवार्यता के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें सीधे शव सौंप दिया गया। इस घटना ने परिजनों को भावनात्मक रूप से गहरा आघात पहुंचाया है, जिन्हें अपने प्रियजन के अंतिम संस्कार को बीच में रोकने जैसा दर्दनाक अनुभव झेलना पड़ा। यह घटना केवल नियमों का उल्लंघन नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं के साथ खिलवाड़ भी है।
डीन ने दिया जांच का आश्वासन, कड़ी कार्रवाई की बात
इस संवेदनशील मामले पर जिला मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डीन ने अपनी अनभिज्ञता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस घटना की जानकारी नहीं थी और वे इसे गंभीरता से ले रहे हैं। डीन ने आश्वासन दिया है कि मामले की गहनता से जांच की जाएगी और इसमें दोषी पाए जाने वाले लापरवाह कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
पुलिस ने शव को दोबारा पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कॉलेज लाने के बाद आगे की कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी है। यह घटना प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में व्याप्त कमियों को उजागर करती है और यह सवाल खड़ा करती है कि क्या हमारे अस्पताल मरीजों और उनके परिजनों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से निभा रहे हैं? यह आवश्यक है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए।
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