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रविवार, फ़रवरी 23, 2025
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जवान बनाम नारंगी गैंग के मुंह पर शाहरुख का तमाचा

अकादमिक गोष्ठियों में शिरकत करने वाले साहित्यकारों, लेखकों, कवियों और जरुरत से ज्यादा गंभीरता ओढ़कर जीने वाले विचारकों को जवान फिल्म नहीं देखनी चाहिए। यह फिल्म उनके लिए नहीं बनी है। वैसे भी जनवाद का छेद वाला कंबल ओढ़कर आकाश की ओर ताकने वाले विचारकों के लिए जो फिल्में बनती है उसे ‘ उन्हें ‘ छोड़कर और कोई दूसरा नहीं देखता है।
जवान एक भरपूर मसाला फिल्म है। इस फिल्म में वह सब कुछ है जो एक मसाला दोसा में होता है। आपको नाश्ते में दोसा पसंद है तो खाइए, नहीं तो बहुसंख्यक आबादी के मुंह में जबरदस्ती ढोकला ठूंसने की जो कवायद हो रही है, उसे खाने के लिए आप भी लाइन में खड़े हो सकते हैं।
शाहरुख की इस फिल्म में किसान आत्महत्या, देश की रक्षा के लिए उपयोग में लाए जाने वाले हथियारों के सप्लाई में गड़बड़ी, चरमराई हुई स्वास्थ्य व्यवस्था को जबरदस्त ढंग से पेश किया गया है। इस फिल्म में शाहरुख की एक जिम्मेदार नागरिक और अभिनेता की हैसियत से सुलझी हुई टिप्पणी भी देखने-सुनने को मिलती है.एक देश-एक चुनाव की चर्चाओं के बीच जब शाहरुख धर्म और संप्रदाय-सांप्रदायिकता का लबादा ओढ़कर राजनीति करने वालों को निशाने पर लेते हैं तो यह साफ समझ में आता है कि वे किस दल की करतूतों पर चोट कर रहे हैं। फिल्म में ईवीएम भी है और मतदाताओं के ऊंगली पर लगने वाले निशान का महत्व भी।

नारंगी लंपटों ने शाहरुख और उसके परिवार के साथ जो कुछ किया वह किसी से छिपा नहीं है। बतौर अभिनेता शाहरूख खान इस फिल्म में सारी बातों का अपने ढंग से जवाब देते हैं। एक कलाकार के तौर पर दिए जाने वाले उनके जवाब से दर्शक भीतर ही भीतर खुशी का अनुभव करता है। शाहरुख की फिल्म जवान नारंगी गैंग से ताल्लुक रखने वाले लंपटों के मुंह पर जोरदार तमाचा है।
मनोरंजन के भरपूर डोज से गुजरना हो तो
यह फिल्म अवश्य देखी जानी चाहिए।

मैंने यह फिल्म इसलिए देखी क्योंकि हमेशा की तरह नारंगी गैंग ने फिल्म का बॉयकॉट कर दिया था। सोशल मीडिया पर यह बॉयकॉट अभी भी चल रहा है। वैसे नारंगी गैंग जिस फिल्म का भी बॉयकॉट करता है, मैं उस फिल्म को अवश्य देखता हूं और दो-तीन बार देखता हूं। मैंने पठान भी दो बार देखी थी।

मैं जागा हुआ असली हिन्दू हूं और मेरा मानना है कि पूरी दुनिया प्रेम और मोहब्बत से ही चलने वाली है। यह देश हम सबका है जिसमें हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख-ईसाई सब मिल-जुलकर रहने वाले हैं। फिल्म का निर्देशक कोई एटली है, जिसका निर्देशन जानदार और शानदार है। फिल्म का हर फ्रेम बंधा हुआ है।
फिल्म में कुछ कमियां भी हैं बावजूद इसके फिल्म की नीयत बेहद साफ है। फिल्म के निर्देशक एटली और शाहरुख खान को इसलिए भी बधाई दी जानी चाहिए कि उनके दिमाग में देश को नफ़रत की आग में झोंकने वाले एजेंडे के तहत कश्मीर और केरला फ़ाइल जैसी प्रोपेगंडा फिल्म बनाने का विचार नहीं आया।
कोई तो ऐसा निर्देशक और अभिनेता सामने आया जो यह बताने की कोशिश कर रहा है जो कुछ भी देश में घट रहा है वह ठीक नहीं है। यह फिल्म एक जरूरी हस्तक्षेप लगती है।
बाकी फिल्म की कहानी क्या है? किसका अभिनय जानदार है? संगीत कैसा है? यह सब जानने समझने के लिए सिनेमा हॉल जाइए। नारंगी गैंग के लोग नाश्ते में गोबर खाकर शीर्षासन करेंगे तब भी शाहरुख की इस फिल्म को हिट होने से नहीं रोक पाएंगे। आसार बता रहे हैं कि फिल्म ‘जवान’ तगड़ी कमाई करने जा रही है।
-राजकुमार सोनी

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