back to top
होमआसपास-प्रदेश26 संविदा कर्मियों की सेवाएं समाप्त, भविष्य अंधकार में; मुख्यमंत्री से लगाई...

26 संविदा कर्मियों की सेवाएं समाप्त, भविष्य अंधकार में; मुख्यमंत्री से लगाई गुहार

कोरबा (पब्लिक फोरम)। एक साल तक जिले की पशु चिकित्सा सेवाओं में अहम भूमिका निभाने वाले 26 संविदा सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारियों के सामने अब रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। जिला खनिज संस्थान न्यास (DMF) की ओर से इन कर्मचारियों को सेवा समाप्ति का नोटिस दे दिया गया है। यह खबर जैसे ही इन कर्मियों को मिली, उनमें हड़कंप मच गया और चिंता की लहर दौड़ गई। परिवार की आजीविका और भविष्य को लेकर वे गहरी चिंता में डूब गए हैं।

एक साल पहले मिला था नियुक्ति आदेश
दिनांक 11 दिसंबर 2024 को जिला खनिज न्यास द्वारा इन 26 युवाओं की संविदा नियुक्ति हुई थी। कार्यालय उप संचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं, कोरबा के आदेश अनुसार 12 दिसंबर 2024 से इन्हें जिले की विभिन्न संस्थाओं में कार्यभार सौंपा गया था। ये सभी कर्मचारी वर्तमान में पशु चिकित्सा विभाग के अधीन विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं, लेकिन अब 31 मई 2025 को उनकी सेवाएं समाप्त की जा रही हैं।

पद खाली, काम अधिक, फिर भी सेवा समाप्ति?
पशु चिकित्सा विभाग में पहले से ही स्टाफ की भारी कमी है। विभाग में कुल 74 पद हैं, जिनमें से 34 अभी भी रिक्त हैं। ऐसे में 26 अतिरिक्त कर्मचारियों की सेवाएं रोक देना विभाग के कामकाज को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। टीकाकरण, पशु उपचार, बधियाकरण जैसे कार्यों में बाधा आ सकती है, जिसका सीधा असर किसानों और पशुपालकों पर पड़ेगा।

मुख्यमंत्री से लगाई गुहार
इन संविदा कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री को ऑनलाइन आवेदन कर अपनी सेवाएं जारी रखने की अपील की है। उन्होंने कहा, “हमने बीते एक वर्ष में पूरी निष्ठा और जिम्मेदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है। विभाग में हमारी अनुपस्थिति से संस्थाएं रिक्त हो जाएंगी और पशु सेवा के कार्य प्रभावित होंगे। साथ ही, हमारी बेरोजगारी से हमें और हमारे परिवार को भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा।”

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि छत्तीसगढ़ सरकार युवाओं के रोजगार और कौशल विकास को लेकर हमेशा संवेदनशील रही है और हजारों युवाओं को सेवा के अवसर मिले हैं। ऐसे में उन्होंने आग्रह किया है कि सरकार उनकी पीड़ा को समझे और उनकी संविदा सेवा अवधि को बढ़ाए।

सरकार से उम्मीदें, भविष्य अधर में
इन कर्मचारियों की बात में केवल व्यक्तिगत पीड़ा ही नहीं, बल्कि एक व्यापक सामाजिक प्रभाव की चेतावनी भी छिपी है। यदि इनकी सेवाएं समाप्त हो जाती हैं, तो न केवल ये युवा बेरोजगार होंगे, बल्कि पशु चिकित्सा विभाग की सेवाएं भी प्रभावित होंगी। ऐसे में यह केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि एक मानवीय मुद्दा भी बन गया है।

अब सबकी नजरें मुख्यमंत्री और पशु चिकित्सा संसाधन मंत्री पर टिकी हैं कि क्या वे इन युवाओं की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे?

यह मामला केवल 26 कर्मचारियों की नौकरी का नहीं है, बल्कि उन सैकड़ों पशुपालकों और ग्रामीणों का भी है जो इनकी सेवाओं पर निर्भर हैं। उम्मीद है कि सरकार इस संवेदनशील मुद्दे को गंभीरता से लेगी और एक सकारात्मक निर्णय लेगी।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments