कोरबा (पब्लिक फोरम)। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की कुसमुंडा खदान में हाल ही में हुई एक दुर्घटना ने कंपनी की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना में निरीक्षण के दौरान पानी के भराव में एक सहायक प्रबंधक की मौत हो गई थी। इस मामले को लेकर पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने एसईसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक (सीएमडी) को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कंपनी की सुरक्षा व्यवस्था में लगातार हो रही लापरवाही पर चिंता व्यक्त की है।
अग्रवाल ने अपने पत्र में कहा है कि कोल इंडिया द्वारा संचालित विभिन्न कोयला खदानों की सुरक्षा व्यवस्था पर प्रतिवर्ष लगभग 150 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं। इसमें से एसईसीएल को कोरबा में स्थित कुसमुंडा, गेवरा और दीपका जैसी महत्वपूर्ण खदानों के लिए लगभग 70 प्रतिशत राशि आवंटित की जाती है। इतनी बड़ी धनराशि के बावजूद, हाल की घटना ने खदानों की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है।
पूर्व मंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि इस दुर्घटना से लगभग 15 दिन पहले ही सीएमडी ने व्यक्तिगत रूप से कुसमुंडा खदान का निरीक्षण किया था और अधिकारियों को कड़े सुरक्षा निर्देश दिए थे। इसके बावजूद यह दुर्घटना हुई, जो अधिकारियों की लापरवाही को उजागर करती है।
अग्रवाल ने एसईसीएल की कर्मचारी कॉलोनियों की दयनीय स्थिति पर भी प्रकाश डाला है। उन्होंने बताया कि 70 प्रतिशत से अधिक मकान जर्जर हो चुके हैं, जहां छतों से पानी टपकने, दीवारों पर सीलन और मकानों के छज्जों तथा प्लास्टर के गिरने की घटनाएं आम हो गई हैं। साफ-सफाई की स्थिति भी चिंताजनक है, जिससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है।
पत्र के अंत में, जयसिंह अग्रवाल ने आशा व्यक्त की है कि एसईसीएल प्रबंधन लोगों के जीवन से खिलवाड़ पर रोक लगाते हुए सुरक्षा व्यवस्था को प्राथमिकता देगा और इस दिशा में ठोस कदम उठाएगा।
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