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बुधवार, फ़रवरी 5, 2025
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छत्तीसगढ़: एसईसीएल ने बिना मुआवजा, अदालत का उल्लंघन कर शुरू किया कार्य, प्रबंधन और भू-विस्थापितों के बीच तनातनी; राज्यपाल व मुख्यमंत्री से लगाई गुहार

कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा जिले में एसईसीएल की दीपका विस्तार परियोजना के तहत प्रभावित गांव सुआभोड़ी और मलगांव के भू-विस्थापितों और एसईसीएल प्रबंधन के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। दीपका के अधिकारियों के अलावा निजी कंपनी कलिंगा और उसके बाउंसरों के खिलाफ शिकायतें राज्यपाल, मुख्यमंत्री, पुलिस मुख्यालय, कमिश्नर, जिला कलेक्टर और एसपी तक पहुंच चुकी हैं।

न्यायालय के आदेश की अवमानना

ग्राम सुआभोड़ी के हरदीबाजार निवासी पीड़ित लोकेश कुमार, पिता रामचंद, ने बताया कि उसकी खसरा नंबर 376/30, रकबा 0.59 एकड़ भूमि पर मकान, पेड़-पौधे और फलदार वृक्ष थे। यह उसकी एकमात्र भूमि थी और उसने इस संबंध में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। न्यायालय ने खुदाई प्रक्रिया को स्थगित करने के निर्देश दिए थे, लेकिन दीपका के अधिकारियों ने आदेश की अवमानना करते हुए खनन कार्य जारी रखा। इसका विरोध करने पर उसने दीपका और हरदीबाजार थाना में शिकायत दर्ज कराई है। लोकेश कुमार ने अमित सक्सेना, मनोज कुमार सिंह, मिथेश मधुक, अनुप कुमार मंदावारिया, जितेन्द्र दुबे, सुशील साहू, गोकुल धीवर और शत्रुघन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।

मुआवजा और नोटिस के बिना बलपूर्वक समतलीकरण का कार्य

ग्राम सुआभोड़ी निवासी पीड़ित विनय कुमार राठौर ने राज्यपाल से शिकायत की है कि उसकी खसरा नंबर 316/4, रकबा 0.117 हेक्टेयर भूमि पर स्थित मकान और भूमि का बलपूर्वक समतलीकरण (डोजरिंग) कर दिया गया। इसके लिए उसे पहले कोई नोटिस नहीं दिया गया और ना ही मुआवजा दिया गया। विनय कुमार ने बताया कि 2023 के मामले को लेकर कलिंगा कंपनी के विकास दुबे, एसईसीएल सीआईएसएफ और कलिंगा के बाउंसरों द्वारा उसे प्रताड़ित किया जा रहा है। हालांकि, मलगांव के किसी भी मामले में वह शामिल नहीं था और उसे जबरन फंसाया जा रहा है। विनय ने बताया कि ग्राम मलगांव में स्थित उसके मकान का मुआवजा अभी तक नहीं दिया गया है। एसईसीएल के सर्वे टीम में बीके साहू और शासन के पटवारी पाटले ने सर्वे किया, लेकिन पावती नहीं दी गई। विनय ने मलगांव और सुआभोड़ी में निर्मित मकान और भूमि का मुआवजा दिलाने की गुहार लगाई है।
इस प्रकार, एसईसीएल के दीपका विस्तार परियोजना से प्रभावित ग्रामवासियों और प्रबंधन के बीच चल रही तनातनी के मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है, और विभिन्न स्तरों पर शिकायतें दर्ज की जा रही हैं। भू-विस्थापितों ने अपने हक और न्याय के लिए राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मदद की अपील की है। 

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