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बुधवार, फ़रवरी 5, 2025
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एसईसीएल प्रबंधन की दादागिरी: खदान विस्तार के लिए ग्रामीणों को किया बेघर, बिजली काटकर रात गुजारने पर मजबूर

प्रभावित ग्रामीणों का आक्रोश: मुआवजा, रोजगार और पुनर्वास के बिना विस्थापन की कोशिशें जारी

कोरबा (पब्लिक फोरम)। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के गेवरा प्रबंधन पर ग्रामीणों के घरों से जबरन विस्थापन का आरोप लगा है। खदान विस्तार के नाम पर ग्राम पंचायत अमगांव के दर्जनों परिवारों को बिजली काटकर बेघर कर दिया गया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि उन्हें प्रशासन और कानून का भय दिखाकर घर खाली करने पर मजबूर किया जा रहा है।

ग्राम पंचायत अमगांव में तीन चरणों में जमीन का अधिग्रहण कर खदान विस्तार का कार्य एसईसीएल गेवरा प्रबंधन से दीपका प्रबंधन को सौंपा गया। अंतिम चरण में जोकाही, डबरी, दर्राखांचा और अमगांव के सैकड़ों ग्रामीणों को विस्थापित करने की योजना बनाई गई। ग्रामीणों का आरोप है कि 13 दिसंबर को एसईसीएल कर्मचारी अनिल पाटले और उनके सहयोगियों ने उनके घरों की बिजली जबरन काट दी।
ग्रामीणों ने बताया कि बिजली विभाग के अधिकार क्षेत्र में आने वाले इस काम को एसईसीएल प्रबंधन ने कानून का उल्लंघन करते हुए अंजाम दिया। इससे प्रभावित ग्रामीण रातभर अंधेरे में मोहल्ले के खुले स्थानों पर सोने को मजबूर हुए।

मुआवजा, पुनर्वास और रोजगार का समाधान नहीं
ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कई वर्षों से मुआवजा, रोजगार और पुनर्वास की मांग को लेकर जिला प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन से गुहार लगाई जा रही है। लेकिन प्रबंधन खदान विस्तार पर ज्यादा ध्यान देकर ग्रामीणों की समस्याओं को अनदेखा कर रहा है।

जमुना बाई, जिनके रोजगार का प्रकरण अभी तक लंबित है, ने बताया कि खदान के विस्फोटों और प्रबंधन के दबाव के कारण उनका परिवार घर छोड़ने पर मजबूर है। “हमारे घर के पास खदान खोद दी गई है। रात को मोहल्ले में सोते हैं और दिन में किसी तरह घर पर रहते हैं,” उन्होंने दुखी मन से कहा।

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि एसईसीएल कर्मचारियों द्वारा उनके देव स्थान और जैतखंब जैसे धार्मिक स्थलों का भी अपमान किया जा रहा है। आदिवासी और दलित समुदाय की इन सांस्कृतिक धरोहरों को नुकसान पहुंचाने से लोगों में भारी आक्रोश है।

ग्रामीणों का कहना है कि 2013 की छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति के तहत खदान विस्तार से पहले मुआवजा, पुनर्वास और रोजगार का समाधान किया जाना चाहिए था। लेकिन एसईसीएल प्रबंधन ने इन नियमों को नजरअंदाज करते हुए जबरन विस्थापन की कार्रवाई शुरू कर दी।
ग्रामीणों का कहना है कि एसईसीएल प्रबंधन उनके शांतिपूर्ण विरोधों को कुचलने के लिए पुलिस और प्रशासन का सहारा ले रहा है। प्रभावित परिवारों पर पुलिस थाने में झूठे मामले दर्ज कराए जा रहे हैं।

ग्रामीणों ने घोषणा की है कि वे इस अन्याय के खिलाफ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, पुलिस अधीक्षक, डीजीएमएस और विजिलेंस अधिकारियों से शिकायत करेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे खनन कार्य को बंद करवा देंगे।

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