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गुरूवार, सितम्बर 11, 2025
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राष्ट्र निर्माण में आदिवासियों की भूमिका पर दिल्ली में जुटेगा विद्वत समाज: डॉ. जितेंद्र मीणा की पुस्तक का होगा विमोचन

दिल्ली (पब्लिक फोरम)। भारतीय राष्ट्र के निर्माण और स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी समाज के अनकहे और अनसुने योगदान को मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से 21 अगस्त, 2025 को राजधानी दिल्ली के प्रतिष्ठित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में एक भव्य आयोजन होने जा रहा है। इस कार्यक्रम में लेखक और अकादमिक डॉ. जितेंद्र मीणा की बहुप्रतीक्षित पुस्तक “राष्ट्र निर्माण में आदिवासी” का विमोचन किया जाएगा, जिसके उपरांत इसी गंभीर विषय पर एक गहन परिचर्चा होगी। यह वैचारिक महामंथन दोपहर 2 बजे आरंभ होगा, जिसमें देश के शीर्ष सांसद, प्रोफेसर, लेखक और बुद्धिजीवी एक मंच पर एकत्रित होकर अपने विचार रखेंगे।

इतिहास के हाशिये से केंद्र तक का सफर
यह आयोजन केवल एक पुस्तक विमोचन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह उस ऐतिहासिक संवाद को स्थापित करने का एक सशक्त प्रयास है, जिसमें अक्सर आदिवासी नायकों, उनके बलिदान और संघर्ष को उचित स्थान नहीं दिया गया। पुस्तक के लेखक और दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर, डॉ. जितेंद्र मीणा, लंबे समय से आदिवासी इतिहास, संस्कृति और सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दों पर एक मुखर और प्रामाणिक आवाज़ के रूप में जाने जाते हैं।
उनका मानना है कि अब समय आ गया है जब आदिवासी समुदाय स्वयं अपने इतिहास का लेखन करे और उन पुरखों के योगदान को सम्मान दिलाए, जिन्हें मुख्यधारा के इतिहासकारों ने जानबूझकर या अनजाने में नजरअंदाज कर दिया। यह पुस्तक और इससे जुड़ी परिचर्चा, उस चुप्पी को तोड़ने और इतिहास को एक नए, समावेशी दृष्टिकोण से देखने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।

बौद्धिक और राजनीतिक जगत की हस्तियाँ होंगी शामिल
इस परिचर्चा की गंभीरता का अनुमान इसमें शामिल होने वाले वक्ताओं की सूची से सहज ही लगाया जा सकता है। कार्यक्रम में आदिवासी समाज की आवाज़ को संसद में उठाने वाले सांसद राजकुमार रोत, सप्तगिरी शंकर उल्का और राज्यसभा सांसद प्रो. मनोज झा जैसे प्रखर जनप्रतिनिधि शामिल होंगे।
अकादमिक जगत की गहराई और वैचारिकी को प्रस्तुत करने के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जे.एन.यू.) से प्रो. सोना झरिया मिंज और दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रो. अपूर्वानंद व प्रो. एन. सुकुमार जैसे प्रतिष्ठित विद्वान विषय के विभिन्न अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डालेंगे। इनके साथ ही, अपनी लेखनी से समाज को दिशा देने वाले प्रसिद्ध लेखक व चिंतक हरिराम मीणा और लेखक व जन बुद्धिजीवी डॉ. लक्ष्मण यादव भी अपने विचार साझा करेंगे। इस पूरे संवाद का कुशलतापूर्वक संचालन खुशबू शर्मा करेंगी।

क्यों महत्वपूर्ण है यह संवाद?
“राष्ट्र निर्माण में आदिवासी” पुस्तक और यह परिचर्चा उस ऐतिहासिक शून्यता को भरने का प्रयास है, जहाँ राष्ट्र निर्माताओं की गिनती में आदिवासी नायकों को भुला दिया जाता है। यह उन गुमनाम नायकों और नायिकाओं की कहानियों को सामने लाती है, जिन्होंने जल, जंगल, ज़मीन के लिए संघर्ष करते हुए देश की संप्रभुता और अस्मिता की रक्षा की।
यह आयोजन इस गहरी सच्चाई को स्थापित करता है कि राष्ट्र का अर्थ केवल भौगोलिक सीमाएं नहीं, बल्कि वे समुदाय भी हैं जिन्होंने अपनी संस्कृति, परंपरा और अस्तित्व की कीमत पर इसे बनाया और बचाया है। यह संवाद उन सभी के लिए एक अमूल्य अवसर है जो भारत के संपूर्ण और समावेशी इतिहास को बिना किसी पूर्वाग्रह के समझना और महसूस करना चाहते हैं।

आयोजकों ने सभी इतिहास प्रेमियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और जागरूक नागरिकों को इस महत्वपूर्ण परिचर्चा में शामिल होने के लिए सादर आमंत्रित किया है, ताकि राष्ट्र निर्माण में आदिवासियों की वास्तविक और गौरवशाली भूमिका पर एक सार्थक और व्यापक विमर्श खड़ा किया जा सके।

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