भाकपा (माले) का लोकतंत्र बचाओ जनसंवाद अभियान: 23 मार्च से 22 अप्रैल
पटना (पब्लिक फोरम)। महागठबंधन द्वारा भाजपा को बिहार की सत्ता से बाहर किए जाने के बाद 15 फरवरी ’23 को पटना में हुई भाकपा(माले) की लोकतंत्र बचाओ–देश बचाओ रैली, 11वें महाधिवेशन और भाजपा विरोधी पार्टियों की एकता की खातिर हुए राष्ट्रीय कन्वेंशन ने देश में भाजपा शासन के खिलाफ चल रहे आंदोलनों को बड़ी ताकत दी है। राष्ट्रीय कन्वेंशन में बिहार के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, कांग्रेस और दलित पार्टी वीसीके के नेताओं ने भाग लिया। देश के वर्तमान राजनीतिक मोड़ पर फासीवादी भाजपा के खिलाफ प्रतिरोध में वामपंथियों, समाजवादियों, अम्बेडकरवादियों, गांधीवादियों और नेहरूवादियों के बीच व्यापक एकता निर्माण को आवश्यक और संभव बना दिया है।
राजनीतिक गलियारे में इस संपूर्ण परिघटना की चर्चा भाजपा के गुजरात मॉडल के बरखिलाफ बिहार मॉडल के रूप में हो रही है। भाजपा जहां अन्य राज्यों में चुनी हुई सरकारों को गिरा कर सत्ता हथियाती रही है, वहीं इसके विपरीत महागठबंधन ने बिहार में व्यापक विपक्षी एकता की बदौलत भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया। गुजरात मॉडल जहां जनसंहार पर आधारित है, वहीं बिहार में भाजपाइयों द्वारा संरक्षित जनसंहारों का मुकाबला करके और उसे इनकार करके जनता आगे बढ़ी है।
गुजरात मॉडल जहां अडानी की लूट का मॉडल है, वहीं बिहार मॉडल लूट के खिलाफ जनता के हक की लड़ाई का मॉडल है। गुजरात जहां सांप्रदायिक हिंसा व घृणा का मॉडल है, वहीं बिहार शांति, भाईचारा और साम्प्रदायिक सौहार्द का मॉडल है। गुजरात मॉडल महिला के प्रति भाजपा के घृणित नजरिए को भी उजागर करता है जहां बिल किस बानो पर अत्याचार करने वालों को सम्मानित किया जाता है जबकि बिहार हर तरह के अत्याचार के खिलाफ जन आंदोलन और प्रतिरोध की भूमि है जहां हमारी पार्टी की पहचान जनआंदोलनों की ताकत और उसकी चालक शक्ति के रूप में है।
आज पूरा देश भाजपा की लूट–झूठ, हिंसा–घृणा, बेरोजगारी–मंहगाई के बोझ तले कराह रहा है। झूठे वादों के सहारे सत्ता में आई भाजपा सरकार लोगों के हाथ से रोजगार, मुंह से रोटी और सिर से छत छीन रही है। कृषि लागत महंगा और किसानों को फसलों का लाभकारी मूल्य गायब है। अडानी-अम्बानी जैसे पूंजीपतियों को देश के तमाम परिसंपत्तियों, संसाधनों, जल, जंगल, जमीन, खदान, रेल, सड़कें, हवाई अड्डे, बैंक, एलआईसी और सब कुछ का मालिक बनाया जा रहा है। अडानी महाघोटाला में शामिल भाजपा जेपीसी (संयुक्त संसदीय कमिटी) की जांच से भाग रही है।
आजादी की लड़ाई के दुश्मनों का राज देश पर कायम हो गया है। अनेक कुर्बानियों के बाद मिली आजादी, संविधान और लोकतांत्रिक अधिकारों को खत्म किया जा रहा है। देश की गंगा–जमुनी तहजीब, भाईचारा और संघीय ढांचा खतरे में है। देश को नफरत की आग में झोंका जा रहा है। राज्यों की चुनी हुई सरकारों को कंपनियों की लूट के पैसों से गिराया जा रहा है। विरोध की आवाज दबाने के लिए बेधड़क ईडी, सीबीआई का इस्तेमाल हो रहा है। श्रम की लूट की खातिर श्रम कानूनों को बदल दिया गया है। देश में अमीर और अमीर, और इसके परिणाम स्वरूप गरीब और गरीब होते जा रहे हैं।
गरीबों–अल्पसंख्यकों के घरों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है। बेगूसराय, सारण, पूर्वी चंपारण में घटी आपराधिक शूटिंग, मॉब लिंचिंग व बच्चियों से बलात्कार जैसी घटनाओं में संघ–भाजपा के लोगों का नाम सरेआम आ रहा है। फुलवरीशरीफ में एनआईए को मुस्लिम समाज और बुद्धिजीवियों को जेल में डालने और उन्हें बदनाम करने का औजार बना दिया गया है। तमिल बनाम हिंदी, तमिल बनाम बिहारी की साजिशपूर्ण राजनीति के जरिए देश के संघीय ढांचे पर हमला किया जा रहा है, क्षेत्रीय–भाषाई उन्माद पैदा किया जा रहा है, उद्योग–धंधों को चौपट किया जा रहा है और लाखों प्रवासी बिहारी मजदूरों के पेट पर लात मारा जा रहा है। शिक्षा का निजीकरण कर समाज के तमाम गरीब वर्ग को शिक्षा से वंचित किया जा रहा है। बराबरी पर बोलने, मूंछ रखने और घड़े से पानी पी लेने पर दलित छात्र का कत्ल तक कर दिया जा रहा है। जीभ काटी जा रही है। आरक्षण को सीमित करते-करते खत्म करने की साजिश चल रही है।
बहरहाल, मोदी सरकार के हर हमलों का जवाब जनता दे रही है। नागरिकता आंदोलन हो, किसान आंदोलन हो, शिक्षा व रोजगार के लिए छात्र–युवाओं के आंदोलन हों या श्रमिकों के आंदोलन – हर आंदोलन ने मोदी सरकार को जवाब दिया है। आज पूरे देश में लड़ाई मोदी सरकार बनाम जनता की लड़ाई बन गई है। बिहार में हुए सत्ता परिवर्तन से पूरे देश की संघर्षशील, मुक्तिकामी जनता में मोदी सरकार को 2024 में उखाड़ फेंकने के साहस का संचार हुआ है।
आज रोजी-रोटी के संघर्षों के साथ देश में फासीवादी कंपनी राज के खिलाफ चल रहे आंदोलनों को तेज करना वक्त की मांग है। इन्हीं उद्देश्यों को हासिल करने के लिए भाकपा (माले) ने शहीदे आजम भगत सिंह के शहादत दिवस 23 मार्च से शुरू कर 22 अप्रैल भाकपा(माले) के स्थापना दिवस तक एक महीने का लोकतंत्र बचाओ जनसंवाद अभियान शुरू किया है।
अभियान के दौरान 31 मार्च का. चंद्रशेखर का शहादत दिवस भी है और 14 अप्रैल डा. अंबेडकर का जन्म दिवस भी। इन दिवसों पर गांव–गांव में भगत सिंह–अंबेडकर के सपनों का भारत बनाने का संकल्प लिया जाएगा। जनसंवाद दौरान न सिर्फ लोकतंत्र बचाओ रैली और महाधिवेशन के संदेश को जन–जन तक पहुंचाया जाएगा, बल्कि रोजी–रोटी और शांति–भाईचारा के लिए संघर्ष तेज करने का संकल्प भी दुहराया जाएगा। हम आपसे इस अभियान में शामिल होकर इसे सफल बनाने, भाकपा(माले) को मजबूत करने और उसका सदस्य बनने की अपील करते हैं।
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