व्यवस्था बदलने के लिए राजनैतिक हस्तक्षेप जरूरी: आदिवासी समाज अब एकजुट होकर अपनी ताकत को मजबूत करेगा
बिलासपुर (पब्लिक फोरम)। सर्व आदिवासी समाज ने छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले 50 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। बिलासपुर प्रेस क्लब में सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारियों ने छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के साथ लगातार हो रहे अन्याय की बात कही है।
प्रेस वार्ता में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद नेताम ने प्रदेश में आदिवासियों के साथ हो रहे लगातार अन्याय को लेकर कहा कि व्यवस्था बदलने के लिए राजनैतिक हस्तक्षेप जरूरी हो गया है और आदिवासी समाज अब एकजुट होकर अपनी ताकत को मजबूत करेगा तथा आगामी चुनाव में आदिवासी समाज की ओर से 50 विधानसभा सीटों पर अपनी दावेदारी की बात भी उन्होंने कही। जिसमें अनुसूचित जनजाति के आरक्षित 29 सीटों सहित सामान्य सीटें भी शामिल हैं।
पत्रकारों से चर्चा करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राजनैतिक पार्टियां आदिवासी समाज के हित में कार्य नहीं कर रही है तथा आदिवासी समाज को केवल वोट बैंक की तरह उपयोग किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य प्रदेश है, फिर भी प्रदेश में आदिवासियों की स्थिति बद से बदतर है।
प्रदेश में पेसा कानून लागू होने के बाद भी आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन और संविधान के द्वारा प्रदत्त मूलभूत अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है। ऐसी परिस्थिति में अब प्रदेश के आदिवासी समाज एकजुट होकर अपनी ताकत को मजबूत करेंगे तथा छत्तीसगढ़ के 50 विधानसभा सीटों पर सर्व आदिवासी समाज के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे।
हालांकि, आदिवासी समाज के कुछ खास चिंतकों ने इस घोषणा के तत्काल बाद ही ‘पब्लिक फोरम’ के साथ अपनी प्रतिक्रिया साझा करते हुए कहा है कि व्यवस्था के खिलाफ अगर खड़े होना है और चुनाव लड़ना ही है तो फिर केवल 50 सीटों में ही क्यों? छत्तीसगढ़ के पूरे 90 विधानसभा सीटों में चुनाव क्यों ना लड़ी जाए!
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