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सोमवार, जुलाई 7, 2025
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कॉमरेड विनोद मिश्र की स्मृति में संकल्प दिवस आयोजित: जन आंदोलन और सामाजिक न्याय की पुकार

भिलाईनगर (पब्लिक फोरम)। भाकपा (माले) लिबरेशन की दुर्ग जिला इकाई ने 18 दिसंबर को पार्टी के पूर्व महासचिव कॉमरेड विनोद मिश्रा के 26वें स्मृति दिवस को संकल्प दिवस के रूप में मनाया। यह आयोजन सेक्टर 6, भिलाई में आयोजित किया गया, जहां कॉमरेड मिश्रा के चित्र पर माल्यार्पण किया गया और एक मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर वासुकी प्रसाद उन्मत ने कॉमरेड मिश्रा पर लिखी अपनी भावपूर्ण कविता का पाठ किया।

सपनों का भारत: विनोद मिश्र का दृष्टिकोण

बैठक की शुरुआत भाकपा माले केंद्रीय कमेटी द्वारा जारी संकल्प और कॉमरेड विनोद मिश्रा के लेख “मेरे सपनों का भारत” के पाठ से हुई। इस लेख में उन्होंने सामाजिक न्याय, समता और स्वतंत्रता पर आधारित भारत के अपने सपनों को व्यक्त किया था।
बैठक में उनके विचारों पर चर्चा हुई और पार्टी को सभी स्तरों पर मजबूत करने का संकल्प लिया गया। यह भी निर्णय लिया गया कि आम जनता के मुद्दों को लेकर व्यापक जन आंदोलनों को खड़ा किया जाएगा और लोगों को पार्टी से जोड़ा जाएगा।

फासीवाद के खिलाफ जन आंदोलन की जरूरत

बैठक में फासीवादी ताकतों द्वारा समाज में सांप्रदायिक नफरत, ध्रुवीकरण, जाति और लैंगिक उत्पीड़न तथा कॉर्पोरेट हितों को बढ़ावा देने की निंदा की गई। वक्ताओं ने कहा कि इन ताकतों को पराजित करने के लिए लंबे और व्यापक जन आंदोलनों की आवश्यकता है।
बैठक में सांप्रदायिकता, जातिवाद और कॉर्पोरेट दबदबे के खिलाफ मजबूत प्रतिरोध खड़ा करने की बात कही गई। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि केवल संगठित जन शक्ति के माध्यम से ही इन चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।

अमित शाह के बयान की निंदा

गृहमंत्री अमित शाह द्वारा संसद में डॉ. भीमराव अंबेडकर पर दिए गए बयान की कड़ी निंदा की गई। वक्ताओं ने इसे देश के संविधान निर्माता और दलित समुदाय के प्रति अपमानजनक बताया। बैठक में गृहमंत्री को बर्खास्त करने और मोदी सरकार से माफी मांगने की मांग की गई।

इस अवसर पर बैठक में उपस्थित प्रमुख सदस्यों में बृजेंद्र तिवारी, ए.बी. सिंह, मुक्तानंद साहू, दीनानाथ प्रसाद, आर.पी. चौधरी, संतोष जोशी, वासुकी प्रसाद, अब्दुल अजीम और ए. शेखर राव शामिल थे।
कॉमरेड विनोद मिश्रा के आदर्शों और विचारधारा से प्रेरणा लेते हुए बैठक में इस बात का दृढ़ निश्चय किया गया कि समाज में समता, न्याय और लोकतंत्र की रक्षा के लिए व्यापक संघर्ष किए जाएंगे। यह स्मृति दिवस न केवल एक श्रद्धांजलि था, बल्कि आने वाले संघर्षों की तैयारी का संकल्प भी।

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