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मंगलवार, अक्टूबर 14, 2025
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सक्ती पावर प्लांट हादसा: 40 मीटर से गिरी ‘मौत की लिफ्ट’, चार मजदूरों की दर्दनाक मौत, सुरक्षा पर उठे गंभीर सवाल

🔻छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले में आरकेएम पावर प्लांट में भीषण हादसा।
🔻निर्माण कार्य में लगी लिफ्ट 40 मीटर ऊंचाई से गिरी, चार मजदूरों की मौत।
🔻सात अन्य मजदूर गंभीर रूप से घायल, दो की हालत नाजुक।
🔻प्रबंधन पर लापरवाही के गंभीर आरोप, हाल ही में हुआ था लिफ्ट का रखरखाव।
🔻मजिस्ट्रियल जांच के आदेश, पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे की मांग।

सक्ती/छत्तीसगढ़ (पब्लिक फोरम)। मंगलवार की देर शाम छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के आरकेएम पावर प्लांट (डभरा) में एक ऐसा भयावह औद्योगिक हादसा हुआ, जिसने न केवल क्षेत्र को बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यहां निर्माण कार्य के लिए मजदूरों को ऊपर ले जा रही एक लिफ्ट का केबल टूट गया और वह 40 मीटर (लगभग 131 फीट) की ऊंचाई से सीधे नीचे आ गिरी। इस दर्दनाक हादसे में चार मजदूरों की मौत हो गई, जबकि सात अन्य ज़िंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं। इस घटना ने औद्योगिक सुरक्षा के दावों की पोल खोलते हुए प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं।

चीखों में दब गई एक शाम

जानकारी के अनुसार, मंगलवार शाम करीब पांच बजे, प्लांट की निर्माणाधीन साइट पर 10 मजदूर एक लिफ्ट में सवार होकर 75 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कार्यस्थल की ओर जा रहे थे।उनके मन में शायद दिन का काम खत्म कर अपने परिवार के पास लौटने का विचार था, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। जब लिफ्ट लगभग 40 मीटर की ऊंचाई पर पहुंची, तो एक जोरदार झटके के साथ उसका केबल टूट गया। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, लिफ्ट लोहे के एक बेजान डिब्बे की तरह गुरुत्वाकर्षण के हवाले हो गई और पलक झपकते ही जमीन पर आ गिरी।

इस हृदय-विदारक घटना में उत्तर प्रदेश के सोनभद्र निवासी अंजनी कुमार (29) और मिश्रीलाल (45) तथा झारखंड निवासी विंद्र कुमार (या रविंद्र कुमार) ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। चौथे मजदूर, बबलू प्रसाद गुप्ता (26), की अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। चारों मृतक अपने घरों से सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने परिवार का पेट पालने के लिए यहां आए थे, लेकिन अब उनके घरों को मातम का अंतहीन इंतजार मिला है।

अस्पताल में ज़िंदगी की जंग लड़ते घायल
हादसे में घायल सात मजदूरों को तत्काल निकटवर्ती रायगढ़ के फोर्टिस जिंदल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घायलों की पहचान विजय सिंह (32), राम सिंह (27), संजय कुमार (22), राम केश (26), रतन सिंह (34), और बलराम (38) के रूप में हुई है, जिनमें से अधिकांश उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के रहने वाले हैं। रतन और बलराम की स्थिति अत्यंत गंभीर बताई जा रही है और उन्हें आईसीयू में रखा गया है, जहाँ डॉक्टर उनकी जान बचाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं।

लापरवाही या महज़ एक दुर्घटना?

इस हादसे ने आरकेएम पावर प्लांट प्रबंधन की सुरक्षा व्यवस्था पर बेहद गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। साथी मजदूरों और पीड़ित परिवारों ने सीधे तौर पर प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। चौंकाने वाली बात यह है कि पुलिस अधीक्षक अंकिता शर्मा के अनुसार, इस लिफ्ट का रखरखाव हाल ही में 29 सितंबर को ही किया गया था। यह तथ्य इस आशंका को और गहरा करता है कि क्या रखरखाव में केवल खानापूर्ति की गई थी? क्या सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर मजदूरों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा था?

स्थानीय मजदूर संगठनों ने प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा है कि यह हादसा टाला जा सकता था अगर समय पर लिफ्ट की तकनीकी जांच और सुरक्षा ऑडिट को गंभीरता से लिया गया होता।

प्रशासन की कार्रवाई और न्याय का इंतज़ार
घटना की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए हैं। वहीं, डभरा पुलिस ने मामले की तहकीकात शुरू कर दी है और हादसे के असल कारणों का पता लगाने में जुट गई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जांच के हर पहलू पर गौर किया जाएगा और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। मजदूर संघों और पीड़ित परिवारों ने मृतकों के परिजनों के लिए उचित मुआवजे और घायलों के संपूर्ण इलाज की मांग की है।

यह हादसा केवल एक औद्योगिक दुर्घटना नहीं है, बल्कि उन अनगिनत मजदूरों की अनकही कहानी है जो खतरनाक परिस्थितियों में काम करके देश के विकास में अपना खून-पसीना बहाते हैं। यह घटना एक चेतावनी है कि जब तक औद्योगिक सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं दी जाती, तब तक ऐसी दुखद खबरें हमें झकझोरती रहेंगी और कई घर हमेशा के लिए उजड़ते रहेंगे।

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