भिलाईनगर (पब्लिक फोरम)। मणिपुर की घटनाएं साबित कर दिया कि वहा की कानून व्यवस्था पूरी तरीके से ध्वस्त हो गया है मुख्यमंत्री के प्रति जनता का विश्वास टूट गया है और वामपंथी संगठनो ने मांग किया है कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह को तुरंत बर्खास्त करें एवं राष्ट्रपति शासन लागू करें साथ ही साथ प्रदर्शन के दौरान साथियों ने कहा कि मणिपुर में हुए हिंसा एवं महिलाओं पर हुए अत्याचार को रोकने में नाकामयाब होने की जिम्मेदारी लेते हुए नैतिकता के आधार पर देश के गृहमंत्री अमित शाह को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।
वामपंथी पार्टियां भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) लिबरेशन तथा जन संगठन सीटू, एटक, ऐक्टू, जनवादी महिला समिति, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन, जन संस्कृति मंच, मसीह समाज, सत्संग भिलाई, इप्टा, जनवादी लेखक संघ, छत्तीसगढ़ प्रगतिशील लेखक संघ के साथी शाम 5:30 बजे से 7:00 बजे तक सेल परिवार चौक, (बेरोजगार चौक) भिलाई मे प्रदर्शन कर तीव्र रोष जाहिर करते हुए बताया कि पिछले ढाई महीनो से मणिपुर की जातीय हिंसा के कारण अब तक 150 से ज्यादा लोगों की जान गई है। हजारों के संख्या में लोग घर छोड़कर राहत शिविरो में रहने को विवश है। इसके लिए भाजपा की डबल इंजिन की सरकार ही प्रमुख रूप से जिम्मेदार है। प्रदर्शन के पश्चात तहसीलदार के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपा गया।
मणिपुर की घटना सभ्य समाज के लिए कलंक
विगत दिनों दो कुकी महिलाओं पर भीड़ द्वारा यौन हमले की वीभत्स घटना का सामने आया हुआ वीडियो 04 मई का है | मणिपुर जनता की उन्मादी भीड़ ने जिस तरीके से दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर गांव में घुमाने के बाद उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया है वह सभ्य समाज के लिए कलंक है यह घटना पूरे समाज को कलंकित व शर्मसार किया है। जिन दोनो आदिवासी महिलाएं के साथ इस तरह की पाशविक कृत्य किया है उन्ही परिवार के दो लोगो को उस उन्मादी भीड़ ने हत्या भी इसलिए कर दिए क्योंकि वो परिवार के सदस्य उन दो महिलाओं को बचाने के लिए आए थे।गौरतलब बात यह भी है की उन दोनो महिलाओं में से एक महिला की पति भारतीय सेना में सेवारत थे जो कारगिल के युद्ध में हिस्सा लिया था और शांति सेना के रूप में श्रीलंका में भी गए थे। जो जवान देश की रक्षा किए वो जवान आज भाजपा सरकार की विभाजनकारी नीतियों के कारण अपनी पत्नी की इज्जत की रक्षा करने में विफल रहे।
एक तरफ भाजपा आगामी 26 जुलाई को कारगिल विजयत्सव मानने की जोर शोर से तैयारी कर रही है लेकिन कारगिल युद्ध में हिस्सा लेकर देश की रक्षा करने वाले जवान की पत्नी के साथ हुए इस घिनौनी कृत्य पर भाजपा पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए है।इससे भाजपा की दोहरी चरित्र का ही उजागर होता है।
मणिपुर की घटना पर राजनैतिक लाभ लेने में जुटी है केन्द्र सरकार
उन्होंने मणिपुर की घटनाएं पर भाजपा नेतायों की भ्रमित और मणिपुर सरकार की बचाव में दिए जा रहे बयान की भी तीखी निंदा की है। प्रधानमंत्री स्वयं लंबे समय तक मणिपुर के सवाल पर चुप्पी साधे रहे। पूरी विपक्षी दलों ने संसद के सभी कार्यवाहियो को स्थगित कर मणिपुर के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा करने की मांग कर रहे है लेकिन सत्ता पक्ष बहस करने को तैयार नहीं है ताकि भाजपा की नाकामी पूरे देश को पता न चले। मोदी सरकार अपनी डबल इंजिन सरकारों की अकर्मण्यता को छुपाने की भरपूर प्रयास कर रही है।असली बात यह है की मणिपुर में बहुसंख्यक लोगो को साथ देकर भाजपा चुनाव में राजनैतिक लाभ लेना चाहती है।आज मणिपुर में जब से यह जातीय हिंसा भड़की है तबसे आज तक विभिन्न पुलिस थानों में 6 हजार से अधिक एफ आईआर दर्ज हो चुके है।
मणिपुर के भाजपा के नेता सहित सभी विपक्षी दलों के नेता दिल्ली में पहुंचकर प्रधानमंत्री से मुलाकात करना चाहते थे लेकिन प्रधानमंत्री उनसे मिले बिना ही विदेश चले गए। मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री और भाजपा अपनी राजनैतिक हितों को ध्यान में रख कर ही मणिपुर की समस्या का कोई समाधान नहीं निकाल रही है।
यही है “डबल इंजिन शासन” की असलियत
मणिपुर की कूकी महिलाओं की बर्बर नग्न परेड व यौन हिंसा का वह वीडियो भाजपा के “डबल इंजिन शासन” की असलियत को उजागर कर संघ ब्रिगेड की भीड़ हिंसा की संस्कृति की खौफनाक सच्चाई को सामने ला रहा है.
प्रधानमंत्री की इतने दिनों तक की चुप्पी ने इस अपराध की गंभीरता को बढ़ा दिया है. अगर उन्हें सचमुच लग रहा है कि जो हुआ वह “शर्मनाक” है और “मणिपुर की बेटियों” को न्याय देंगे तो कम से कम मानवता के विरुद्ध हुए इन अमानवीय अपराधों और मणिपुर में शासन की पूर्ण विफलता के लिए मणिपुर के मुख्यमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री से तत्काल इस्तीफा देने को कहें।
बेटी बचाओ नारे की धज्जियां उड़ा रहा है केंद्र सरकार
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए महिला साथियों ने कहा कि मणिपुर मे तीन माह से लगातार महिलाओं, पर हिंसा बलात्कार की घटना किया जा रहा है ।भाजपा ने अपने भक्तो को इंसान से हैवान बना दिया है, देश में महिलाओं, बेटियों पर इस तरह की घटना को अंजाम देने वाले दोषियों को सम्मानित करने की परंपरा बढ़ी है, देश को गौरव दिलाने वाली पहलवान बेटियों पर भाजपा सांसद यौन उत्पीड़न करते हैं उन्हें न्याय के बजाय लाठी जेल दिया जाता है,आदिवासी गरीब पर पेशाब किया जाता है। यह सब षड्यंत्र कार्पोरेट मनुवादी गटजोड की साजिश है जो कार्पोरेट लूट और देश बेचने की साजिश से जनता का ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है। इस प्रकार की घटना का तीव्र निंदा करते हुए, आदिवासियों दलितों महिलाओं पर हमला बंद कराने की मांग करते हैं।
सामूहिक संघर्ष ही एक मात्र विकल्प
बिल्किस बानो हो या गुजरात के मुस्लिम विरोधी दंगों में यौन हिंसा झेलने वाली कोई और महिला, मुज़फ्फरनगर दंगों की बलात्कार पीड़ित महिलाएं हों या फिर मणिपुर में भीड़ हिंसा और सामूहिक बलात्कार की शिकार महिलाएं हों- हर मामले में महिलाओं के शरीर थे, जिनको “बदले” की आग का शिकार बनाया गया. इनमें से अधिकांश मामलों में बहुसंख्यावादी स्त्रीद्वेषी हिंसा के अपराधियों को बचाने में राज्य की संस्थाएं बेहद सक्रिय रूप में शामिल रही हैं. न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष के जरिये ही पुलिस को अपराधियों पर कार्यवाही के लिए विवश किया जा सका है।
साथ ही साथ हिंसा और बलात्कार की ऐसी तमाम घटनाओं की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच दल भेजा जाए, जिसमें महिलावादी वकील शामिल हों. उक्त जांच दल, ऐसी सभी घटनाओं में मणिपुर पुलिस की कार्यवाही का जरूर संज्ञान l।
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