कोरबा (पब्लिक फोरम)। गर्मी की तपिश बढ़ती जा रही है, लेकिन इसी तपन में एक ठंडी राहत बनकर सामने आया है ‘प्याऊ घर’ – एक अनोखी पहल जो इंसानियत, सेवा और सामाजिक ज़िम्मेदारी का सुंदर उदाहरण है। भारत स्काउट्स एवं गाइड्स, जिला कोरबा (छत्तीसगढ़) के सहयोग से रोटरी क्लब ऑफ कोरबा ने इस मानवता से परिपूर्ण अभियान का आज शुभारंभ किया।
यह पहल जिले के विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर स्वच्छ और ठंडे पेयजल की निःशुल्क व्यवस्था के उद्देश्य से शुरू की गई है, जिससे राह चलते प्यासे मुसाफिरों, श्रमिकों और आम नागरिकों को राहत मिल सके।

कहाँ-कहाँ हुआ शुभारंभ
शुभारंभ समारोह कोरबा जिले के कई प्रमुख स्थानों पर आयोजित किया गया, जहाँ ‘प्याऊ घर’ स्थापित किए गए। यह पहल ना केवल जल सेवा का प्रतीक है, बल्कि समाज को जोड़ने वाली एक मानवीय डोर भी है।
सेवा, संस्कार और समाज का संगम
इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्काउट्स एवं गाइड्स सदस्य, स्थानीय जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक और समाजसेवी उपस्थित रहे। सभी ने इस कार्य को समाजहित में ऐतिहासिक बताया और युवाओं के सेवा-भाव की सराहना की।
रोटरी क्लब ऑफ कोरबा के अध्यक्ष मुकेश जैन, सचिव धर्मेंद्र जैन, पूर्व अध्यक्ष पारस जैन, जिला सचिव भारत सिंह वर्मा, डी.ओ.सी. स्काउट डीगम्बर सिंह कौशिक, डी.ओ.सी. गाइड उत्तरा मानिकपुरी, पूर्णिमा भट्टाचार्य, श्रुति पाठक, राजीव कुमार साहू, जगन्नाथ सिंह नेताम सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता इस पुनीत कार्य में सक्रिय रूप से शामिल रहे।

जनमानस में जागरूकता और अपनापन
कार्यक्रम ने जनमानस में सेवा की भावना को और प्रगाढ़ किया है। स्काउट्स एवं गाइड्स की भूमिका सिर्फ देशभक्ति और अनुशासन तक सीमित नहीं, बल्कि समाज की सेवा में भी वे अग्रणी हैं – यह संदेश इस आयोजन से स्पष्ट रूप से सामने आया।
भविष्य की दिशा
भारत स्काउट्स एवं गाइड्स की यह मुहिम अब और भी व्यापक रूप लेगी। भविष्य में जिले के अन्य इलाकों में भी ‘प्याऊ घर’ स्थापित किए जाएंगे, जिससे अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिल सके।
यह पहल न केवल गर्मी से राहत देती है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं को भी स्पर्श करती है। एक प्याले पानी से बड़ा कोई दान नहीं, और ‘प्याऊ घर’ जैसे कार्यों से समाज में सकारात्मक बदलाव की लहर दौड़ती है। यह अभियान एक प्रेरणादायक कदम है, जो आने वाली पीढ़ियों को सेवा और संवेदना की दिशा में अग्रसर करेगा।
“जहाँ प्यास है, वहाँ राहत भी हो — यही है ‘प्याऊ घर’ की सोच।”
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