झारखंड ग्रामीण मजदूर सभा ‘झामस’ के 5वें राज्य सम्मेलन में माले महासचिव का.दीपांकर भट्टाचार्य का वक्तव्य
झारखंड/रामगढ़ (पब्लिक फोरम)। झारखंड ग्रामीण मजदूर सभा (झामस) का 5वां केंद्रीय सम्मेलन 06 नवंबर, 2022 को रामगढ़ जिला के बरकाकाना घुटूवा के सामुदायिक भवन में आयोजित की गई।
इस अवसर पर भाकपा-माले महासचिव का.दीपांकर भट्टाचार्य ने ऐतिहासिक रूप से रामगढ़ के राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होने वाले शहीद सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर मोटरसाइकिल रैली में साथियों के साथ शहीदों की धरती में पुलिस गुंडा गठजोड़ के खिलाफ प्रतिरोध संघर्ष कर 30 अक्टूबर, 1988 घुटूवा पुलिस गोलीकांड में शहीद रिझनी देवी, बलकहिया देवी व रामप्रसाद महतो का 01 नंबर गेट में स्थित शहीद स्मारक में फूल माला अर्पित की।
सम्मेलन में प्रतिनिधि के बतौर आए हुए 500 साथियों ने महासचिव संग रैली के शक्ल में रोड़ पर पैदल मार्च कर दो नंबर गेट होते हुए थाना चौक मोड से भ्रमण कर सीसीएल हॉस्पिटल रोड से मार्च करते हुए सम्मेलन स्थल सामुदायिक भवन बरकाकाना घुटूवा पहुंचे। सम्मेलन स्थल में वरिष्ठ कॉमरेड सोहराई किस्कू की ओर से शहीदों के याद में झंडोत्तोलन किया गया। साथ ही जन संस्कृति मंच के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रसिद्ध आलोचक डा० मैनेजर पांडेय और बिहार के खेत मजदूर सभा के नेता का० लक्ष्मी पासवान के निधन पर एक मिनट का मौन श्रद्धांजलि दी गई।
सम्मेलन में भाकपा-माले के महासचिव का.दीपांकर भट्टाचार्य ने खूला सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि लंबे समय के बाद सम्मेलन हो रहा है। करोना काल के दौर को पार करते हुए हम लोग सम्मेलन स्थल में पहुंचे हैं। आने वाले दिनों में संगठन का विस्तार हो और आंदोलन को और भी तेज किया जाए। उन्होंने उपस्थित साथियों से कहा कि आने वाले दिन में खेत मजदूर सभा (खेमस) का राष्ट्रीय सम्मेलन कोलकाता में आयोजित होने जा रहा है।
आज देश में महंगाई और भुखमरी से गरीब त्राहिमाम है। देश में अगर भूख की सूचकांक की तुलना पड़ोसी देश पाकिस्तान, बंगला देश और नेपाल से करें तो हमारे देश की स्थिति बहुत बदतर है। उन्होंने गरीब गुरबों के लिए बनाए गए कानून को कमजोर कर खत्म करने के सवाल पर कहा कि लंबे संघर्ष के बाद देश में एक कानून बनाया गया था, जो गरीबों के लिए नरेगा कानून के नाम से जाना जाता है।
ग्रामीणों के लिए रोजगार की गारंटी मिले इस हेतु गांव में रोजगार के नाम पर कानून बनाया गया था। उसमें अच्छी बात थी साल में 100 दिन काम की गारंटी हो, जॉब कार्ड के द्वारा जो भी काम मांगेगा उसे हर हाल में काम दिया जाएगा। उसमें आधार कार्ड कोई एपीएल, बीपीएल का चक्कर नहीं था। 15 किलोमीटर के क्षेत्र में या 05 किलोमीटर के दायरे में काम मांगने पर मजदूरों को काम देने की गारंटी करना था। जैसा कि गारंटी का मतलब ही होता है रोजगार मिलने की गारंटी। केवल उसके पास जॉब कार्ड रहना चाहिए। 15 दिन के अंदर काम नहीं मिलने की स्थिति में उसे बेरोजगारी भत्ता देने की बात थी।
काम की शुरुआत हुई 100 दिन की, साल में 200 दिन की। महंगाई के जमाने में ₹600 कम से कम मजदूरी देने की मांग हम लोग कर रहे हैं। मोदी सरकार ने मजदूरों और ग्रामीण गरीबों के लिए बनाए गए ऐसे तमाम कानूनों को खत्म कर दिया है या ऊपरी तौर पर नहीं तो भीतर से एकदम खोखला बना दिया है। जॉब कार्ड है, लेकिन कई जगह पता चलता है कि मुखिया मजदूरों का जॉब कार्ड रख लिया है। काम मिल नहीं रहा है। नरेगा/मनरेगा की यह दयनीय स्थिति है। दूर-दूर तक बेरोजगारी भत्ता तो मिलता ही नहीं है।
हम लोगों ने हाथों हाथ मजदूरों को पैसा देने की मांग की थी। मनरेगा कानून की स्थिति कमजोर कर दी गई है। भोजन का अधिकार कानून जो बना था उसे भी मनरेगा कानून खत्म कर दिया है। मनरेगा पूरे देश के गरीब ग्रामीण मजदूरों का एक बड़ा सवाल है। पूरे देश में बड़े पैमाने पर खेत मजदूर के सामने इसे ले जाने की जरूरत है ताकि कानून को और मजबूत किया जा सके। इसके लिए पूरे झारखंड में बड़े पैमाने पर आंदोलन की तैयारी करनी होगी। राशन-किरासन के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब भाजपा की रघुवर सरकार थी तो कई घटनाएं उजागर हुई थी। अभी भी राशन समय पर नहीं मिल रहा है।
उसको आधार से जोड़ दिया जा रहा है। आधार एक ऐसा चक्कर है इसके साथ जो भी जोड़ा जाएगा वह खत्म हो जाएगा। अभी तो वोटर लिस्ट को भी आधार से जोड़ने की बात हो रही है। पार्टी की ओर से चुनाव आयोग को लिखा गया तो चुनाव आयोग ने कहा है कि आधार जोड़ने की बाध्यता नहीं है। लेकिन सवाल उठता है निचले स्तर पर जनता को मजबूर क्यों किया जा रहा है? अगर आधार जुड़ेगा तो साजिश के तहत् वोटर लिस्ट से गरीबों का नाम हटा दिया जाएगा। आधार के चक्कर में बहुत लोगों को राशन नहीं मिल रहा है।
आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर मोदी जी ने कहा हर घर तिरंगा- घर-घर तिरंगा! हमलोगों ने कहा हर घर तिरंगा लोगों को पहुंचाएं और तिरंगे का इंतजाम करें। सब लोगों को, गरीबों के घर में तिरंगा दें। हरियाणा में देखा गया कि तिरंगा के लिए ₹25 लिया गया । तिरंगा नहीं लेने पर राशन नहीं देने की शर्त रखकर राशन से गरीबों को वंचित किया गया, जो राशन के लिए गरीबों को मोहताज करना सरकार के लिए शर्मनाक बात थी। उन्होंने आगे कहा कि राशन का मतलब है हम ठीक से खा कर जिंदा रह सके। कुपोषण से हमारे बच्चों को बचाया जा सके। क्योंकि दुनिया के पैमाने पर भुखमरी का बड़ा कारण कुपोषण है।
05 साल से कम उम्र के बच्चों को जो भोजन मिलना चाहिए, जो पोषण मिलना चाहिए वह मिलता नहीं है। सिर्फ चावल, गेहूं देने से काम नहीं चलेगा। उसमें खाने के लिए तेल, पीने के लिए दूध, दाल आदि पोषक तत्व, पोषण की गारंटी करना है। यह हमारी मांग है।इसमें कानून को और मजबूत करने की बात है। राशन प्रणाली-जन वितरण प्रणाली को दुरुस्त करने के बात करनी होगी। मोदी सरकार कोशिश कर रही है कि राशन का पूरा सिस्टम ही खत्म हो जाए। मोदी कह रहे हैं मुफ्त खोरी नहीं चलेगी। रेवड़ी बांटने से नहीं चलेगा। मुफ्त में कोई चीज नहीं मिलेगी। लेकिन हमारा कहना है कि हम आपसे कोई भीख नहीं मांग रहे हैं।
इस देश में जो संविधान है। देश की जनता के लिए अच्छा हिंदुस्तान बनाने की बात करते हैं तो देश में जो लोकतंत्र है, भारत एक समाजवादी और संप्रभू देश है, तो मेरा हक बनता है कि कानून के मुताबिक भोजन, राशन, काम, बच्चों की पढ़ाई की गारंटी, बीमार लोगों की दवाई की गारंटी होना चाहिए। लेकिन गरीबों के लिए राशन उपलब्ध कराना मुफ्त खोरी कहा जा रहा है। हमें बताया जा रहा है मुफ्त में कुछ नहीं मिलेगा लेकिन दूसरी और पूरा हिंदुस्तान मोदी सरकार अडानी-अंबानी को सौंप दिया है मानो देश उन्हीं का है। हर चीज तमाम कल कारखाने बने हुए सरकारी संस्थान पानी के मोल सस्ते दर पर बेचा जा रहा है । सड़क से लेकर हवाई क्षेत्र- हवाई अड्डा और हवाई बंदरगाह भी अडानी को दे दी गई है।
किसानों को सलाम करते हुए महासचिव ने कहा की सरकार के द्वारा किसानों के लिए काला कानून बनाया गया था उससे खेती पर भी अडानी अंबानी का कब्जा होना था लेकिन किसान पूरे दमखम के साथ जमकर संगठित हुए और जोरदार संघर्ष कर किसान विरोधी कानून को कूड़ेदान में फेंकने का काम किया। लेकिन खेती किसानी को बेचने के लिए सरकार का साजिश अभी बरकरार है। पूरा हिंदुस्तान अडानी, अंबानी,जिंदल, मितल और टाटा को दिया जा रहा हैं। क्या इसको मुफ्तखोरी नहीं बोलेंगे? गरीब जो मेहनत करते हैं। अपनी मेहनत की कमाई खाते हैं उनको अपने हक अधिकार से वंचित किया जा रहा है।
करोना काल में हम लोगों ने देखा लोग कैसे तड़प तड़प कर मर गए। समय पर अस्पताल नही, एंबुलेंस नहीं, डॉक्टर नहीं मुश्किल से एक बेड मिल गया तो उसमें ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं। कोरोना काल में हम अपने साथियों को खो दिया। उन दिनों हमलोग हर इतवार को ‘अपनों की याद ‘ अभियान में लोगों को याद करते थे । अगर देश में जनता के लिए सोचने और काम करने वाली सरकार या व्यवस्था होती तो हमें लाखों लोगों को नहीं खोना पड़ता। आज सरकार कह रही है प्राइवेट अस्पताल में चले जाओ। सरकारी अस्पताल में कुछ नहीं मिलने वाला है।
प्राइवेट में आपको भेजा जा रहा है आपको आयुष्मान का एक बीमा कार्ड देकर 5 लाख रूपया देने की बात कही जा रही है। लेकिन अस्पताल जाएंगे तो आपका दर्जनों टेस्ट करवा दिया जायेगा। उसी में ही दो-तीन लाख खर्च हो जाएगा। पांच लाख देखते-देखते चला जाएगा या फिर कहा जायेगा कि इस बीमारी का ईलाज आयुष्मान कार्ड से होता ही नहीं है। सवाल कार्ड का नहीं है, पैसा भी नहीं, सवाल व्यवस्था का है। प्राथमिक अस्पताल में सारी चीजें मुहैया कराने की सरकार की जिम्मेदारी होनी चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि
हमारी लडाई सिर्फ जमीन और मजदूरी को लेकर सीमित नहीं है हमारी लड़ाई जिंदगी को लेकर है। पढ़ाई और हमारे बच्चों के लिए दवाई भी हमारी लड़ाई का हिस्सा है।
सरकार चाहती है कि गरीब को गरीब बनाए रखने के लिए काम से वंचित कर दो, शिक्षा से वंचित कर दो, रोजगार से वंचित कर दो और हिंदू मुस्लिम में बांट कर लोगों को आपस में लड़ाकर उन्माद पैदा कर वोट ले लो । हमारी सामने सबसे बड़ी चुनौती है। हमें अपने मुद्दों पर लडना है। अपने अधिकारों को लेना है। आजादी की लड़ाई में एक बड़ी एकता बनी थी आजादी के दौर में सभी लोग लड़ रहे थे महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, भगत सिंह, कम्युनिस्ट सभी आपस में देश की एकता बनाए रखने के लिए अपनी जान दे रहे थे। नहीं लड़ रहे थे तो केवल ।ी पसंद है ।
हमारे वोट से सरकार बनती हैं और हमारा काम नहीं होता है तो हम अपने प्रदेश में लड़ लेंगे, यहां की जनता लड़कर अपना अधिकार हासिल करेगी। लेकिन बीजेपी चाहती है कि येन केन प्रकारेण झारखंड में हमारी सरकार आ जाए । यह भाजपा की कोशिश जारी है। आप देखेंगे सीबीआई के नाम पर गवर्नर और चुनाव आयोग का नाम लेकर झारखंड को चलने नहीं दिया जा रहा है। जो झारखंड के साथ बहुत बडा खिलवाड़ है ।
मनरेगा, वन अधिकार नियम, लैंडमाइन के सवाल पर लोगों को विस्थापित किया जा रहा है। केंद्र की सरकार दिल्ली में बैठकर झारखंड की सरकार को चलाना चाहती है। झारखंड दिल्ली का उपनिवेश नहीं है झारखंड के स्वाभिमान, झारखंड के नौजवान, झारखंड के कोयला मजदूर, झारखंड के आदिवासी, झारखंड के मूलवासी, झारखंड के माताएं बहने,झारखंड के किसान इस झारखंड के अंदर हक बनता है ।
इस झामस सम्मेलन में मजदूरी के बारे में चर्चा करें, जमीन की चर्चा करें, साथ ही स्कूल और अस्पताल के बारे में चर्चा करें और पूरे झारखंड और पूरे देश के बारे में भी जरूर चर्चा करें कि झारखंड समाज को एक रखना है। जनता की एकजुटता को बरकरार रखना है। हमारा अधिकार झारखंड का स्वाभिमान, झारखंड का भविष्य हमारे हाथ में हो। हमारे झारखंड के जल, जंगल, जमीन, खदान पर झारखंड के तमाम संपदाओं पर लूटने वालों को पूरी नजर है। दूसरी तरफ झारखंड के लोगों को, गरीबों को, मेहनत कशों को उनके प्राकृतिक संपदाओं से वंचित किया जा रहा है। इस लूट के खिलाफ हम सबको आगे आना होगा। लाल झंडे का विस्तार करना होगा। ‘झामस’ की सदस्यता पांच लाख बनानी होगी।
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