अपने कलम की ताकत के बदौलत बाबा साहब के विचारों को उन्होंने पूरी दुनिया में फैलाया
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात अंबेडकरवादी आंदोलन को अपनी साहित्यिक लेखनी के माध्यम से पूरी दुनिया में अंबेडकर मिशन की मशाल जलाने वाले, वंचितों शोषितों के क्रांतिकारी लेखक एवं जालंधर से धूमधाम से प्रकाशित होने वाली भीम पत्रिका के संपादक एल आर बाली जी का 06 जुलाई 2023 को दुखद निधन हो गया। एक ऐसा योद्धा जिनकी कलम की ताकत ने सारी दुनिया में भारत रत्न बाबा साहब अम्बेडकर को विश्वरत्न बनाने में अपनी एक अहम भूमिका निभाई है।
बहुजन आंदोलन के नेतृत्व कारी साथी बताते हैं कि उस समय हम मान्यवर कांशीराम जी के साथ बहुजन आन्दोलन को सारे देश में बढ़ाने के लिए बाली जी की किताबों के माध्यम से ही मिशन का प्रचार करते थे। हालांकि, भीम पत्रिका ने कांशीराम जी और उनके बहुजन आंदोलन के खिलाफ लगातार लेख लिखते रहने के कारण बड़ा टकराव हो जाता था। फिर भी इन दोनो नेताओं की दूरदर्शिता के कारण हम लोग इस टकराव को टालते हुए आपस में मामले को हमेशा शांत कर लिया करते थे।
कांशीराम जी के बहुजन आंदोलन को एलआर बाली जी के अम्बेडकर साहित्य से बड़ी ताकत मिली। बाली जी के इन सब महान कार्यों के लिए भारत देश और दुनिया के प्रबुद्ध लोगों के साथ ही, दलित शोषित समाज हमेशा उनका कृतज्ञ रहेगा। उनके दुःखद निधन पर राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा भारत एवं घटक संगठन मूलनिवासी मुक्ति मोर्चा ने श्रद्धांजलि अर्पित की है।
आज से लगभग 04 दशक पहले भीम पत्रिका में लिखे बाली जी के वे ओजस्वी और खूबसूरत पंक्तियां आज भी कितनी प्रासंगिक और प्रेरक लगती हैं।
“कली बेच देंगे, चमन बेच देंगे। ज़मीं बेच देंगे, गगन बेच देंगे। कलम के सिपाही, गर तुम सो गए तो। वतन के मसीहा, वतन बेच देंगे।”
कलम के उस महान सिपाही को नमन करते हुए, समता रत्न से सम्मानित, अंबेडकर वादी आंदोलन के ध्वजवाहक, उस महान चिंतक, प्रेरक वक्ता और समतामूलक आंदोलन के प्रणेता को आदिनिवासी गण परिषद एवं सोशल मीडिया ग्रुप ‘पब्लिक फोरम’ ने भी भावभीनी श्रद्धांजलि दी है।
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