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मंगलवार, फ़रवरी 4, 2025
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आरक्षण विवाद: एससी-एसटी क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में भारत बंद, राजनीतिक दलों में मतभेद

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के आरक्षण में क्रीमीलेयर के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले ने देश भर में हलचल मचा दी है। इस फैसले के विरोध में गुरुवार को विभिन्न संगठनों द्वारा भारत बंद का आह्वान किया गया, जिसने राजनीतिक गलियारों में तीखी बहस छेड़ दी है।
केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने बंद का विरोध करते हुए कहा, “कुछ स्वार्थी तत्व समाज में भ्रम फैला रहे हैं। आर्थिक रूप से संपन्न कुछ दलित नेता आरक्षण खत्म करने की अफवाहें फैला रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि अधिकांश दलित अभी भी गरीबी में जीवन बिता रहे हैं।”

दूसरी ओर, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने बंद का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “जब तक समाज में छुआछूत जैसी कुरीतियां मौजूद हैं, तब तक एससी/एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर जैसे प्रावधान नहीं होने चाहिए।”
भाजपा नेता किरोड़ी लाल मीणा ने एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए कहा, “सुप्रीम कोर्ट के अवलोकन पर विचार किया जाना चाहिए, लेकिन कुछ लोगों द्वारा राजनीतिक लाभ के लिए एससी-एसटी समुदाय को भड़काना अनुचित है।”
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भी बंद का समर्थन करते हुए कहा, “डॉ. अंबेडकर के संघर्ष से मिले आरक्षण के अधिकार के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। हम सरकार से संविधान संशोधन के माध्यम से आरक्षण में किए गए बदलावों को निरस्त करने की मांग करते हैं।”

यह विवाद भारतीय समाज में आरक्षण की जटिलताओं को उजागर करता है। जहां एक ओर आरक्षण सामाजिक न्याय का एक महत्वपूर्ण उपकरण है, वहीं दूसरी ओर इसके क्रियान्वयन को लेकर विभिन्न मत हैं। आने वाले दिनों में यह मुद्दा राष्ट्रीय बहस का केंद्र बना रहेगा, जिसमें सरकार, न्यायपालिका और समाज के विभिन्न वर्गों को मिलकर एक ऐसा समाधान ढूंढना होगा जो सभी के हितों की रक्षा करे और साथ ही सामाजिक समानता के लक्ष्य को भी पूरा करे।

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