कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में गुरुवार की अर्धरात्रि एक दुखद घटना ने सबको झकझोर दिया। कोरबा प्रेस क्लब के वरिष्ठ सदस्य, मशहूर लेखक, पत्रकार और साहित्यकार सुरेशचंद्र रोहरा का हृदय गति रुकने से अचानक निधन हो गया। रानी रोड, शहीद हेमू कालोनी में रहने वाले सुरेशचंद्र अपने पीछे परिवार को रोता-बिलखता छोड़ गए। उनके जाने से न सिर्फ कोरबा, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के पत्रकार और साहित्य जगत में शोक की लहर छा गई है।
एक सितारा जो हमेशा के लिए बुझ गया
सुरेशचंद्र रोहरा एक ऐसे शख्स थे, जिनका व्यक्तित्व सहज, सरल और शांत था। उनकी मृदु आवाज और गांधीवादी सोच हर किसी को प्रभावित करती थी। बहुमुखी प्रतिभा के धनी सुरेशचंद्र ने अपनी लेखनी से न सिर्फ पत्रकारिता को नई ऊंचाइयां दीं, बल्कि साहित्य और समाज को भी समृद्ध किया। कोरबा और रायपुर से प्रकाशित दैनिक अखबार *लोकसदन* में वह संपादक की भूमिका निभा रहे थे। इसके अलावा देश के बड़े समाचार पत्रों में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर उनके लेख छपते थे, जो पाठकों के दिलों को छू जाते थे।
गांधीवादी विचारों का सच्चा पहरेदार
सुरेशचंद्र ने गांधीवादी विचारधारा को न सिर्फ अपने लेखन में उतारा, बल्कि उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाया। साप्ताहिक समाचार पत्रों के जरिए उन्होंने महात्मा गांधी के विचारों को आज के समय में भी प्रासंगिक साबित किया। छत्तीसगढ़ की बड़ी घटनाओं को उन्होंने अपनी कलम से जीवंत कर दिया। मासिक पत्रिकाओं जैसे *मनोहर कहानियां* और *सत्यकथा* में उनकी रचनाएं लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय थीं।
कोरबा की धरोहर को दी नई पहचान
सुरेशचंद्र रोहरा ने *लोकसदन* के जरिए छत्तीसगढ़ के मशहूर साहित्यकारों, लेखकों, कवियों और पत्रकारों के जीवन की कहानियों को संकलित किया। उनके इस प्रयास ने नई पीढ़ी के सामने प्रेरक आदर्श रखे। उनकी लेखनी में गहराई, संवेदनशीलता और सच्चाई का अनोखा संगम था, जो हर पाठक को सोचने पर मजबूर कर देता था।
परिवार और समाज का असहनीय नुकसान
उनके अचानक निधन से परिवार सदमे में है। दोस्त, पत्रकार, साहित्यकार और कोरबा के लोग इस खबर से स्तब्ध हैं। उनके सहयोगी उन्हें एक सज्जन और प्रेरणादायक व्यक्तित्व के रूप में याद कर रहे हैं। कोरबा के पत्रकार जगत के लिए उनका जाना एक ऐसी क्षति है, जिसकी भरपाई शायद कभी न हो सके।
एक युग का अंत
सुरेशचंद्र रोहरा का निधन सिर्फ एक व्यक्ति का जाना नहीं, बल्कि एक युग का अंत है। उनकी कलम अब शांत हो गई, लेकिन उनके विचार और लेखन हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगे। यह दुखद क्षण हमें याद दिलाता है कि अच्छे लोग भले ही चले जाएं, पर उनकी विरासत हमेशा हमारे बीच रहती है।

कोरबा और छत्तीसगढ़ के लोग इस दुख की घड़ी में उनके परिवार के साथ हैं। प्राकृतिक शक्ति उनकी आत्मा को शांति दे और परिवार को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करे।
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