कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढिया क्रांति सेना के जिलाध्यक्ष अतुल दास महंत ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री और गृह सचिव को पत्र लिखकर समाजसेवी और अधिवक्ता दिलीप कुमार मिरी पर जिला बदर की कार्रवाई को निरस्त करने की मांग की है। यह मांग उनके जनहित कार्यों और मजदूरों के अधिकारों के लिए किए गए संघर्षों को आधार बनाकर की गई है।
कौन हैं दिलीप मिरी और क्यों उठ रही है यह मांग?
दिलीप मिरी छत्तीसगढिया क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष और एक प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वे पिछले दो वर्षों से जिला एवं सत्र न्यायालय, कोरबा में जरूरतमंदों के केस लड़ रहे हैं। दिलीप मिरी ने कोरबा जिले के मजदूरों, भू-विस्थापितों और पुनर्वास से जुड़े लोगों के हक के लिए कई आंदोलन किए हैं।
उनकी कोशिशों से मजदूरों को उनके वेतन में सुधार, बोनस, और श्रम कानूनों के पालन का लाभ मिला। उन्होंने श्रमिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया और ड्यूटी के घंटे 12 से घटाकर 8 कराने में सफलता पाई।
प्रमुख जनहित कार्य
1. फर्जी जाति प्रमाण पत्र का खुलासा: दीपका क्षेत्र में हजारों फर्जी आदिवासी जाति प्रमाण पत्र की पहचान कर 23 प्रमाण पत्र निलंबित करवाए।
2. भ्रष्टाचार का भंडाफोड़: मानिकपुर के DETP प्लांट में भ्रष्टाचार उजागर कर पर्यावरण संरक्षण मंडल से 15 लाख का जुर्माना लगवाया।
3. राखड़ प्रबंधन पर कार्रवाई: पावर प्लांट्स से निकलने वाली राखड़ के अनियमित निस्तारण के खिलाफ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की।
4. मजदूरों के अधिकार दिलाए: SECL क्षेत्रों में श्रमिकों को कानूनी और संवैधानिक अधिकार दिलाए।
5. संस्कृति का संरक्षण: छत्तीसगढ़िया संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए।
6. निशुल्क कानूनी सहायता: पूरे प्रदेश में जरूरतमंदों को निशुल्क कानूनी सलाह दी।
दिलीप मिरी पर कार्रवाई क्यों?
दिलीप मिरी के खिलाफ प्रशासन और राजनीतिक विरोध के कारण कई झूठे मामलों में एफआईआर दर्ज कराई गई। इन मामलों को आधार बनाकर उन्हें जिला बदर करने की कार्रवाई की गई। जबकि, उनके समर्थकों का कहना है कि यह कदम उनके जनहित कार्यों को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है।
समाज और प्रशासन को प्रभावित करने वाले मुद्दे
दिलीप मिरी ने न केवल श्रमिकों और विस्थापितों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी, बल्कि पर्यावरण और स्थानीय संस्कृति को भी संरक्षित करने में योगदान दिया। उनके कार्यों के कारण, कोरबा जिले के कई गंभीर मुद्दों को उजागर किया गया।
दिलीप मिरी का संघर्ष
पुलिस और प्रशासन के दबाव के बावजूद, दिलीप मिरी ने कानूनी तरीके से जमानत लेकर अपनी लड़ाई जारी रखी। उनके समर्थक इसे एक साजिश मानते हैं और उनकी जिला बदर की कार्रवाई को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।
छत्तीसगढिया क्रांति सेना ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री और गृह सचिव से इस मामले पर पुनर्विचार करते हुए जिला बदर की कार्रवाई को तुरंत प्रभाव से निरस्त करने की मांग की है। यह अपील इस आधार पर की गई है कि दिलीप मिरी ने समाजहित में कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जो न केवल कोरबा, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए अनुकरणीय हैं।
यह मामला न केवल एक व्यक्ति के अधिकारों का है, बल्कि उन हजारों मजदूरों और समाज के शोषित वर्गों की आवाज को दबाने का प्रयास भी है, जिनके लिए दिलीप मिरी लड़ रहे हैं। प्रशासन को निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई पर पुनर्विचार करना चाहिए।
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