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शनिवार, दिसम्बर 21, 2024
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प्रभारी परियोजना अधिकारी की मनमानी से परेशान रेडी-टू-ईट फूड सप्लायर: 3 साल के अनुबंध के बावजूद बदला ठेकेदार, प्रशासन से की शिकायत!

कोरबा (पब्लिक फोरम)। जिले के पोड़ी-उपरोड़ा में रेडी-टू-ईट फूड वितरण से जुड़ा एक विवाद सामने आया है, जहां प्रभारी परियोजना अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल पर मनमानी और स्वार्थी रवैया अपनाने के आरोप लगे हैं। शिकायतकर्ता वकार युजुरा ने महिला बाल विकास अधिकारी को लिखित शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में कहा गया है कि 2022 में वकार युजुरा को चोटिया परियोजना के तहत सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में रेडी-टू-ईट फूड (पोषण आहार) वितरण का कार्य सौंपा गया था, जो तीन साल के अनुबंध के तहत किया जाना था।

नियमों के अनुसार, वकार ने हर महीने फूड वितरण और सत्यापन की रिपोर्ट संबंधित परियोजना कार्यालय में जमा की थी। लेकिन, जुलाई 2024 से प्रभारी परियोजना अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल ने वकार को बिना कारण बताए काम से हटा दिया और अपने सहयोगी धमेन्द्र चौधरी से फूड वितरण का कार्य करवाना शुरू कर दिया। वकार का कहना है कि पिछले दो सालों में उनके काम को लेकर कोई शिकायत नहीं आई थी, इसके बावजूद उन्हें कार्य से हटा दिया गया।

शिकायत में आगे आरोप लगाया गया है कि मनोज कुमार अग्रवाल ने कटघोरा परियोजना कार्यालय में बुलाकर वकार को धमकाया और आरोप लगाया कि उन्होंने वितरण पावती में फर्जी हस्ताक्षर कर सत्यापन करवाया है। वकार को एफ.आई.आर. की धमकी भी दी गई, हालांकि इसकी सच्चाई जांच के बाद ही स्पष्ट होगी।

वकार ने बताया कि उन्होंने कर्ज लेकर फूड वितरण का काम पूरा किया है, क्योंकि कंपनी द्वारा वितरण कार्य के लिए कम पैसे दिए जाते हैं। ऐसे में अगर उन्हें अनुचित तरीके से हटाया गया तो वे लेबर और गाड़ी भाड़ा का भुगतान कैसे करेंगे? कंपनी ने भी उनकी समस्या का समाधान करने के बजाय चुप्पी साध रखी है।

इस पूरे मामले में जिम्मेदार अधिकारियों की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं। वकार ने अपील की है कि विभाग के उच्चाधिकारियों को मामले की जांच करानी चाहिए ताकि मनमानी पर रोक लग सके और फूड वितरण कार्य सही तरीके से जारी रहे।

जब इस विषय पर “पब्लिक फोरम” टीम ने महिला बाल विकास अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

इस मामले में परियोजना अधिकारी पर अनुचित तरीके से ठेकेदार बदलने और अपने निजी लाभ के लिए सरकारी कार्यप्रणाली का दुरुपयोग करने के आरोप लगे हैं। यदि आरोप सही हैं, तो यह स्पष्ट रूप से प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का मामला है, जिसे तुरंत सुलझाया जाना चाहिए। साथ ही, शिकायतकर्ता की ओर से उठाए गए वित्तीय और मानसिक दबाव के मुद्दों पर भी ध्यान देना जरूरी है, ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याएं दोबारा न हों।

अधिकारियों को इस मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करनी चाहिए ताकि सच सामने आ सके और दोषियों पर कार्रवाई की जा सके। जनता के हित में सरकारी कार्यों की निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।

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