सोमवार, जुलाई 14, 2025
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राजकुमार सोनी बने जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय सह-सचिव: रांची सम्मेलन में फासीवाद विरोधी सांस्कृतिक एकजुटता पर जोर

रांची/रायपुर (पब्लिक फोरम)। जन संस्कृति मंच (जसम) के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन झारखंड की राजधानी रांची में संपन्न हुआ, जिसमें देशभर से आए लेखकों, संस्कृतिकर्मियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। सम्मेलन में देश के प्रख्यात रंगकर्मी जहूर आलम को जसम का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया, जबकि तीसरी बार राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी मनोज सिंह को सौंपी गई।

इस बार छत्तीसगढ़ की सक्रिय सांस्कृतिक उपस्थिति को देखते हुए मंच की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कई महत्वपूर्ण नियुक्तियाँ की गईं। वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और संस्कृतिकर्मी राजकुमार सोनी को राष्ट्रीय सह-सचिव की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। यह न केवल छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक जगत के लिए सम्मान की बात है, बल्कि जनपक्षधर संस्कृति को मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत भी है।

जसम की राष्ट्रीय परिषद और कार्यकारिणी में छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों के कई प्रतिबद्ध साहित्यकारों व कलाकारों को भी शामिल किया गया है। इनमें आलोचक सियाराम शर्मा, कथाकार कैलाश बनवासी, रूपेंद्र तिवारी, दीपक सिंह, कामिनी त्रिपाठी, तथा बिलासपुर इकाई के अध्यक्ष मुदित मिश्रा प्रमुख हैं।

इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय परिषद में जिन साहित्यिक-सांस्कृतिक व्यक्तित्वों को स्थान मिला है, उनमें सुरेश वाहने, घनश्याम त्रिपाठी, सुलेमान खान, एन. पापा राव, अशोक तिवारी, आलिम नक़वी, शायर सुखनवर, वंदना कुमार, इंद्र कुमार राठौर, समीर दीवान, अजय शुक्ला, कमलेश पांडे, अब्दुल रज्जाक, निहाल और आदित्य शामिल हैं।

हाल ही में मध्यप्रदेश के अशोकनगर में गठित जसम इकाई के कवि हरगोविंद पुरी को भी राष्ट्रीय परिषद में शामिल किया गया है, जो संगठन के विस्तार और गहराई को दर्शाता है।

फासीवादी प्रवृत्तियों के खिलाफ सांस्कृतिक मोर्चा

सम्मेलन का केंद्रीय विचार फासीवादी, सांप्रदायिक और विभाजनकारी ताकतों के विरुद्ध सांस्कृतिक प्रतिरोध को मजबूत करना था। विभिन्न सत्रों में लेखकों, रंगकर्मियों और विचारकों ने विचारधारात्मक संघर्ष के औज़ारों की आवश्यकता पर बल दिया।

दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी आयोजित की गईं। रायपुर जसम इकाई की ओर से संजू पूनम और सुनीता शुक्ला के नृत्य और गीतों को श्रोताओं ने अत्यंत सराहना दी। सम्मेलन के एक सत्र का संचालन पत्रकार राजकुमार सोनी ने किया, जिसमें सांस्कृतिक प्रतिरोध के समकालीन आयामों पर गंभीर विमर्श हुआ।

सम्मेलन ने इस बात पर भी जोर दिया कि लेखन, संगीत, रंगमंच और अन्य कलात्मक माध्यमों को जनसंघर्षों के पक्ष में धारदार बनाया जाना चाहिए।

जन संस्कृति मंच का यह सम्मेलन न केवल संगठनात्मक रूप से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि यह एक मजबूत सांस्कृतिक हस्तक्षेप भी था। छत्तीसगढ़ की हिस्सेदारी और राजकुमार सोनी जैसे जमीनी पत्रकार की राष्ट्रीय स्तर पर नियुक्ति, इस बात का संकेत है कि वैचारिक और सांस्कृतिक संघर्षों में जनपक्षधरता को एक नई ऊर्जा मिल रही है।

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