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रायपुर मेकाहारा कांड: पत्रकारों से मारपीट के बाद बाउंसरों का मुंडन कर शहर में निकाला जुलूस, 3 गिरफ्तार

रायपुर (पब्लिक फोरम)। राजधानी रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में पत्रकारों के साथ हुई शर्मनाक मारपीट की घटना ने पूरे प्रदेश को स्तब्ध कर दिया है। इस मामले में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिन्हें आज जयस्तंभ चौक से आधे सिर मूंडकर शहर में जुलूस निकाला गया। यह घटना न सिर्फ पत्रकारिता जगत में आक्रोश का कारण बनी है, बल्कि इसने अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था और संवेदनशील मामलों में रिपोर्टिंग के दौरान मीडिया की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या हुआ था मेकाहारा अस्पताल में?
यह पूरा मामला रविवार देर रात का है। मेकाहारा अस्पताल में पत्रकार एक चाकूबाजी की घटना के पीड़ित की रिपोर्टिंग करने पहुंचे थे। इसी दौरान, अस्पताल की सुरक्षा में लगे बाउंसरों ने उन्हें कवरेज करने से रोका और देखते ही देखते विवाद बढ़ गया। बताया जा रहा है कि बाउंसर सप्लाई करने वाली एजेंसी का संचालक वसीम खुद पिस्तौल लेकर मौके पर पहुंचा और अपने तीन बाउंसरों के साथ मिलकर पत्रकारों को धमकाने लगा। हद तो तब हो गई जब वसीम ने पुलिस की मौजूदगी में महिला सुरक्षाकर्मियों को अस्पताल के गेट से बाहर निकालकर पत्रकारों की ओर धकेलना शुरू कर दिया।
पुलिस ने अस्पताल के गेट पर पत्रकारों को रोकने का प्रयास किया, लेकिन जब बाउंसरों की गुंडागर्दी जारी रही, तो सभी पत्रकार बाउंसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन पर उतर आए। लगभग तीन घंटे तक कोई कार्रवाई न होने पर पत्रकारों का धैर्य जवाब दे गया और उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री आवास का घेराव कर दिया।

पत्रकारों का आक्रोश और प्रशासन की कार्रवाई
मुख्यमंत्री आवास के बाहर पत्रकारों के धरने पर बैठने की खबर मिलते ही रायपुर के एसएसपी डॉ. लाल उम्मेद सिंह मौके पर पहुंचे। पत्रकारों ने स्पष्ट किया कि जब तक अंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक स्वयं आकर घटना पर कार्रवाई की जानकारी नहीं देते, तब तक वे धरना खत्म नहीं करेंगे। इसके बाद, अंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर मुख्यमंत्री आवास के गेट के पास पहुंचे। उन्होंने पत्रकारों से दुर्व्यवहार के लिए माफी मांगी और आश्वासन दिया कि अस्पताल की सुरक्षा में लगी ‘कॉल मी सर्विस’ एजेंसी के टेंडर को निरस्त करने की अनुशंसा को लेकर सरकार को पत्र लिखेंगे।

इस गंभीर मामले पर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने भी कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने रायपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर से फोन पर बात की और कहा कि पत्रकारों को धमकाने वाले ऐसे लोगों को “मिट्टी में मिला दिया जाएगा” और इस मामले में सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री से कार्रवाई का आश्वासन मिलने के बाद देर रात पत्रकारों ने अपना धरना प्रदर्शन स्थगित कर दिया।

यह घटना सिर्फ पत्रकारों पर हमले का मामला नहीं है, बल्कि यह एक ऐसे संवेदनशील पेशे से जुड़े लोगों की सुरक्षा पर सवाल उठाती है, जो समाज को सही और सच्ची खबरें पहुंचाने का काम करते हैं। अस्पताल जैसे सार्वजनिक स्थानों पर मरीजों और उनके परिजनों के साथ-साथ मीडियाकर्मियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है।

बाउंसरों द्वारा पत्रकारों पर किया गया यह हमला न केवल उनकी पेशेवर स्वतंत्रता पर आघात है, बल्कि यह आम जनता के सूचना के अधिकार पर भी हमला है।
पुलिस द्वारा आरोपियों की गिरफ्तारी और उनके मुंडन कर जुलूस निकालने की कार्रवाई एक मजबूत संदेश देती है कि इस तरह की गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हालांकि, यह भी सुनिश्चित करना आवश्यक है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

अस्पताल प्रशासन और संबंधित एजेंसियां अपनी सुरक्षा नीतियों की समीक्षा करें और यह सुनिश्चित करें कि उनके कर्मचारी अपनी सीमाओं में रहें और किसी भी नागरिक के साथ दुर्व्यवहार न करें, विशेषकर तब जब वे अपने पेशेवर कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हों। यह घटना एक महत्वपूर्ण सीख है कि समाज के चौथे स्तंभ की सुरक्षा और सम्मान को सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

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