मुख्य निर्देश एक नजर में
– उद्योगों के 2.5 किमी परिधि में नियमित सफाई व्यवस्था
– सभी इकाइयों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य
– 31 जुलाई 2025 तक मियावाकी पद्धति से वृक्षारोपण
– डीजल वाहनों के स्थान पर हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग
रायगढ़ (पब्लिक फोरम)। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जिला कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में औद्योगिक एवं खनन क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की। इस बैठक में जिले के बेहतर पर्यावरणीय भविष्य के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार करने पर चर्चा की गई।
औद्योगिक विकास और पर्यावरण संरक्षण में संतुलन आवश्यक
कलेक्टर श्री चतुर्वेदी ने स्पष्ट किया कि रायगढ़ एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र के रूप में जिले और प्रदेश के आर्थिक विकास तथा रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा, “हमारे उद्योग निश्चित रूप से विकास के वाहक हैं, परंतु पर्यावरणीय प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अब समय आ गया है कि हम सभी मिलकर एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करें जो आर्थिक प्रगति और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित करे।”
कलेक्टर ने औद्योगिक प्रक्रियाओं में स्वच्छ प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग पर जोर दिया। विशेष रूप से स्पंज आयरन उद्योगों को निर्देश दिए गए कि वे अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए सौर ऊर्जा, प्राकृतिक गैस और बायोमास पैलेट जैसे वैकल्पिक स्रोतों का समावेश करें। इससे न केवल कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, बल्कि परंपरागत ईंधन से निकलने वाले अपशिष्ट की समस्या भी कम होगी।
सभी उद्योगों और खदानों को निर्देश दिया गया कि वे अपने डीजल संचालित वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हाइड्रोजन गैस और विद्युत संचालित वाहनों से प्रतिस्थापित करें। यह कदम छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत बोर्ड (सीएसपीडीसीएल) की भांति अन्य औद्योगिक इकाइयों के लिए भी अनुकरणीय होगा।
मियावाकी पद्धति से हरित क्रांति
आगामी मानसून सत्र को लक्षित करते हुए, कलेक्टर ने सभी औद्योगिक इकाइयों को 31 जुलाई 2025 तक अपने परिसर में कम से कम एक स्थान पर मियावाकी पद्धति से सघन वृक्षारोपण करने का निर्देश दिया। यह जापानी तकनीक पारंपरिक वृक्षारोपण की तुलना में 10 गुना तेजी से पेड़ों की वृद्धि सुनिश्चित करती है और 30 गुना अधिक ऑक्सीजन उत्पादन करती है।
महिला स्वयं सहायता समूहों का सहयोग
पर्यावरण संरक्षण को सामुदायिक भागीदारी से जोड़ते हुए, कलेक्टर ने उद्योगों से कहा कि वे अपने औद्योगिक अपशिष्ट से उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करने के लिए स्थानीय महिला स्वयं सहायता समूहों को संलग्न करें। इससे एक ओर जहां अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार होगा, वहीं महिलाओं को आजीविका के नए अवसर भी मिलेंगे।
प्लास्टिक अपशिष्ट के बेहतर निपटान के लिए आरडीएफ (रिफ्यूज डिराइव्ड फ्यूल) सुविधा विकसित करने की पहल करने का भी सुझाव दिया गया।
2.5 किमी परिधि में स्वच्छता अभियान
एक महत्वपूर्ण निर्देश में कलेक्टर ने सभी उद्योगों से कहा कि वे अपने परिसर के 2.5 किलोमीटर की परिधि में स्थित सड़कों की नियमित सफाई और जल छिड़काव की जिम्मेदारी लें। इससे औद्योगिक वाहनों से होने वाले धूल उत्सर्जन में काफी कमी आएगी।
वर्तमान में 9 खदानों और 19 उद्योगों के पास रोड स्वीपिंग व्हीकल नहीं है, जिन्हें तत्काल इसकी खरीदारी करने के निर्देश दिए गए। छोटे उद्योगों के लिए ट्रक माउंटेड, ट्रैक्टर या पोर्टेबल वाटर कैनन जैसे किफायती विकल्पों का सुझाव दिया गया।
सभी उद्योगों को अपने प्रवेश द्वार पर व्हील वॉशिंग सिस्टम का नियमित संचालन सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया गया।
जल संरक्षण के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य
भूजल संकट को देखते हुए, कलेक्टर ने सभी औद्योगिक इकाइयों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य कर दिया। उन्होंने कहा कि उद्योगों की विशाल जल आवश्यकताओं को देखते हुए भूजल पुनर्भरण की दिशा में गंभीर प्रयास आवश्यक हैं। जिन इकाइयों में यह व्यवस्था नहीं है, उन्हें तत्काल इसे स्थापित करने के निर्देश दिए गए।
बैठक में उपस्थित अधिकारी
इस महत्वपूर्ण बैठक में क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी अंकूर साहू, खनिज अधिकारी राजेश मालवे सहित जिले के प्रमुख औद्योगिक प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
मुख्य बिंदु:
– स्वच्छ ऊर्जा अपनाने पर जोर।
– मियावाकी वृक्षारोपण अनिवार्य।
– 2.5 किमी परिधि में सफाई जिम्मेदारी।
– रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य।
– महिला स्वयं सहायता समूहों का सहयोग।
– हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता।
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