रविवार, सितम्बर 8, 2024
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एसकेएम का शिवराज सिंह चौहान की केंद्रीय कृषि मंत्रालय नियुक्ति पर विरोध: किसानों के खून के धब्बों पर उठे सवाल

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। सयुंक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय को शिवराज सिंह चौहान को आवंटित करने के एनडीए सरकार के निर्णय का कड़ा विरोध किया है। एसकेएम का आरोप है कि चौहान के दामन पर मंदसौर के किसानों के खून के धब्बे लगे हैं, जिनकी हत्या 6 जून 2017 को तब की गई थी जब वे सी2+50% के हिसाब से एमएसपी, व्यापक कर्जा माफी और किसानों की आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। यह निर्णय भाजपा की पूर्ववर्ती सरकारों की असंवेदनशीलता और अहंकार का प्रतीक है, जिसने देश भर के किसानों और ग्रामीण लोगों में आक्रोश उत्पन्न किया है।

एनडीए की पहली कैबिनेट बैठक में किसानों की आत्महत्या और कृषि संकट पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। देश भर में प्रतिदिन 31 किसानों की आत्महत्या की घटनाओं को देखते हुए, किसानों की लंबे समय से लंबित मांगों जैसे कि सी2+50% के हिसाब से गारंटीकृत एमएसपी, व्यापक कर्जा माफी, बिजली के निजीकरण को निरस्त करना, उत्पादन की लागत में कमी और सुनिश्चित बीमा एवं पेंशन को पूरा करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के बकाया 20,000 करोड़ रुपये जारी करने के नाम पर हो-हल्ला मचाया जा रहा है, जो कि प्रति किसान परिवार औसतन 500 रुपये प्रति माह की अपर्याप्त राशि प्रदान करती है और किसानों को संतुष्ट करने में असमर्थ है।
एनडीए और भाजपा ने 159 ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्रों में अपनी हार से कोई सबक नहीं सीखा है। किसानों को इस बात का कोई भ्रम नहीं है कि कृषि में कॉर्पोरेट नीतियों में भाजपा कोई बदलाव करेगी। किसानों को मजदूरों, छोटे व्यापारियों और छोटे उत्पादकों के साथ मिलकर व्यापक संघर्षों के लिए तैयार रहना होगा। एसकेएम जनता की अधिकतम एकता बनाते हुए, एनडीए सरकार पर दबाव डालने के लिए प्रतिबद्ध है कि वह आम लोगों के विकास के लिए अपनी कॉर्पोरेट संचालित नीतियों को किसान और मजदूर केंद्रित नीतियों से बदले।
इस संदर्भ में, एसकेएम ने चुनाव के बाद के परिदृश्य का आकलन करने के लिए 10 जुलाई 2024 को नई दिल्ली में अपनी जनरल बॉडी बैठक निर्धारित की है। इस बैठक में देश भर के विभिन्न राज्यों से एसकेएम के घटक किसान संगठनों के नेता शामिल होंगे। बैठक में लाभकारी आय, उत्पादन की लागत में कमी, कर्जा मुक्ति सहित ठोस मांगों पर भविष्य की कार्ययोजना पर विचार किया जाएगा। साथ ही कृषि के निगमीकरण की नीति को सामूहिक और सहकारी खेती, कृषि आधारित औद्योगीकरण एवं सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा समर्थित विपणन प्रणाली की उत्पादक केंद्रित वैकल्पिक नीति से तब्दील करने के लिए रूप-रेखा बनाई जाएगी।

एसकेएम ने 13 जून 2024 को लखीमपुर खीरी के शहीदों के परिवारों से मुलाकात की और उन किसानों को कानूनी सहायता जारी रखने का आश्वासन दिया जिन्हें भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा इस घटना के मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है। इसके साथ ही, एसकेएम ने सांसद कंगना रनौत द्वारा ऐतिहासिक किसान आन्दोलन के खिलाफ दिए गए अहंकारी और दुर्भावनापूर्ण बयानों की आलोचना की है, हालांकि एक महिला सुरक्षाकर्मी द्वारा उन्हें थप्पड़ मारने की घटना को उचित नहीं माना।

एसकेएम का एनडीए सरकार के फैसलों पर तीखा विरोध जारी है। किसानों की मांगों और उनकी सुरक्षा के लिए संघर्ष को तेज करने की आवश्यकता पर बल देते हुए, एसकेएम ने अपनी आगामी रणनीतियों और कार्ययोजनाओं को लेकर महत्वपूर्ण बैठकें निर्धारित की हैं। किसानों की हक की लड़ाई में एसकेएम पूरी ताकत के साथ खड़ा है।

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