
खरसिया(पब्लिक फोरम)। खरसिया के ग्राम दर्रामुड़ा में 27 जुलाई 2025 को सार्वजनिक रूप से झूला रथ यात्रा महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया, जिसने पूरे क्षेत्र में एक नई परंपरा की शुरुआत कर दी। रविवार को गौतम चौक में आयोजित यह कार्यक्रम पूर्णतः भक्तिमय वातावरण में सम्पन्न हुआ, जिसमें ग्रामवासियों के साथ-साथ आसपास के गांवों से भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। सुबह से ही चौक में चहल-पहल शुरू हो गई थी। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की विधिवत पूजा-अर्चना के साथ सुबह की शुरुआत हुई और शाम को रथ यात्रा निकाली गई। चौक पर अत्यंत सुंदर झूला तैयार किया गया था, जिसमें भगवान को विराजमान कर झुलाया गया। जैसे ही भगवान को झूले में झुलाया गया, पूरा चौक “जय जगन्नाथ” के जयघोष से गूंज उठा। महिलाओं ने थाल सजाकर पूजा की, युवाओं ने व्यवस्था संभाली और बच्चों ने उल्लास से माहौल को और भी आनंदमय बना दिया। यह आयोजन केवल एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं बल्कि ग्राम की एकजुटता, आस्था और संस्कृति का उत्सव बन गया।

इस आयोजन की नींव करीब एक माह पूर्व डाली गई थी, जब गांव के वरिष्ठजनों और युवाओं ने मिलकर यह निर्णय लिया कि इस बार ग्राम में सार्वजनिक झूला रथ यात्रा महोत्सव आयोजित किया जाएगा। इसके बाद युवाओं ने मिलकर तैयारियों की कमान संभाली और लगातार दिन-रात मेहनत कर रथ यात्रा की रूपरेखा तैयार की। चौक की साफ-सफाई, झूले का निर्माण, सजावट, भगवान की मूर्तियों की व्यवस्था और सांस्कृतिक कार्यक्रम की रूपरेखा—सब कुछ गांव के ही युवाओं ने किया। शनिवार तक पूरी तैयारियां पूरी कर ली गई थी और रविवार सुबह से ही पूरे गौतम चौक में मेले जैसा दृश्य बन गया था। श्रद्धालु अपने परिवार सहित सुबह से ही पूजा-अर्चना के लिए पहुंचने लगे थे। छत्तीसगढ़ी संस्कृति की अनुपम झलक महोत्सव में दिखाई दी, जब कर्मा नृत्य की मांदर और झांझ की थाप पर लोक कलाकारों ने प्रस्तुति दी। युवाओं द्वारा आमंत्रित की गई यह टोली जब मंच पर आई तो लोग मंत्रमुग्ध हो गए। पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रम एक साथ चलते रहे और श्रद्धालु भक्ति और लोक-संस्कृति के संगम में डूबे रहे।

रथ यात्रा महोत्सव के दौरान गांव में मेला जैसा वातावरण रहा। छोटे-छोटे बच्चों से लेकर महिला-पुरुषों तक ने अपनी-अपनी दुकानें लगाईं। कहीं खिलौनों की दुकानें सजी थीं, तो कहीं चाट-समोसे, फुचका, मिठाई और शरबत की दुकानों पर भीड़ लगी थी। पूरे चौक में लोक पर्व जैसा दृश्य था। गांव की महिलाओं ने पारंपरिक परिधानों में सज-धजकर रथ यात्रा में भाग लिया और पूरे समय पूजा-पाठ में संलग्न रहीं। बुजुर्गों ने बच्चों को धार्मिकता और संस्कृति की जानकारी दी, तो युवाओं ने पूरी व्यवस्था को अनुशासित और उत्सवपूर्ण बनाए रखा। यह कार्यक्रम जितना कल्पना किया गया था, उससे कहीं अधिक भव्य और सफल रहा। गौतम चौक का चयन आयोजन स्थल के रूप में अत्यंत उचित साबित हुआ क्योंकि वह स्थान सभी के लिए सुलभ था और भीड़ प्रबंधन के लिए उपयुक्त भी। यह आयोजन दर्रामुड़ा गांव के इतिहास में एक नई सांस्कृतिक शुरुआत के रूप में दर्ज हो गया है। श्रद्धा, समर्पण और सहयोग की भावना से सम्पन्न यह महोत्सव अब हर वर्ष आयोजित करने का संकल्प लिया गया है, जिससे धार्मिकता के साथ-साथ गांव की एकजुटता और सांस्कृतिक विरासत भी आगे बढ़ती रहेगी।


Recent Comments