भिलाईनगर (पब्लिक फोरम)। ऑल इंडिया लायर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस (आइलाज) और ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम (एआईपीएफ) छत्तीसगढ़ द्वारा संविधान और गणतंत्र की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर “संविधान बचाओ – गणतंत्र बचाओ” जन अभियान के तहत एक राज्य स्तरीय कन्वेंशन का आयोजन किया गया। यह आयोजन 18 जनवरी 2025 को सेक्टर-2, भिलाई, जिला दुर्ग में आयोजित हुआ। इस बार की थीम थी, “संविधान के 75 वर्ष: चुनौतियां और संघर्ष।”
सम्मानित वक्ताओं ने साझा किए विचार
कन्वेंशन में आइलाज से विरेन्द्र उके, एआईपीएफ से अखिलेश एडगर, ऐक्टू से श्यामलाल साहू, जन संस्कृति मंच से कैलाश वनवासी, छत्तीसगढ़ किसान महासभा से नरोत्तम शर्मा, और लोकतांत्रिक विचार मंच से राजकुमार गुप्ता ने प्रमुख वक्ता के रूप में संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन बृजेन्द्र तिवारी ने किया।
शुरुआत में आजादी के आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके बाद संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन हुआ। वक्ताओं ने संविधान और गणतंत्र के समक्ष मौजूदा खतरों पर प्रकाश डालते हुए, बाबा साहब अंबेडकर और भगत सिंह की प्रासंगिकता पर जोर दिया।
विवादास्पद बयानों की कड़ी निंदा
कार्यक्रम के दौरान अमित शाह और मोहन भागवत के हालिया बयानों की कड़ी आलोचना की गई। वक्ताओं ने कहा कि ऐसे बयान संविधान और स्वतंत्रता आंदोलन की मूल भावना को कमजोर करने वाले हैं। वक्ताओं ने एकजुट होकर इन्हें चुनौती देने और संविधान की रक्षा के लिए संघर्ष को तेज करने का आह्वान किया।
संविधान के प्रति चेतावनियों की याद
वक्ताओं ने डॉ. अंबेडकर की उस चेतावनी को याद किया जिसमें उन्होंने संविधान और लोकतंत्र को खतरे में डालने वाली ताकतों के प्रति आगाह किया था। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में भगत सिंह और अंबेडकर की शिक्षाएं पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गई हैं।
कन्वेंशन में स्वतंत्रता, समानता, भाईचारे और न्याय की संवैधानिक दृष्टि को समाज में फैलाने का संकल्प लिया गया। वक्ताओं ने कहा कि यह संघर्ष न केवल संविधान की रक्षा के लिए है, बल्कि जनता के अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए भी जरूरी है।
संदेश: एकजुटता और संघर्ष ही समाधान
कार्यक्रम के अंत में यह संदेश दिया गया कि वर्तमान चुनौतियों का सामना साहस, धैर्य, और एकता से करना होगा। जनता के मुद्दों को प्राथमिकता देते हुए संघर्ष के झंडे को बुलंद रखना समय की मांग है।
यह कन्वेंशन संविधान और गणतंत्र की रक्षा के लिए एकजुटता का प्रतीक बना और सामाजिक न्याय के प्रति नए संकल्पों के साथ संपन्न हुआ।
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