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शनिवार, जुलाई 26, 2025
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मोतिमपुर में नलवा खदान के विरोध में जनसुनवाई: भारी पुलिस बल तैनात

जनसुनवाई बनी अखाड़ा, जनता के गुस्से के सामने प्रशासन बेबस!

छत्तीसगढ़/मोतिमपुर (पब्लिक फोरम)। विकास के नाम पर विनाश का आरोप लगाते हुए, राजधानी रायपुर से लगे धरसीवा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम मोतिमपुर में जिंदल ग्रुप के नलवा सीमेंट खदान के विरोध में आयोजित जनसुनवाई हंगामेदार हो गई। भारी बारिश और कड़े सुरक्षा इंतजामों के बावजूद, आसपास के छह गांवों के लगभग 900 ग्रामीण, अपनी मांगों पर अड़े रहे। उनका आरोप है कि खदान से उनके जीवन, घरों की नींव और बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। इस विरोध को देखते हुए, जिले भर से भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था, जो आज तक ऐसी जनसुनवाई में नहीं देखा गया।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम, फिर भी जनसैलाब

स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने आज तक ऐसी जनसुनवाई नहीं देखी, जहाँ इतने बड़े पैमाने पर पुलिस बल तैनात किया गया हो। ग्रामीणों ने प्रशासन पर “पब्लिक सर्वेंट” के बजाय “कंपनी के गुलाम” बनने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि अधिकारी भारत के सपूत होने पर गर्व करने के बजाय, किसी विशेष कंपनी की गुलामी में लगे हैं। बारिश की परवाह किए बिना, ग्रामीण टेंट लगाकर रात भर से डटे रहे, जो उनके दृढ़ संकल्प का प्रमाण है।

खदान से जीवन पर खतरा

मेसर्स नलवा स्टील एंड पावर लिमिटेड द्वारा प्रस्तावित इस खदान से पचरी, छडिया, मंधईपुर, नहरडीह, मोतिमपुर और आलेसुर गांवों के करीब 55 हजार लोग सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। ग्रामीणों का कहना है कि खदान गांवों से मात्र 90 से 400 मीटर की दूरी पर है। इससे निकलने वाले कंपन और विस्फोट का सीधा असर उनके घरों पर पड़ेगा, जिससे मकानों की नींव कमजोर हो सकती है। रात में भी चलने वाले खनन कार्य और भारी वाहनों की आवाजाही, खासकर स्कूलों के सामने से, बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

“सरकार को शर्म आनी चाहिए”

विरोध कर रहे लोगों का गुस्सा जायज है। वे कहते हैं कि जब सरकार जनता से संवाद करना चाहती है, तो भय किस बात का? अगर वे विरोध के स्वर नहीं सुन सकते, तो जनसुनवाई का नाटक बंद कर देना चाहिए। उनका कहना है कि जनसुनवाई युद्ध का मोर्चा बन गई है, और सरकार को इस स्थिति पर शर्म आनी चाहिए। ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन से अपील की है कि जनहित और पर्यावरण की रक्षा के लिए खदान की अनुमति तत्काल रद्द की जाए। वे विकास के नाम पर अपने अस्तित्व से खिलवाड़ को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।

आत्मदाह की चेतावनी

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, प्रशासन ने 400 से अधिक पुलिस जवानों की तैनाती की है। हालांकि, ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे आत्मदाह जैसे कदम उठाने को मजबूर होंगे। इस विरोध प्रदर्शन में क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों ने भी ग्रामीणों का समर्थन किया है, जिससे प्रशासन पर दबाव और बढ़ गया है। पूरे क्षेत्र में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है, और आगे क्या होगा, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

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