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शुक्रवार, मई 30, 2025
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भू विस्थापितों का विरोध: 30 मई को कुसमुंडा खदान बंद करने और कार्यालय घेराव की तैयारी

रोजगार, पुनर्वास और भूमि वापसी की मांगों को लेकर एसईसीएल के विरुद्ध तीव्र आंदोलन की चेतावनी

कोरबा (पब्लिक फोरम)। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के कुसमुंडा, गेवरा, दीपका और कोरबा क्षेत्र के भू विस्थापित किसानों ने 30 मई को कोल इंडिया के मेगा प्रोजेक्ट कुसमुंडा खदान को पूर्णतः बंद करने और कार्यालय घेराव करने की घोषणा की है। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के नेतृत्व में यह निर्णय लंबित रोजगार प्रकरणों के तत्काल निराकरण, आउट सोर्सिंग कार्यों में प्राथमिकता, मुआवजा कटौती की समाप्ति, पुनर्वास और बसावट गांवों में मूलभूत सुविधाओं की मांगों को लेकर लिया गया है।

अधिकारियों की उदासीनता से बढ़ा आक्रोश
छत्तीसगढ़ किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव प्रशांत झा ने स्पष्ट किया कि कार्मिक निर्देशक बिलासपुर द्वारा एक सप्ताह के भीतर क्षेत्रीय स्तर पर बैठक आयोजित कर समस्त समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया गया था, परंतु स्थानीय अधिकारियों ने इस दिशा में कोई ठोस पहलकदमी नहीं की है। उन्होंने दृढ़ता से कहा कि जिन किसानों की भूमि एसईसीएल द्वारा अधिग्रहीत की गई है, उन सभी खातेदारों को स्थायी रोजगार प्रदान करना कंपनी की नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है।

प्रशांत झा ने आगे कहा, “विकास परियोजना के नाम पर गरीब किसानों को सुनहरे सपने दिखाकर करोड़ों लोगों को विस्थापित किया गया है। आज भी ये परिवार अपने पुनर्वास और रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं। विकास के नाम पर अपनी मातृभूमि से बेदखल किए गए इन परिवारों का जीवन स्तर सुधरने के बजाय और भी दयनीय हो गया है।”

कॉर्पोरेट परस्त नीतियों का विरोध
किसान सभा के नेताओं ने कॉर्पोरेट परस्त नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि कोरबा जिले के विकास की नींव में प्रभावित परिवारों की पूर्ण उपेक्षा की गई है। निरंतर संघर्ष के बाद केवल खानापूर्ति के नाम पर चंद लोगों को रोजगार और बसावट प्रदान की गई है। भूमि किसानों की आजीविका का स्थायी साधन होती है, और सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण के साथ ही उनकी जीवनशैली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा छीन लिया गया है।

किसान सभा के प्रमुख नेता जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, सुमेंद्र सिंह कंवर और जय कौशिक ने एकमत से कहा कि एसईसीएल प्रशासन पुराने लंबित रोजगार प्रकरणों के प्रति गंभीर नहीं है। खमहरिया के किसान जिस भूमि पर पीढ़ियों से कृषि कार्य करते आ रहे हैं, प्रशासनिक सहायता से उसे जबरन छीना जा रहा है। किसान सभा इसका कड़ा विरोध करती है और उन भूमियों की वापसी की मांग करती है।

दशकों से लंबित न्याय की मांग
भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष दामोदर श्याम, रेशम यादव और रघु ने बताया कि 1978 से 2004 के मध्य कोयला खनन हेतु व्यापक भूमि अधिग्रहण किया गया था, लेकिन तत्कालीन समय से अब तक विस्थापित ग्रामीणों को न तो उचित रोजगार प्रदान किया गया है और न ही समुचित पुनर्वास। ऐसे प्रभावित परिवारों की संख्या सैकड़ों में है। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि प्रत्येक खातेदार को रोजगार नहीं दिया गया तो आंदोलन और भी तीव्र होगा।

व्यापक सहयोग और संगठित प्रयास
हड़ताल को सफल बनाने के लिए व्यापक बैठकों का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें दामोदर श्याम, रेशम यादव, सुमेंद्र सिंह कंवर, जय कौशिक, दीनानाथ, पवन यादव, रघुनंदन, कृष्ण कुमार, होरीलाल, डूमन, उमेश, उत्तम, गणेश, मुनीराम, चंद्र शेखर सहित बड़ी संख्या में भू विस्थापित किसान सम्मिलित हो रहे हैं।

प्रमुख मांगें
रोजगार संबंधी मांगें:
1. तत्काल रोजगार प्रावधान: 1978 से 2004 तक भूमि अर्जन के दौरान प्रभावित प्रत्येक खातेदार को रोजगार संबंधी औपचारिकताएं पूर्ण कर तत्काल रोजगार प्रदान किया जाए।

2. लंबित प्रकरणों का निराकरण: बिलासपुर मुख्यालय में लंबित भू विस्थापितों की फाइलों का तत्काल निराकरण हो।

3. स्थानीय कार्यालयों में लंबित मामले: कुसमुंडा-गेवरा एवं राजस्व विभाग में लंबित फाइलों की त्वरित कार्यवाही की जाए।

पुनर्वास और बसावट:
4. व्यापक पुनर्वास: 1978 से 2004 तक की अवधि में भूमि अर्जन से प्रभावित शेष सभी भू विस्थापितों को उचित बसावट प्रदान की जाए।

5. भूमि वापसी: कोल इंडिया द्वारा पूर्व में अधिग्रहीत ग्राम खमहरिया के मूल किसानों को उनकी भूमि वापस की जाए।

6. मनगांव बसावट: गेवरा क्षेत्र अंतर्गत मनगांव बसावट को पुनः हटाने की प्रक्रिया में प्रत्येक परिवार को वैकल्पिक बसावट या मुआवजा राशि प्रदान की जाए।

रोजगार के अवसर:
7. आउट सोर्सिंग में प्राथमिकता: एसईसीएल में आउट सोर्सिंग के माध्यम से संचालित सभी कार्यों में भू विस्थापित परिवारों के बेरोजगार सदस्यों को 100% रोजगार प्रदान किया जाए।

कानूनी अधिकार:
8. भूमि पट्टा: पुनर्वास गांवों में निवासरत भू विस्थापित परिवारों को उनकी कब्जाधीन भूमि का वैध पट्टा प्रदान किया जाए।

मुआवजा संबंधी मांगें:
9. पूर्ण मुआवजा: गेवरा क्षेत्र के अधिग्रहीत गांवों में नवीन-पुराने घरों के नाम पर परिसंपत्तियों के मूल्यांकन में कटौती बंद कर पूर्ण मुआवजा प्रदान किया जाए।

10. कृषि क्षतिपूर्ति: कोरबा क्षेत्र के सुराकछार बस्ती के प्रभावित किसानों को फसल क्षतिपूर्ति मुआवजा देने के साथ-साथ भू धसान क्षेत्र की भूमि का समतलीकरण कर पुनः कृषि योग्य बनाया जाए।

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