कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के कोरबा में एनटीपीसी के भूविस्थापितों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। वे लगभग 9 माह से नौकरी, बचे जमीन की मुआवजा और क्षतिपूर्ति की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन आन्दोलन में डटे हुए हैं। उन्हें लगता है कि एनटीपीसी कोरबा प्रबंधन उनके साथ वादाखिलाफी कर रहा है और उनकी समस्या का निराकरण नहीं कर रहा है।
एनटीपीसी कोरबा के भूविस्थापितों का कहना है कि उन्हें जमीन अधिग्रहण के समय किए गए वादे के अनुसार नौकरी और मुआवजा दिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि 1979 में एनटीपीसी कोरबा ने आम सूचना जारी करके उन्हें नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन अभी तक उन्हें नौकरी नहीं मिली है। उन्होंने यह भी कहा कि 2010 में प्लांट का विस्तार होने के बाद भी उन्हें कोई सूचना नहीं दी गई और न ही किसी को नौकरी प्रदान की गई।
उन्होंने दावा किया कि एनटीपीसी कोरबा के 300 परिवारों में से केवल 38 परिवारों को ही नौकरी दी गई है, जबकि बाकी 262 परिवार आज भी नौकरी से वंचित हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 2016 से एनटीपीसी सीपत बिलासपुर के 33 भूविस्थापितों को ट्रेनिंग के नाम से एनटीपीसी कोरबा में नियमित नौकरी करवाई जा रही है, जो उनके हक का हनन है। उन्होंने मांग की है कि उन्हें वापस सीपत के प्लांट में भेजा जाए और उनकी जगह एनटीपीसी कोरबा के भूविस्थापितों को नौकरी दी जाए।
भूविस्थापितों ने कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण ढंग से आन्दोलन कर रहे हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तब तक वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे रहेंगे।
उन्होंने जिला प्रशासन को अपनी समस्या का निराकरण करने के लिए कई बार आवेदन भी दिया है, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है। उन्होंने एनटीपीसी कोरबा प्रबंधन को भी अपनी रिपोर्ट की जानकारी मांगी है, लेकिन उन्हें दिग्भ्रमित करने की कोशिश की गई है।
एनटीपीसी कोरबा के भूविस्थापितों का आन्दोलन एक लंबी लड़ाई का हिस्सा है, जिसमें उन्हें अपने अधिकारों और हितों की रक्षा करनी है। उन्हें लगता है कि एनटीपीसी कोरबा प्रबंधन उनके साथ अन्याय कर रहा है और उनकी आवाज को दबाने की कोशिश कर रहा है। उन्हें लगता है कि उनके साथ वादा किया गया है, लेकिन उसका पालन नहीं किया गया है।
एनटीपीसी कोरबा के भूविस्थापितों की यह आशा है कि उनकी मांगों को जल्द से जल्द सुना जाए और उन्हें न्याय दिया जाए। उन्हें यह भी चाहिए कि उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाए और उनके लिए उचित रोजगार और मुआवजे का प्रबंध किया जाए।
एनटीपीसी कोरबा के भूविस्थापितों का आन्दोलन एक मानवीय और सामाजिक मुद्दा है, जिसे गंभीरता से लेना चाहिए। उनके आन्दोलन को अनदेखा करना उनके साथ अन्याय करने के बराबर है।
एनटीपीसी के भूविस्थापितों का आक्रोश: 9 माह से नौकरी और मुआवजे की मांग को लेकर जारी है धरना-प्रदर्शन
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