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बुधवार, फ़रवरी 5, 2025
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कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम: विधिक जागरूकता कार्यक्रम का सफल आयोजन

कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के निर्देशानुसार, 3 अगस्त 2024 को कोरबा जिला न्यायालय परिसर के एडीआर भवन में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम हेतु विधिक जागरूकता शिविर सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न के प्रति जागरूकता फैलाना था।

इस अवसर पर श्री सत्येंद्र कुमार साहू, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश और अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कोरबा ने उपस्थित महिलाओं का स्वागत करते हुए कहा कि भारतीय सभ्यता में महिलाओं को सदैव सम्मानजनक दृष्टि से देखा गया है। उन्होंने बताया कि समय के साथ महिलाओं को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, और इसके समाधान के लिए सतीप्रथा का उन्मूलन एवं 2013 में यौन उत्पीड़न की रोकथाम अधिनियम का लागू होना एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने जोर देकर कहा कि महिलाओं को कार्यस्थल पर सजग रहने और उत्पीड़न की किसी भी घटना पर तुरंत कार्यवाही करने की आवश्यकता है।

श्री जयदीप गर्ग, विशेष न्यायाधीश, एस्ट्रोसिटीज एक्ट, कोरबा ने बताया कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न अधिनियम के तहत हमें सतर्क और सावधान रहने की आवश्यकता है। महिलाओं को किसी भी प्रकार के अभद्र व्यवहार का विरोध करना चाहिए और इसकी शिकायत तुरंत सक्षम अधिकारी के समक्ष करनी चाहिए।

श्रीमती गरिमा शर्मा, प्रथम जिला अपर सत्र न्यायाधीश, कोरबा ने कहा कि यौन उत्पीड़न में सामने वाले के इरादों को समझना महत्वपूर्ण होता है। किसी भी व्यक्ति द्वारा दुर्व्यवहार की स्थिति में संकोच किए बिना उसकी शिकायत करनी चाहिए और निष्पक्ष रूप से अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करनी चाहिए

श्रीमती नेहा वर्मा, डी.एस.पी., ने बताया कि 2013 में लागू ‘प्रीवेंटशन ऑफ सेक्शुअल हैरेसमेंट एट वर्कप्लेस’ (POSH) अधिनियम के तहत महिलाएं अपने उत्पीड़न की शिकायत कर सकती हैं। उन्होंने बताया कि शारीरिक उत्पीड़न जैसे बाल, कंधे, या कपड़े छूने की कोशिश भी यौन उत्पीड़न के दायरे में आता है और इसकी शिकायत सक्षम अधिकारी से की जानी चाहिए

श्रीमती रजनी मारिया, जिला महिला संरक्षण अधिकारी ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के अधिनियम की विस्तार से जानकारी प्रदान की। कु. डिंपल, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कोरबा ने यौन उत्पीड़न के इतिहास और उसके प्रभावों के बारे में बताया।

इस कार्यक्रम में न्यायाधीश श्री ओंकार प्रसाद गुप्ता, प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय कोरबा, जिला अपर सत्र न्यायाधीश श्रीमती ममता भोजवानी, ज्योति अग्रवाल, अश्वनी चतुर्वेदी, कृष्ण कुमार सूर्यवंशी, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सीमा प्रताप चंद्रा, और अन्य अधिकारी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, मितानीन, जिला न्यायालय कोरबा के महिला कर्मचारी और पैरालीगल वॉलंटियर्स ने भाग लिया। अंत में, कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग प्रदान करने वाले सभी का आभार प्रकट किया गया।

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