गुरूवार, नवम्बर 21, 2024
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युद्धग्रस्त यूक्रेन में पीएम मोदी की ऐतिहासिक यात्रा: क्या विश्व शांति की दिशा में मिलेगी नई राह?

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। यूक्रेन की धरती पर पहली बार कदम रखने वाले भारतीय प्रधानमंत्री बनकर, नरेंद्र मोदी ने एक नया इतिहास रच दिया है। रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच, उनका यह दौरा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने, बल्कि वैश्विक शांति प्रयासों में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करने का एक साहसिक कदम है।
प्रधानमंत्री मोदी पोलैंड के दो दिवसीय दौरे के बाद विशेष रेल ‘फोर्स वन’ से यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचे। यह यात्रा केवल सात घंटे की है, लेकिन इसका महत्व कहीं अधिक व्यापक है। वे यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से मुलाकात करेंगे, जिसमें दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है।

इस यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन में रह रहे भारतीय समुदाय और छात्रों से भी मिलेंगे, जो इस कठिन समय में उनके लिए बड़ी राहत और प्रोत्साहन होगा। यह मुलाकात भारत की “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना को प्रदर्शित करती है, जिसमें हम अपने नागरिकों की सुरक्षा और कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जेलेंस्की की यह चौथी मुलाकात है, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग और विश्वास का प्रतीक है। पिछली मुलाकातें वैश्विक मंचों पर हुई थीं, लेकिन यह पहली बार है जब वे यूक्रेन की धरती पर मिल रहे हैं।

‘रेल फोर्स वन’ से की गई यह यात्रा यूक्रेन की ‘आयरन डिप्लोमेसी’ का प्रतीक है। यह ट्रेन न केवल अत्याधुनिक सुरक्षा प्रणालियों से लैस है, बल्कि इसका आंतरिक सज्जा किसी पांच सितारा होटल से कम नहीं है। यह यूक्रेन की दृढ़ता और संकल्प का प्रतीक है, जो कठिन परिस्थितियों में भी अपनी मेजबानी और सम्मान की परंपराओं को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
यह यात्रा केवल भारत और यूक्रेन के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। यह रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच एक नई कूटनीतिक पहल है, जो शांति और स्थिरता की दिशा में एक नई उम्मीद जगा सकती है। प्रधानमंत्री मोदी की यह पहल भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका और जिम्मेदारी को दर्शाती है।

यह ऐतिहासिक यात्रा न केवल भारत-यूक्रेन संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ेगी, बल्कि वैश्विक शांति प्रयासों में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है। यह भारत की ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की विचारधारा और विश्व शांति के प्रति प्रतिबद्धता का एक ठोस प्रमाण है। आने वाले समय में, यह यात्रा कैसे वैश्विक राजनीति को प्रभावित करती है, यह देखना दिलचस्प होगा।

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