नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)| दुनिया के सबसे लोकप्रिय वेब ब्राउजर Google Chrome को खरीदने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्टार्टअप Perplexity AI ने 34.5 अरब डॉलर (करीब 3 लाख करोड़ रुपये) का ऑफर दिया है। इस खबर ने न सिर्फ टेक इंडस्ट्री बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। दिलचस्प बात यह है कि खुद Perplexity की वैल्यूएशन फिलहाल करीब 18 अरब डॉलर आंकी जाती है। ऐसे में यह प्रस्ताव वैश्विक टेक सेक्टर में हलचल मचा रहा है।
इस चर्चा के केंद्र में हैं अरविंद श्रीनिवास, जो Perplexity AI के सह-संस्थापक और CEO हैं। उन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का गहरा अनुभव है।
OpenAI (2018): अरविंद ने सैन फ्रांसिस्को स्थित OpenAI में बतौर रिसर्च इंटर्न करियर की शुरुआत की। यहां उन्होंने पॉलिसी ग्रेडिएंट एल्गोरिदम पर रिसर्च किया।
DeepMind (2019): लंदन में DeepMind के साथ इंटर्नशिप के दौरान उन्होंने लार्ज-स्केल कॉन्ट्रास्टिव लर्निंग (CPCv2) पर काम किया, जिससे डीप लर्निंग में विशेषज्ञता हासिल की।
Google (2020): कैलिफोर्निया में Google रिसर्च टीम से जुड़े और विजन ट्रांसफॉर्मर मॉडल्स (HaloNet, Bottleneck Transformers) सहित कई अत्याधुनिक प्रोजेक्ट्स में योगदान दिया।
उनका यह अनुभव आज उन्हें AI और ब्राउजिंग इंडस्ट्री में नई संभावनाओं के दरवाजे खोलने में सक्षम बना रहा है।
2025 में Perplexity ने अपने नेतृत्व में एक नया AI-संचालित वेब ब्राउजर लॉन्च किया, जिसका नाम Comet रखा गया। यह ब्राउजर पारंपरिक ब्राउजर से अलग है क्योंकि इसमें ऑटो-रिप्लाई, स्मार्ट सर्च और AI-असिस्टेड फीचर्स शामिल हैं। कंपनी का दावा है कि Comet भविष्य की इंटरनेट ब्राउजिंग का चेहरा बदल देगा।
वर्तमान में, ब्राउजर की दुनिया में Google Chrome का दबदबा अटूट है।
2025 की रिपोर्ट के अनुसार, 3.45 अरब से अधिक लोग इसका इस्तेमाल करते हैं।
यह विंडोज, मैक और एंड्रॉइड समेत लगभग हर ऑपरेटिंग सिस्टम पर उपलब्ध है।
यूजर्स इसे तेज स्पीड, भरोसेमंद सुरक्षा और सरल इंटरफेस की वजह से पसंद करते हैं।
यही कारण है कि Chrome अब भी ब्राउजिंग मार्केट में अग्रणी बना हुआ है।
Perplexity का Google Chrome खरीदने का प्रस्ताव तकनीकी दुनिया में एक साहसी कदम माना जा रहा है। लेकिन व्यावहारिक रूप से देखें तो—
वित्तीय चुनौती: Perplexity की मौजूदा वैल्यूएशन 18 अरब डॉलर है, जबकि Chrome के लिए ऑफर 34.5 अरब डॉलर का है। ऐसे में यह अधिग्रहण आर्थिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण है।
प्रतिस्पर्धा का सवाल: Chrome की वैश्विक लोकप्रियता और Google की मजबूत पकड़ देखते हुए, इस डील के सफल होने की संभावना विशेषज्ञ सीमित मान रहे हैं।
टेक्नोलॉजी की दिशा: फिर भी, यह कदम इस बात का संकेत है कि भविष्य की इंटरनेट ब्राउजिंग केवल सर्च तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि AI की शक्ति से और भी स्मार्ट और इंटरैक्टिव अनुभव प्रदान करेगी।
Perplexity AI का यह ऑफर सिर्फ एक व्यावसायिक कदम नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी की नई संभावनाओं का प्रतीक है। यह प्रतिस्पर्धा बताती है कि AI और ब्राउजिंग इंडस्ट्री का संगम आने वाले वर्षों में डिजिटल दुनिया की दिशा तय करेगा।
अब देखना होगा कि Google इस प्रस्ताव को किस तरह लेता है और क्या इंटरनेट की दुनिया में कोई ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिलेगा।
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